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एबीवीपी कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद पद से हटाए गए एमएमएमयूटी के दो प्रोफेसर

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में छात्रों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं के बीच हुए व‍िवाद के बाद विश्वविद्यालय ने छात्र क्रिया कलाप परिषद के अध्यक्ष प्रो. बीके पांडेय और जनसंपर्क अधिकारी डा. अभिजीत मिश्र को पद से मुक्त कर दिया गया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 03:54 PM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 08:35 PM (IST)
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का मुख्‍य प्रवेश द्वार। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) के छात्रों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं के बीच बीती 19 मई को हुए विवाद की जांच की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। निर्णय के अनुपालन के क्रम में विश्वविद्यालय ने छात्र क्रिया कलाप परिषद के अध्यक्ष प्रो. बीके पांडेय और जनसंपर्क अधिकारी डा. अभिजीत मिश्र को जांच समिति की रिपोर्ट आने तक पद से मुक्त कर दिया गया है।

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जांच के ल‍िए चार सदस्‍यीय कमेटी बनी

नवनियुक्त जनसंपर्क अधिकारी डा. डीएस सिंह ने बताया कि घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है। समिति साक्ष्यों के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर रही है। जांच समिति में जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से एक-एक सदस्य नामित करने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से जिलाधिकारी से लिखित अनुरोध पहले ही किया जा चुका है। उधर विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय प्रशासन और जिला प्रशासन से मांग की है कि वह प्रो. पांडेय और डा. अभिजीत के अलावा उन शिक्षकों पर भी कार्यवाही करे, जो इस घटना के कथित रूप से जिम्मेदार हैं। प्रांत मंत्री सौरभ गौड़ ने प्रो. पांडेय और डा. अभिजीत को निलंबित करने की भी मांग की है।

गुआक्टा निर्णय पर कायम, वित्तविहीन कालेज के प्राचार्य पीछे हटे : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में 24 मई से होने वाली परीक्षा के बहिष्कार को लेकर कालेजों में दो भाग हो गया है। वित्तविहीन कालेजों के प्राचार्य व शिक्षकों का विरोध थम गया है जबकि गोरखपुर विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय एसोसिएशन ( गुआक्टा) विरोध को लेकर अडिग है। गुआक्टा के पदाधिकारियों ने परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण करने और 31 मई को विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन पर तालाबंदी के निर्णय को दोहराया है।

यह है श‍िक्षकों की मांग

महाविद्यालयों के शिक्षकों की मांग है कि उनके यहां भी स्नातक के शिक्षकों को शोध निर्देशक बनाया जाए और नए शिक्षकों को पीएचडी कराने की अनुमति दी जाए। इसी प्रकार दो वर्ष के कॉपी मूल्यांकन के बकाया को अविलंब भुगतान किया जाए। हालांकि इन मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले ही अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। लेकिन, गुआक्टा त्वरित कार्रवाई पर अड़ा हुआ है। उधर, वित्तविहीन कॉलेजों के कई प्राचार्यों ने परीक्षा में सहयोग को लेकर लिखित आश्वासन विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया है।

जारी रहेगा व‍िरोध प्रदर्शन

सूत्रों के मुताबिक लिखित आश्वासन के बाद विरोध कर रहे कुछ कॉलेजों को फिर से परीक्षा केंद्र बना दिया गया है। गुआक्टा के महामंत्री डा. धीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि गुआक्टा का विरोध प्रदर्शन जारी है। शिक्षक प्रायोगिक परीक्षाएं नहीं करा रहे हैं। डिग्री कालेजों में 24 से परीक्षाएं शुरू होंगी, सभी शिक्षक परीक्षा का बहिष्कार करेंगे। मूल्यांकन कार्य से भी शिक्षक अपने को अलग रखे हुए हैं।


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