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Top Gorakhpur News Of The Day, 20 June 2020, गोरखपुर के खिलौना बाजार में दिखने लगा चीनी सामान के बहिष्‍कार का असर

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By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 08:30 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 08:30 PM (IST)
Top Gorakhpur News Of The Day, 20 June 2020, गोरखपुर के खिलौना बाजार में दिखने लगा चीनी सामान के बहिष्‍कार का असर

गोरखपुर, जेएनएन। इलेक्ट्रॉनिक से लेकर बच्चों के खिलौनों तक पर चाइनीज आइटम का एकतरफा कब्जा है। शहर में बिकने वाले करीब 85 फीसद खिलौने चीन से निर्यात होकर आते हैं, लेकिन भारत से चीन के टकराव के बाद बाजार में ड्रैगन की जड़ें हिलने लगी हैं। लोग चाइनीज आइटम का बायकाट कर रहे हैं। दुकानदार भी ग्राहकों के रुख को समझते हुए अब स्वदेशी आइटम ही उनके सामने रख रहे हैं। व्यापारियों का कहना है 10 से 15 फीसद ग्राहक भारत में बने सामान की मांग कर रहे हैं। विरोध का सीधा असर खिलौने की बिक्री पर पड़ा है। कलिंगा विश्वविद्यालय, उड़ीसा से मेकेनिकल इंजीनियरिंग ट्रेड से बी-टेक कर रहे बशारतपुर के मुदित मित्तल ने लॉकडाउन के दौरान मिले वक्त में अपनी तकनीकी क्षमता का इस्तेमाल करते हुए सैनिटाइजिंग टनल बनाया है। बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र मुदित का दावा है कि उनके द्वारा बनाए टनल की लागत बाजार से आधी है। जनसमस्याओं का त्वरित निस्तारण करने और किसी ज्यादती का शिकार हुए लोगों को न्याय दिलाने के लिए कई वर्षों से थाना और तहसील दिवस (समाधान व संपूर्ण समाधान दिवस) का अनवरत आयोजन होता रहा है। कोरोना के कारण अब बंद हो गया है। ऐसे में समस्‍याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। फरियादी अधिकारियों के कार्यालयों का चक्‍कर लगा रहे हैं। चोरी से चल रहे हुक्काबार ने पुलिस व प्रशासन के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। रेस्टोरेंट की आड़ में चल रहे हुक्काबार में जुट रहे युवक पार्टी कर रहे हैं। इसकी वजह से कोरोना का संक्रमण फैलने का भी खतरा बढ़ गया है। समय रहते अगर अधिकारी नहीं चेते तो कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है। कोरोना से बचाव के जिन उपकरणों की कीमतें शुरुआती दिनों आसमान पर थीं, वह अब सस्ती हो गई हैं। 200 रुपये वाला एन-95 मास्क जहां 90 रुपये में मिल रहा है वहीं 15 रुपये वाला ओटी मास्क तीन से छह रुपये में उपलब्ध है।

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खिलौना बाजार में दिखने लगा चीनी सामान के बहिष्‍कार का असर, घट गई मांग

इलेक्ट्रॉनिक से लेकर बच्चों के खिलौनों तक पर चाइनीज आइटम का एकतरफा कब्जा है। शहर में बिकने वाले करीब 85 फीसद खिलौने चीन से निर्यात होकर आते हैं, लेकिन भारत से चीन के टकराव के बाद बाजार में ड्रैगन की जड़ें हिलने लगी हैं। लोग चाइनीज आइटम का बायकाट कर रहे हैं। दुकानदार भी ग्राहकों के रुख को समझते हुए अब स्वदेशी आइटम ही उनके सामने रख रहे हैं। व्यापारियों का कहना है 10 से 15 फीसद ग्राहक भारत में बने सामान की मांग कर रहे हैं। विरोध का सीधा असर खिलौने की बिक्री पर पड़ा है।

कोरोना के कारण बीते पांच महीनों में चीन से आने वाले सामान का आयात कम हुआ है। कई बड़े निर्यातकों ने चीन से सामान मंगवाना बंद कर दिया था। दोनों देशों के बीच तनातनी के कारण ग्राहकों के बदले मिजाज को देखते हुए भी निर्यात कम हुआ है। कई छोटे व्यापारी खुद से ही भारत में निर्मित सामान को तवज्जो दे रहे हैं। बावजूद इसके चाइनीज आइटम की भरमार ग्राहकों के मिजाज पर भारी पड़ रही है। दरअसल, बच्चों के खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक आइटम व मोबाइल एसेसरीज में कई ऐसे सामान हैं जो सिर्फ चीन ही बनाता है। फिलहाल बाजार में उसका विकल्प नहीं है। शाहमारुफ और पांडेयहाता में खिलौने की पचास से ज्यादा थोक दुकानें हैं जहां अधिकतर सामान चाइनीज है। यहीं से आसपास के जिलों के अलावा नेपाल तक खिलौनों की आपूर्ति होती है।

