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Coronavirus: गोरखपुर के राणा हॉस्पिटल में ट्रायल शुरू, 10 लोगों को लगाई गई वैक्सीन Gorakhpur News

10 लोगोंं को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई। कुछ की तबीयत हल्की खराब हुई लेकिन थोड़ी ही देर में वे ठीक हो गए। सभी वालंटियर चार घंटे डॉक्टरों की निगरानी में रहे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 01:39 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 01:39 PM (IST)
Coronavirus: गोरखपुर के राणा हॉस्पिटल में ट्रायल शुरू, 10 लोगों को लगाई गई वैक्सीन Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा तैयार की गई कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो गया। राणा हॉस्पिटल में 10 वालंटियरों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई। दूसरी डोज 15 दिन बाद लगाई जाएगी। वैक्सीन लगाने के बाद वालंटियर कुछ देर डॉक्टरों की निगरानी में रहे। इस दौरान दो लोगों को हल्का बुखार, उल्टी, मिचली व चक्कर आने की शिकायत भी हुई।

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कुल 34 वालंटियरों को लगाई जानी है वैक्सीन 

हॉस्पिटल के मैनेजर वेंकटेश ने बताया कि प्रथम चरण का ट्रायल 31 जुलाई तक पूरा करना था। कुल 34 वालंटियरों को वैक्सीन लगाई जानी है। लेकिन, अभी तक सिर्फ 18 लोग ही मिल पाए हैं। उनमें से केवल 10 की ही शारीरिक जांच पूरी हो पाई थी। इसलिए 10 लोगोंं को ही वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई। कुछ की तबीयत हल्की खराब हुई लेकिन थोड़ी ही देर में वे ठीक हो गए। सभी वालंटियर चार घंटे डॉक्टरों की निगरानी में रहे। इस दौरान शोध की हेड डॉ. सोना घोष व प्रभारी डॉ. निधि भी मौजूद रहीं।

ट्रायल पर लगी 15 दिन की रोक

हॉस्पिटल के मैनेजर वेंकटेश ने बताया कि भारत बायोटेक ने शुक्रवार की शाम को ट्रायल पर 15 दिन की रोक लगा दी। देर शाम यह निर्देश ई-मेल के जरिए आया।

निगेटिव रिपोर्ट के बिना घर में प्रवेश नहीं दे रहे मकान मालिक

नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने डीएम व सीएमओ से कहा है कि वे अधिकृत बयान जारी करें कि कोरोना वार्ड से बिना निगेटिव रिपोर्ट लिए घर पहुंचे मरीजों को कोई मकान मालिक प्रवेश से रोकेगा नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें आई हैं कि प्रवेश के पहले कोरोना मरीजों से मकान मालिक निगेटिव रिपोर्ट मांग रहे हैं। नहीं दिखाने पर उन्हें घर में प्रवेश नहीं दे रहे। दूसरी तरह उन्हें बिना रिपोर्ट दिए ही डिस्चार्ज कर दिया जा रहा है। नगर विधायक ने बताया कि यह एक स्वाभाविक डर है कि यदि रिपोर्ट निगेटिव नही आई है तो संक्रमण का खतरा है। इसलिए अधिकृत बयान जारी कर नागरिकों को यह बताया जाए कि यह सबकुछ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के निर्देश के तहत किया जा रहा है।


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