Top Gorakhpur News Of The Day, 01 August 2020, Coronavirus: गोरखपुर शहर का यह हिस्सा सर्वाधिक संक्रमित
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गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दस्तक के पहले से जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक कर रहा है। बावजूद इसके शहर बुरी तरह संक्रमण की जद में आ गया। शहर का उत्तरी क्षेत्र सबसे ज्यादा संक्रमित हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा तैयार की गई कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो गया। राणा हॉस्पिटल में 10 वालंटियरों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई। पुरानी नदिया के पार, फिल्म के हीरो दिलीप कुमार। फिल्म खूब चली और उसका भोजपुरी गीत भी। लिखने वाले थे, देवरिया के मोतीलाल उपाध्याय उर्फ मोती बीए। युवा पीढ़ी तो जानती ही नहीं है कि मोती बीए कौन हैं, कम ही लोग यह भी जानते होंगे मोती बीए ही ने फिल्म उद्योग को पहला भोजपुरी गीत दिया था। शनिवार की सुबह सरयू (घाघरा), राप्ती, रोहिन एवं गोर्रा नदियों के जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई। सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। पहले से प्रभावित गांवों में शुक्रवार को बारिश के बाद मुसीबत और बढ़ गई है। तीन तलाक कानून पास होने का असर समाज में दिखने लगा है। कई मामलों में जुबानी तीन तलाक बोल चुके पति अपनी पत्नियों को कानून के डर से वापस ले गए। कानून से पीडि़ता को भी इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आ गई है और वे थाने में अपनी शिकायतें लेकर पहुंच रही हैं।
Coronavirus: गोरखपुर शहर का यह हिस्सा सर्वाधिक संक्रमित
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दस्तक के पहले से जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक कर रहा है। बावजूद इसके शहर बुरी तरह संक्रमण की जद में आ गया। शहर का उत्तरी क्षेत्र सबसे ज्यादा संक्रमित हुआ है। इस क्षेत्र की संख्या रेलवे अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज व फातिमा अस्पताल में मिले संक्रमितों ने बढ़ा दी। हालांकि गोरखनाथ क्षेत्र में भी संक्रमितों की संख्या कम नहीं रही। इससे इस बात को बल मिलता है कि इस क्षेत्र में एहतियात कम बरते गए।
पूर्वी क्षेत्र में मोहद्दीपुर, महादेव झारखंडी, कूड़ाघाट में ज्यादा संक्रमण पहुंचा। पश्चिमी क्षेत्र में सूर्यकुंड, मिर्जापुर, राजघाट, बसंतपुर व छोटेकाजीपुर इसकी चपेट में अधिक आए। दक्षिणी क्षेत्र में तारामंडल, कलेक्ट्रेट व तहसील परिसर में संक्रमित ज्यादा मिले। गोरखपुर जिले में पहला मामला २६ अप्रैल को आया था। इसके बाद से २८ जुलाई तक केवल शहर में कुल ९७९ लोग संक्रमित हुए।
Coronavirus: गोरखपुर के राणा हॉस्पिटल में ट्रायल शुरू, 10 लोगों को लगाई गई वैक्सीन
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा तैयार की गई कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो गया। राणा हॉस्पिटल में 10 वालंटियरों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई। दूसरी डोज 15 दिन बाद लगाई जाएगी। वैक्सीन लगाने के बाद वालंटियर कुछ देर डॉक्टरों की निगरानी में रहे। इस दौरान दो लोगों को हल्का बुखार, उल्टी, मिचली व चक्कर आने की शिकायत भी हुई।
हॉस्पिटल के मैनेजर वेंकटेश ने बताया कि प्रथम चरण का ट्रायल 31 जुलाई तक पूरा करना था। कुल 34 वालंटियरों को वैक्सीन लगाई जानी है। लेकिन, अभी तक सिर्फ 18 लोग ही मिल पाए हैं। उनमें से केवल 10 की ही शारीरिक जांच पूरी हो पाई थी। इसलिए 10 लोगोंं को ही वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई। कुछ की तबीयत हल्की खराब हुई लेकिन थोड़ी ही देर में वे ठीक हो गए। सभी वालंटियर चार घंटे डॉक्टरों की निगरानी में रहे। इस दौरान शोध की हेड डॉ. सोना घोष व प्रभारी डॉ. निधि भी मौजूद रहीं। हॉस्पिटल के मैनेजर वेंकटेश ने बताया कि भारत बायोटेक ने ट्रायल पर 15 दिन की रोक लगा दी। देर शाम यह निर्देश ई-मेल के जरिए आया।
बॉलीवुड में जिससे चमकी भोजपुरी, उस 'मोती को भूल गए