गोरखपुर में खिलौने का सालाना कारोबार करीब 85 करोड़ रुपये का है। कई ऐसे विक्रेता हैं जो महीने में 30 लाख रुपये के खिलौने बेचते हैं। खिलौने विक्रेता इसरार अहमद कहते हैं कि खिलौना बाजार पर चीन का एकतरफा कब्जा है। हालांकि, कई ऐसे आइटम भी हैं जिन्हेंं भारतीय कंपनियों ने बनाना शुरू कर दिया है। ग्राहकों का मिजाज बदल रहा है लेकिन, कभी-कभी विकल्प न होना उनके सामने चुनौती बन जाता है।

बीस वर्षों से खिलौना बेच रहे सीताराम पांडेय ने कहा कि चाइनीज सामान का विरोध करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि उसका विकल्प तलाशना होगा। अगर देश में ही सस्ता एवं अच्छा खिलौना बने तो कोई विदेशी सामान क्यों खरीदें। यह जरूर है कि विरोध के चलते बिक्री पर असर पड़ता है।

खाली समय में इंजीनियरिंग छात्र ने  बनाई सस्ती सैनिटाइजिंग टनल

कलिंगा विश्वविद्यालय, उड़ीसा से मेकेनिकल इंजीनियरिंग ट्रेड से बी-टेक कर रहे बशारतपुर के मुदित मित्तल ने लॉकडाउन के दौरान मिले वक्त में अपनी तकनीकी क्षमता का इस्तेमाल करते हुए सैनिटाइजिंग टनल बनाया है। बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र मुदित का दावा है कि उनके द्वारा बनाए टनल की लागत बाजार से आधी है। ऐसे में सस्ता होने की वजह से हर इच्छुक व्यक्ति इसे अपने घर में भी लगा सकते हैं। मुदित लॉकडाउन के दौरान जब वह घर में खाली बैठे-बैठे ऊब गए तो उन्होंने कोरोना से जंग में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने की सोची। पहले तो उन्होंने हैंड सैनिटाइजिंग डिस्पेंसर जैसी छोटी मशीनें बनाईं लेकिन अंत में उन्हें कम दाम में एक ऐसा सैनिटाइजिंग टनल बनाने में सफलता मिल गई, जिससे गुजर कर कोई भी व्यक्ति अपने-आप सैनिटाइज हो जाए। इस ऑटोमेटिक सैनिटाइजिंग टनल को बनाने में उन्हें महज तीन दिन लगे।

टनल में एक सेंसर लगा है, जो प्रवेश की आहट से ही व्यक्ति को सैनिटाइज करना शुरू कर देगा। टनल से छिड़काव का सिलसिला करीब छह सेकेंड चलेगा। इस दौरान व्यक्ति पूरी तरह सैनिटाइज हो जाएगा। कम दाम में टनल बनाने पर जोर देने के सवाल पर मुदित ने बताया कि सस्ता होने की वजह से उनके बनाए टनल को लोग अपने घरों में भी लगवा सकेंगे। मुदित के अनुसार उनके सैनिटाइजर टनल की लागत महज 22 हजार रुपये है।

मुदित बताते हैं कि टनल में जिस सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया गया है वह काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) के मानक के अनुरूप है। उन्होंने बताया कि टनल में इस्तेमाल होने वाले सैनिटाइजर में वह 0.02 से 0.05 की घनत्व वाला सोडियम हाइपो क्लोराइड इस्तेमाल कर रहे है, जो पूरी तरह सुरक्षित है।

