LokSabha Elections 2019 : चुनावी एसएमएस पर ट्राई का ब्रेक, जानें क्या हुआ बदलाव
एसएमएस संदेशों की एक दिन की अधिकतम सीमा पर लगी रोक पर राहत देने का प्रस्ताव ट्राई ने नहीं माना है। जिसके चलते एक दिन में रजिस्टर्ड सिम से सिर्फ अब दो सौ मैसेज भेजे जा सकते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। लोकसभा चुनाव प्रचार के एसएमएस संदेशों से कमाई का मंसूबा संजोए ऑपरेटर कंपनियों को ट्राई ने झटका दिया है। एसएमएस संदेशों की एक दिन की अधिकतम सीमा पर लगी रोक को चुनावी मौसम में कुछ राहत देने का प्रस्ताव फिलहाल दूर संचार नियामक आयोग (ट्राई) ने नहीं माना है। जिसके चलते एक दिन में रजिस्टर्ड सिम से सिर्फ अब दो सौ मैसेज भेजे जा सकते हैं। कंपनियां नया एसएमएस प्लान भी शुरू नहीं करेगी।
प्रमुख दलों के नेताओं ने दूरसंचार नियामक आयोग को पत्र भेजकर चुनावी प्रचार-प्रसार के लिए मोबाइल एसएमएस की तय सीमा में राहत देने की मांग की थी। ट्राई ने अनुमति नहीं दी। जिससे प्रत्याशियों में मायूसी है। चुनाव प्रचार के दौरान मोबाइल मैसेज सर्विस प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाता है। ट्राई ने सिर्फ पंजीकृत कंपनियों को ही तय एसएमएस सीमा से अधिक को भेजने की छूट दे रखी है। एयरटेल, वोडाफोन व रिलायंस जैसे निजी आपरेटरों में भी चुनावी संदेशों की सीमा न बढ़ाने से हताश हैं। इन कंपनियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि छूट मिलने पर प्रत्याशियों को सस्ता एवं सुलभ साधन मुहैया होता। साथ ही सरकार एवं कंपनी दोनों को फायदा होता। फिलहाल चुनाव तक मोबाइल कंपनियां नया प्लान भी नहीं देंगी। छूट सीमा तक ही निर्धारित दर पर एसएमएस की छूट रहेगी।
निगरानी टीम में इस बार सोशल मीडिया भी रहेंगे शामिल
चुनाव में सोशल मीडिया का कोई प्रत्याशी दुरूपयोग न कर पाए, इसके लिए निगरानी टीम गठित की गई है। टीम में शामिल सदस्य सभी गतिविधियों पर चुनाव आचार संहिता लागू होने तक निगाह रखेंगे।
यह भी जानें
आजादी के बाद हुए प्रारंभिक चुनावों में मतदाता के पंजीकरण की आयु 21 वर्ष थी। संविधान (61वां संशोधन) अधिनियम, 1988 के तहत लंबे समय से चली आ रही जनता की मांग को पूरा करने के लिए मतदान की आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गई थी। इसके बाद नवंबर 1989 में संपन्न हुए 10 वें आम चुनाव में 18 वर्ष से 21 वर्ष के आयु वर्ग के 35.7 मिलियन (3.5 करोड़) मतदाताओं ने पहली बार मतदान में हिस्सा लिया था।