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यूपी के इस गांव को आज तक नहीं मिला शौचालय, टोला भी 20 किमी दूर

परिसीमन की चूक के चलते सिद्धार्थनगर जिले के खुनियांव ब्लाक के राजपुर ग्राम पंचायत का एक हिस्सा कोहल पुरवा की एक हजार आबादी को सरकारी योजनाएं नहीं मिल पा रही। मूल गांव से टोला 20 किमी दूर है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 11:30 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 11:30 AM (IST)
यूपी के इस गांव को आज तक नहीं मिला शौचालय, टोला भी 20 किमी दूर
खराब हैंडपंप के पास ख्रड़े मंदिर के पुजारी। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : परिसीमन की चूक के चलते सिद्धार्थनगर जिले के खुनियांव ब्लाक के राजपुर ग्राम पंचायत का एक हिस्सा कोहल पुरवा की एक हजार आबादी को सरकारी योजनाएं नहीं मिल पा रही। मूल गांव से टोला 20 किमी दूर है। शासन-प्रशासन की अनदेखी कहें या उदासीनता, आज तक इस गांव में एक भी ग्रामीण को सरकारी शौचालय का लाभ नहीं मिला।

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प्रधान से मिलने के लिए 40 किलोमीटर का करना पड़ता है आवागमन

गांव का पुरवा राप्ती नदी के दक्षिण छोर पर जो डुमरियागंज ब्लाक क्षेत्र में आता है, वहीं ग्राम पंचायत राजपुर राप्ती के उत्तरी दूसरे छोर पर खुनियांव ब्लाक में स्थित है। गांव की अन्ना देवी कहती हैं हम लोगों को प्रधान से मिलने के पहले डुमरियागंज, शाहपुर होकर राजपुर जाना पड़ता है। जिससे दोनों तरफ के आवागमन की दूरी 40 किमी हो जाती है। निजी साधन न हो तो पहुंचना ही कठिन हो जाता है। रामपाल कहते हैं कि लगता है कि हम लोग दो देशों की सीमा पर हों। जहां विकास की आस बेईमानी है।

मुहर, दस्‍तख्‍त के लिए भी लगानी पड़ती है दौड़

रामाज्ञा कहते हैं पूरे बारिश के मौसम में राप्ती उफनाई रहती है, नाव चलना भी संभव नही होता है। फूलमती देवी उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुकी है, कहती हैं कि क्या देख के अधिकारियों ने मेरे गांव को खुनियांव ब्लाक में जोड़ दिया था। जब यहां के लोगों के लिए डुमरियागंज आसान व सुलभ है तो आसपास के गांव में सम्मिलित कर ग्राम पंचायत बना देते। कम से कम प्रधान से व्यथा तो कह लेते। मुहर, दस्तखत के लिए दौड़ लगानी पड़ती है। बीडीओ सतीश पांडेय ने कहा कि यदि पूरवा में विकास कार्य नही हुए है तो जांच करके कराया जाएगा

दिन में भरपेट भोजन नही करती आधी आबादी

कोहल गांव की करीब एक हजार की आबादी के बीच एक भी शौचालय नहीं है। ऐसे में आर्थिक रूप से पिछड़े इस गांव की आधी आबादी दिन में आधे पेट भोजन करने को विवश है। कहीं जरूरत पड़ गई तो लोकलाज के डर से कैसे निकलेगे। गांव की मालती, विमला देवी, बुधना, शकुंतला, रामकली, नीमा देवी, कैलाशी आदि ने कहा पूरे गांव में एक भी शौचालय किसी को नहीं मिला है।

कहीं नहीं हुआ नाली का निर्माण

पूरे गांव में कही भी नाली का निर्माण नहीं हुआ है। सभी के दरवाजों के सामने लगे देशी हैंडपंप के करीब गड्ढे खुदे हैं, जिसमें घरों का गंदा पानी इकट्ठा होता है। भर जाने पर महिलाओं को बाल्टी से निकाल कर इधर-उधर फेंकना पड़ता है। शुद्ध जल के नाम पर जल निगम पैसा पानी की तरह भले ही बहाता हो पर धरातल पर उसकी असलियत देखनी हो तो यहां पर देखी जा सकती है। केवल दो इंडिया मार्का हैंडपंप लगे हैं, जो काफी लंबे अर्से से खराब है। सभी लोग देशी नल का पानी पीते है, जिससे संक्रामक जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा बना है।

क्या कहते हैं प्रधान

नवनिर्वाचित प्रधान राजपुर घनश्याम कहते हैं पुरवे के विकास के लिए प्रस्ताव दिए हैं। समय-समय पर पुरवे पर जाता रहता हूं। नदी के कारण दिक्कत तो होती ही है।

जांच करा कर होगी कार्रवाई : डीएम

जिलाधिकारी दीपक मीणा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक ही ग्राम के हिस्से नदी के दो तट पर है, इसकी जानकारी नही है। एक पुरवे के लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे है। इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।


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