इस जिला अस्पताल में इमरजेंसी व्यवस्था भी बेसहारा,मरीजों की दुर्गति Gorakhpur News
संयुक्त जिला अस्पताल का हाल मत पूछिए। यहां मरीजों की कौन पूछे इमरजेंसी की व्यवस्था भी बेसहारा है। गंभीर मरीजों को इमरजेंसी तक पहुंचने का कोई इंतजाम भी नहीं दिखता। जो मरीज आए उन्हे बेड पर चादर तक मुहैया नहीं कराई जा रही है। यह हाल तक का है जब प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए लगातार काम कर रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। सिद्धार्थनगर संयुक्त जिला अस्पताल का हाल मत पूछिए। यहां मरीजों की कौन पूछे इमरजेंसी की व्यवस्था भी बेसहारा है। गंभीर मरीजों को इमरजेंसी तक पहुंचने का कोई इंतजाम भी नहीं दिखता। जो मरीज आए उन्हे बेड पर चादर तक मुहैया नहीं कराई जा रही है। यह हाल तक का है जब प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए लगातार काम कर रही है।
जिला अस्पताल इमरजेंसी सेवा बदहाल
जिला अस्पताल में इमरजेंसी सेवा पूरी तरह से बदहाल दिखी। चिकित्सक मरीज के आने का इंतजार करते दिखे। कोड़रा निवासी सहाबुन्निशा साथ में मरीज लेकर आई थीं। उनके साथ आई महिला पेट में दर्द के कारण बोल पाने की स्थिति में नहीं थीं। उन्हे इमरजेंसी के बगल में बने हाल में बिछे बिना चादर के बेड पर लेटा दिया गया। उन्हे इंजेक्शन देकर आराम करने को कहा गया।
यहां पानी की भी व्यवस्था नहीं
कुछ देर बाद सहाबुन्निशा को प्यास लगी तो वह आरओ खोजने लगीं। जब कहीं पता नहीं चला तो परिसर में लगे हैंडपम्प से पानी पीया। उन्होंने बताया कि साफ-सफाई बेहतर न होने से यहां बदबू से रुकना मुश्किल हो गया है। पहले यहां हर दिन करीब सौ मरीज इलाज कराने आते थे। यह संख्या मौसम बदलने के साथ आधी हो गई। जोगिया निवासी जगदीश बुखार से पीड़ित थे। दर्द के मारे चंद कदम चलना मुश्किल था। इमरजेंसी में मौजूद चिकित्सक ने मौजूद फार्मासिस्ट को दर्द निवारक इंजेक्शन लगाने को कहा। इंजेक्शन लगने के बाद उन्हे आराम हुआ। दवा के नाम पर इन्हे एक- दो गोली देकर वापस घर भेज दिया। इमरजेंसी के पास बना शौचालय पूरी तरह बदहाल दिखी। पान की पीक बिखरा पड़ा नजर आया। इससे साफ-सफाई के हालत का पता खुद ब खुद चल रहा था। वार्ड ब्याय का कहीं पता तक नहीं।
बोले परिजन
अस्पताल में मौजूद रमेश कुमार, देवेंद्र ने बताया कि सफाई करते किसी को नहीं देखा। संयुक्त जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ रोचस्मति पांडेय ने कहा कि स्टाफ की कमी है। मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। दवाओं की कमी नहीं हैं। इंतजाम को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है।