इस बार धारा बदली तो घाघरा में समा जाएंगे चार गांव
बाढ बचाव के भले ही काम किए जाय लेकिन यहां काम पूरा नहीं है नदी ने धारा बदली तो चार गांव नदी की धारा में विलीन हो जाएंगे
गोरखपुर: जपपद बस्ती के विक्रमजोत विकासखंड के चार गांव इस बार नदी की धारा में समा जाएंगे। घाघरा नदी की बाढ़ के पिछले अनुभवों से यह स्पष्ट होने लगा है कि सहजौरा पाठक,कल्यानपुर, भरथापुर, पड़ाव जैसे चार गांवों का अस्तित्व संकट में है। बस्ती जनपद में नदी वर्ष 1971 से लगातार फैजाबाद की सीमा छोड़ बस्ती की तरफ बढ़ रही है। हालत यह है कि कटान की जद में आए गांवों में निवास करने वाली लगभग 1500 की जनसंख्या का दिन का चैन रात की नींद हराम हो गई है। वर्तमान समय में नदी आबादी की भूमि से सट कर बह रही है। बिना बाढ़ के ही किनारे कट कर नदी की धारा में समा रहे हैं। बाढ़ आने पर क्या हाल होगा सोच कर ही लोगों की रूह कांप जा रही है। इन गांवों में बसे लोगों को विस्थापित करने की चार वर्ष पूर्व बनी योजना पर आज तक अमल नहीं हो सका है। विक्रमजोत विकासखंड में घाघरा के कहर का दौर वर्ष 1971 से शुरू हुआ। इन 47 वर्षों में प्रशासन की शिथिलता और घाघरा के कहर से 50 से अधिक गांव उजड़ गए। इन गांवों के लोग इधर-उधर शरण लेकर जीवन-यापन कर रहे हैं। नदी धीरे-धीरे बढ़ते हुए अब राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट तक आ गई है इसके बाद भी जिम्मेदार गंभीर नहीं हो रहे हैं। इधर चार वर्षों में नदी जिस प्रकार से कटान कर जिले की सीमा में लगभग तीन किमी अंदर घुसी है उससे हाइवे सहित दर्जन भर गांवों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। सहजौरा पाठक, कल्यानपुर, भरथापुर, पड़ाव अतिसंवेदनशील की श्रेणी में पहुंच गए हैं। लोगों का कहना है कि यदि इस बार घाघरा ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो इन गांव को बचाना संभव नहीं हो पाएगा। जानकारों का कहना है कि इन गांवों पर संकट हमेशा रहेगा क्योंकि विक्रमजोत-लोलपुर तटबंध का काम पूरा भी होता है तो यह गांव बंधे व नदी के बीच आ जाएंगे। कल्यानपुर के केशव चंद्र पांडेय, संजय यादव ,हेमंत पांडेय, मंगल यादव, बैजनाथ, दयाशंकर, प्रेम, राजबहादुर शर्मा का कहना है कि अब तक प्रशासन ने न तो गांव को विस्थापित करने की दिशा में ही कोई पहल की है और न ही गांव को बचाने के लिए कोई ठोस कदम ही उठाया।
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मंत्री ने भी दिया था विस्थापन का आश्वासन
पिछले वर्ष बाढ़ व कटान की विभीषिका का निरीक्षण करने आए उत्तर प्रदेश सरकार के खादी ग्रामोद्योग मंत्री सत्यदेव पचौरी ने कल्याणपुर गांव का जायजा लिया था उन्होंने भी विस्थापन व तटबंध निर्माण व गांव की सुरक्षा का आश्वासन ग्रामीणों को दिया था। वर्ष भर बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई। वर्ष 16 में तत्कालीन जिलाधिकारी नरेंद्र पटेल ने इन गावों की संवेदनशीलता को देखते आदेश दिया था कि इन गावों का तत्काल विस्थापन कर दिया जाए। अगर जमीन नहीं मिल रही है तो जमीन खरीद ली जाए। तहसील प्रशासन न तो जमीन की व्यवस्था कर पाया न ही इन गावों का विस्थापन हो सका। एसडीएम एसपी शुक्ल ने कहा कि उन्होंने चारो गांवों का निरीक्षण किया है। गांवों के विस्थापन की योजना की जानकारी नहीं है। यदि कोई योजना बनी है तो उसपर काम किया जाएगा।