तहसील व थाना दिवस पर रोक, चक्कर लगा रहे फरियादी

जनसमस्याओं का त्वरित निस्तारण करने और किसी ज्यादती का शिकार हुए लोगों को न्याय दिलाने के लिए कई वर्षों से थाना और तहसील दिवस (समाधान व संपूर्ण समाधान दिवस) का अनवरत आयोजन होता रहा है। हर माह के दूसरे व चौथे शनिवार को थाने में समाधान दिवस का और हर दूसरे व चौथे मंगलवार को तहसील मुख्यालय पर संपूर्ण समाधान दिवस का आयोजन होता था। इसमें पुलिस व राजस्व विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ ही दूसरे सभी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहते थे। फरियादियों की समस्या संबंधित विभाग के अधिकारी सुनते थे और उसका तत्काल निस्तारण किया जाता था। कोरोना का संक्रमण शुरू होने के बाद लागू किए गए लॉकडाउन में इन दिवसों का आयोजन बंद कर दिया गया। लंबे समय तक चले लॉकडाउन के बाद अब काफी हद तक छूट मिलने के बावजूद इन दिवसों का आयोजन शुरू नहीं हो पाया है। परेशान लोगों के न्याय की उम्मीद पर अभी भी लॉकडाउन का पहरा लगा हुआ है।

गुलरिहा इलाके के जंगल सखनी निवासी रहमतुल्लाह का पट्टीदारों से जमीन के बंटवारे का विवाद चल रह है। आरोप है कि पट्टीदारों ने जमीन और बाग पर कब्जा कर लिया है। दो साल की उम्र में उनके आंखों की रोशनी चली गई थी। 16 साल का बेटा है। तहसील या थाना दिवस में वह गुहार लगाने वाले थे कि लॉकडाउन हो गया। घर से निकलने पर रोक लग गई। तहसील और थाना दिवस का आयोजन भी बंद हो गया। बाहर निकलने पर लगी रोक हटने के बाद से ही बेटे के साथ थाने और तहसील का चक्कर लगा रहे हैं।

बड़हलगंज क्षेत्र के मड़कड़ी निवासी राणा ङ्क्षसह के घर जाने वाले रास्ते पर कुछ लोगों ने बंद कर दिया है। लॉकडाउन से पहले उन्होंने थाने और तहसील में दरख्वास्त दिया था। थाने वाले राजस्व का मामला बता कर और तहसील वालों ने पुलिस का मामला बता कर कोई कार्रवाई करने से इन्कार कर दिया। राणा प्रताप थाना या फिर तहसील दिवस में गुहार लगाने की तैयारी कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि यहां फरियाद करने पर उनका रास्ता खुल जाएगा, लेकिन इसी बीच लॉकडाउन हो गया।

कैलाशपति, गोला क्षेत्र में हिगुंहार गांव के रहने वाले हैं। उनके गांव के पूरब टोले में शिव प्रसाद ओझा के घर के पास बिजली का तार कई महीने से लटक रहा है। हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है। व्यक्तिगत तौर पर लाइनमैन से लेकर डेरवा उपकेंद्र में कार्यरत कर्मचारियों, अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं। कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। कैलाशपति बताते हैं थाना व तहसील दिवस में ऐसी समस्याओं का तुरंत निस्तारण हो जाता था। जबसे इन दिवसों का आयोजन बंद हुआ है, छोटी-छोटी समस्या भी नहीं दूर हो पा रही है। इस संबंध में एसएसपी डा. सुनील गुप्‍त का कहना है कि लॉकडाउन में समाधान और संपूर्ण समाधान दिवस का आयोजन बंद कर दिया गया था। शासन से दिशा-निर्देश मिलने के बाद ही दोबारा इनका आयोजन किया जाएगा। वैसे पुलिस के पास फरियाद लेकर आने वालों की समस्याओं का हरसंभव समाधान किया जा रहा है।

Coronavirus की परवाह नहीं, गोरखपुर के 39 हुक्काबारों में हो रही भीड़ और चल रहा पार्टी का दौर

गोरखपुर शहर में चोरी से चल रहे हुक्काबार ने पुलिस व प्रशासन के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। रेस्टोरेंट की आड़ में चल रहे हुक्काबार में जुट रहे युवक पार्टी कर रहे हैं। इसकी वजह से कोरोना का संक्रमण फैलने का भी खतरा बढ़ गया है। समय रहते अगर अधिकारी नहीं चेते तो कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है।