पुरानी नदिया के पार, फिल्म के हीरो दिलीप कुमार। फिल्म खूब चली और उसका भोजपुरी गीत भी। लिखने वाले थे, देवरिया के मोतीलाल उपाध्याय उर्फ मोती बीए। युवा पीढ़ी तो जानती ही नहीं है कि मोती बीए कौन हैं, कम ही लोग यह भी जानते होंगे मोती बीए ही ने फिल्म उद्योग को पहला भोजपुरी गीत दिया था। गीत था, 'कठवा के नइया बनइहे रे मलहवा। उन्होंने कई भोजपुरी गीत लिखे, लेकिन जिस मोती ने फिल्मों में भोजपुरी को चमकाया, उसके घर देवरिया में ही लोग उसे भुला बैठे। स्मारक बना न मूर्ति लगी। तब के साहित्यकार भी उन्हें जान पाए थे, तभी आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पं हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय ने कहा था, साहित्य संसार ने मोती बीए के कवि-कर्म का उचित मूल्यांकन नहीं किया।
मोतीलाल उपाध्याय का जन्म एक अगस्त 1919 को देवरिया के बरहज के बरेजी गांव में हुआ था। वह राधाकृष्ण उपाध्याय और कौशिल्या देवी की तीन संतानों में दूसरे नंबर के थे। बरहज में हाईस्कूल व गोरखपुर से इंटर पास करने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 1938 में बीए किया। साहित्यरत्न की डिग्री ली लेकिन उस समय के मंचीय कवियों में उन्हीं के बीए होने के कारण मंच पर उन्हें मोती बीए कहा जाने लगा। वह ऐसे रचनाकार थे, जिन्हें फिल्मी तड़क भड़क पसंद नहीं थी। 1950 में मुंबई से लौट आए। 1952 में श्रीकृष्ण इंटर कॉलेज बरहज में शिक्षक बने। 1978 में आदर्श शिक्षक और वर्ष 2002 में साहित्य अकादमी भाषा सम्मान पाया।
मोती बीए महादेवी वर्मा से प्रभावित थे। उनके गीतों की प्रेरणा से लतिका, बादलिका, समिधा, प्रतिबिम्बिनी और अथेति आदि रचनाएं लिखीं। बादलिका से महादेवी वर्मा काफी प्रभावित हुईं थी। मोती बीए की हिदी, भोजपुरी के साथ उर्दू व अंग्रेजी पर भी पकड़ थी। उनके तीन अंग्रेजी और पांच उर्दू काव्य संग्रह भी प्रकाशित हुए थे। उन्होंने रॉजटी और कॉलरिज के काव्य संग्रह और शेक्सपियर के 109 सानेट्स का पद्यानुवाद भी किया है। मुंबई में रहकर मोती बीए ने 80 से अधिक हिदीव भोजपुरी फिल्मों के लिए गीत लिखे। नदिया के पार के साथ सिंदूर, साजन, सुरेखा हरण, किसी की याद, काफिला, राम विवाह, गजब भइले रामा आदि फिल्मों में भी मोती के गीत हिट हुए। साहित्यकार अरुणेश नीरन का कहना है कि मोती बीए भोजपुरी के योद्धा और महान कवि थे। उनका प्रतिमा लगनी चाहिए और स्मारक बनना चाहिए। किसी जनप्रतिनिधि ने इस पर ध्यान नहीं दिया। मोती बीए के पुत्र भालचंद उपाध्याय का कहना है कि पिता जी ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। भोजपुरी को स्थापित किया। उनका स्मारक और प्रतिमा का न होना अफसोसजनक है।
गोरखपुर में सभी नदियां खतरे के निशान से पार, एक से डेढ़ मीटर ऊपर बह रही है राप्ती और रोहिन
शनिवार की सुबह सरयू (घाघरा), राप्ती, रोहिन एवं गोर्रा नदियों के जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई। सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। पहले से प्रभावित गांवों में शुक्रवार को बारिश के बाद मुसीबत और बढ़ गई है। आने-जाने के लिए नाव की संख्या बढ़ाई जा रही है। साथ ही राहत सामग्री का वितरण भी शुरू कर दिया गया है। सरयू नदी अयोध्या पुल एवं तुर्तीपार, दोनों स्थानों पर बढ़त पर है। राप्ती नदी शुक्रवार को शाम घट रही थी लेकिन रात से इसमें भी बढ़त शुरू हो गई। शनिवार की सुबह यह नदी खतरे के निशान से करीब एक मीटर ऊपर बह रही थी। बारिश के कारण राप्ती की सहायक नदियों में पानी बढ़ने एवं सरयू नदी के खतरे के निशान से ऊपर जाने के कारण राप्ती नदी के जलस्तर में भी वृद्धि हो रही है। रोहिन नदी भी खतरे के निशान से काफी ऊपर है।