शहर के गोलघर, बैंक रोड, गांधी गली, मोहद्दीपुर, असुरन, मेडिकल कॉलेज रोड, देवरिया बाईपास, जेल बाईपास, रुस्तमपुर, गोरखनाथ रोड, बरगदवा सहित 39 स्थानों पर अत्याधुनिक साज-सज्‍जा युक्त हुक्का बार खुले हैं। पाबंदी के बाद भी अनलॉक एक में संचालक चुपके से हुक्काबार चला रहे हैं जहां शाम को युवाओं की खूब भीड़ हो रही है। एसएसपी डॉ. सुनील गुप्ता के निर्देश पर शहर के सभी थानेदारों ने शुक्रवार को हुक्काबार चेक किया था। गोरखनाथ और शाहपुर पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ निषेधाज्ञा का उल्लंघन और महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था। 

हुक्का बार से युवा पीढ़ी नशे की लत से बर्बाद हो रही है, लेकिन अधिकारी कार्रवाई से बचते रहे हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग का कहना है कि हुक्का न तो खाद्य और न ही पेय पदार्थ है। इसलिए विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है। वहीं आबकारी विभाग का कहना है कि हुक्का आबकारी एक्ट के तहत नहीं आता है। इसलिए आबकारी विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि आइपीसी, सीआरपीसी और पुलिस मैनुअल में उनके खिलाफ हुक्का बार संचालकों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। मजे की बात तो यह है कि यह हुक्का बार बिना किसी लाइसेंस या अनुमति के चल रहे हैं। इस संबंध में एसएसपी डा. सुनील गुप्‍त का कहना है कि शहर में चलने वाले हुक्काबार की जांच कराई जा रही है। हुक्काबार खुलने पर संचालक के खिलाफ कार्रवाई होगी। हुक्काबार किसी अनुमति से चल रहे हैं, लाइसेंस का क्या मानक है इसकी जांच कराने के लिए डीएम को पत्र लिखा जाएगा।

Coronavirus से बचाव के उपकरण हुए सस्ते, कीमतों में चार गुना गिरावट

कोरोना से बचाव के जिन उपकरणों की कीमतें शुरुआती दिनों आसमान पर थीं, वह अब सस्ती हो गई हैं। 200 रुपये वाला एन-95 मास्क जहां 90 रुपये में मिल रहा है वहीं 15 रुपये वाला ओटी मास्क तीन से छह रुपये में उपलब्ध है। व्यापारियों का कहना है कि इसकी वजह परिवहन के बढ़े संसाधन और फैक्ट्रियों में शुरू हुआ उत्पादन है। लॉकडाउन खुलने के बाद थर्मल स्कैनर, मास्क, फेस शील्ड व सैनिटाइजर के दामों में तीन से चार गुना की गिरावट आई है। जो थर्मल स्कैनर पहले आठ हजार रुपये में बिक रहा था वह अब दो हजार का हो गया है। शुरुआती दिनों में मांग और आपूर्ति के बीच भारी अंतर भी कीमतों में वृद्धि की वजह थी। अब सैनिटाइजर व मास्क का उत्पादन स्थानीय स्तर पर होने व बड़ी मात्रा में थर्मल स्कैनर और एन-95 मास्क के चीन से आयात होने के चलते दामों में गिरावट आई है।

गीडा की दो कंपनियों व लगभग सभी चीनी मिलों ने सैनिटाइजर बनाना शुरू कर दिया है। गांधी आश्रम समेत अनके उत्पादन इकाइयों में मास्क बन रहा है। बाहर से भी बड़े पैमाने पर मास्क भालोटिया मार्केट में आ चुका है। इसकी वजह से कीमतों में कमी आई है। सर्जिकल सामान के व्यापारी राजर्षि बंसल का कहना है कि 15 दिनों के भीतर थर्मल स्कैनर, मास्क, सैनिटाइजर व फेस शील्ड की कीमतें बहुत कम हो गई हैं। मैंने एक लाख मास्क सात रुपये की दर पर मंगा लिया था अब उसे छह रुपये में बेचना पड़ रहा है। सर्जिकल सामान के थोक व्यापारी विकास तुलस्यान का कहना है कि शुरुआती दिनों में हम लोगों ने सैनिटाइजर मंगा लिया। अब यहीं उत्पादन होने से हम लोगों को महंगा खरीदा सामान सस्ते में बेचना पड़ रहा है। मास्क व थर्मल स्कैनर का भी यही हाल है। अच्‍छा यह है कि जनता को राहत मिल गई है।

उपकरण              पहले                  अब

थर्मल स्कैनर       8000                2000

ओटी मास्क         10-15              03-06

एन95 मास्क        150-200           80-90

फेस शील्ड           150-200           70-80

सैनिटाइजर आधा लीटर- 350     150-200

सैनिटाइजर पांच लीटर-  2000     600-700   


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