शनिवार की सुबह आठ बजे त्रिमुहानी घाट पर रोहिन नदी खतरे के बिंदू से एक मीटर 54 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी। गोर्रा नदी भी शुक्रवार तक घटने के बाद शनिवार से बढ़त पर है। यह नदी खतरे के निशान से 51 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जिले के 80 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। शुक्रवार की सुबह हुई भारी बारिश के कारण इन गांवों में मुसीबत और बढ़ गई। अधिकारियों ने अलग-अलग गांवों का दौरा कर हालात का जायजा लिया। सदर तहसील क्षेत्र के जंगल कौड़िया क्षेत्र के कई गांव की स्थिति ठीक नहीं है। बड़गो गांव में भी चारो ओर पानी भरा है। कोरोना संक्रमण के बीच बाढ़ ने अधिकारियों की भी मुसीबत बढ़ा दी है। प्रभावित लोगों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी जरूरी सामान जुटाए जा रहे हैं। जिले में 144 नाव लगाई गई है, जिसमें से सर्वाधिक सदर तहसील क्षेत्र में है। पंचायती राज विभाग की ओर से 15 नाव लगाई जा चुकी है। विभाग जिले को 40 नाव उपलब्ध कराएगा।
चिकित्सकीय सेवाओं के लिए 48 टीमों का गठन किया गया है। प्रभावित क्षेत्रों में क्लोरीन की गोली एवं ओआरएस के पैकेट का वितरण जारी है। मुख्य चिकित्साधिकारी के अनुसार जिला मुख्यालय पर 265 एंटी स्नेक वेनेम, तथा 16 सीएचसी एवं पीएचसी पर 523 एंटी स्नेक वेनेम उपलब्ध है।
Triple talaq : बसने लगे टूटे हुए घर, कम हुई हैं मुस्लिम महिलाओं पर उत्पीडऩ की घटनाएं
तीन तलाक कानून पास होने का असर समाज में दिखने लगा है। कई मामलों में जुबानी तीन तलाक बोल चुके पति अपनी पत्नियों को कानून के डर से वापस ले गए। कानून से पीडि़ता को भी इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आ गई है और वे थाने में अपनी शिकायतें लेकर पहुंच रही हैं। शिकायतों की वजह से ही कानून के उल्लघंन के आरोप में कइयों को जेल की हवा भी खानी पड़ी। उलमा भी शरीयत का हवाला देकर लोगों से तलाक न देकर आपस में सुलह करने पर जोर दे रहे हैं। शहर में 52 वर्षों से सक्रिय दारुल इफ्ता इसके लिए लगातार काम कर रहा है।
देवरिया की युवती का निकाह तीन साल पहले गोरखनाथ के युवक से हुआ था। शादी के कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा, लेकिन बाद में पति का बर्ताव बदलने लगा। कमाई का पूरा हिस्सा वह खुद पर खर्च करता जबकि पत्नी, बच्चों की फिक्र ही नहीं करता। कुछ दिन बाद वह ससुराल वालों से भी रुपयों की मांग करने लगा। पत्नी के विरोध करने पर उसने तीन तलाक की धमकी देनी शुरू कर दी। युवती के घर वालों ने तीन तलाक के कानून का हवाला देकर पति को समझाया तो बात उसके समझ में आ गई। इसके बाद उसने न केवल पत्नी से माफी मांगी बल्कि बच्चों को साथ रखकर अब उनका भरण-पोषण भी कर रहा है।
ऐसा ही एक अन्य मामला बक्शीपुर का सामने आया। यहां की एक महिला शिक्षिका है, जिसका पति उसकी सारी तनख्वाह छीन लिया करता था। यहां तक कि वह बच्चों की परवरिश के लिए भी पैसे नहीं देता था। शिक्षिका के विरोध करने पर वह तीन तलाक की धमकी देता था। दो बार तो उसने तलाक बोल भी दिया था और तीसरी बार के लिए आए दिन पत्नी को प्रताडि़त कर उसकी तनख्वाह ले लेता था। तीन तलाक कानून पास होने के बाद महिला के परिवार और समाज के सम्मानित लोगों ने पति को समझाया कि अगर पत्नी ने शिकायत कर दी तो जेल भी जा सकते हो। इस मामले में उलमा के हस्तक्षेप से पति को समझ आ गया और वह पत्नी को अब ऐसी धमकी नहीं दे रहा है।
तलाक के मुद्दे पर महिलाओं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वाली सादिया अंजुमन के मुताबिक सरकार ने तीन तलाक पर कानून बनाकर नेक काम किया है। इससे मुस्लिम महिलाओं पर उत्पीडऩ की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन खत्म नहीं हुई है। पुलिस की उदासीनता की वजह से बहुत से लोग अब भी तीन तलाक देकर कानून से बच जा रहे हैं।
दारुल इफ्ता के मुफ्ती मौलाना वलीउल्लाह का कहना है कि दारुल इफ्ता में तलाक से जुड़े काफी सवालात आते हैं, जिसका शरीयत के हवाले से जवाब दिया जाता है। कोशिश होती है कि मियां-बीवी को समझाकर रिश्तों की डोर टूटने से बचा दिया है। यह जरूर है कि बीते कुछ महीनों से एक साथ तीन तलाक से जुड़े मामलात में कमी आई है। एसएसपी डॉ. सुनील गुप्ता का कहना है कि हाल के महीनों में तीन तलाक की शिकायतें नहीं आई हैं। घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीडऩ के मामले जरूर सामने आए हैं, लेकिन महिलाओं की तरफ से ऐसी शिकायतें नहीं मिली हैं कि पति तीन तलाक की धमकी दे रहा है।