गोरखपुर में कई जगह बाग, अभी देंगे ध्यान तभी मिलेंगे आम के अच्छे दाम Gorakhpur News
निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग डा.आरके तोमर का कहना है कि गोरखपुर व उसके इर्द-गिर्द जिलों में गौरजीत बड़े पैमाने पर है। उन्होंने कहा कि मई अंतिम सप्ताह से गौरजीत के फल पकने शुरू हो जाते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। पहले टाक्टे फिर यास। दोनों तूफान के चलते मई में इतनी बारिश हुई कि डेढ़ सदी का रिकार्ड टूट गया। यह बारिश आम के स्वाद में भी प्रभाव डालेगी। बारिश के बाद यदि तेज धूप हुई तो आम में मिठास रहेगी। यदि बादल घेरे रहेंगे तो आम में अपेक्षाकृत मिठास कम आएगी।
गोरखपुर जिले में कैंपियरगंज, भटहट, खजनी, सहजनवां, बड़हलगंज सहित कई स्थानों पर आम के बड़े बाग हैं। आम तौर पर यहां जून के प्रथम सप्ताह से आम के फल पकने शुरू होते हैं। लेकिन इस बार अभी से आम के फल पकने शुरू हो गये हैं। जंगल हरपुर निवासी व आम के बाग मालिक अवधेश कुमार पाण्डेय का कहना है कि इस बार आंधी तूफान के चलते आम के फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है। आम की साइज भी पूरी तरह विकसित नहीं हो पाई है और पकने शुरू हो गए हैं।
गौरजीत के लिए उपयुक्त है यह बारिश
हालांकि निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग डा.आरके तोमर का कहना है कि गोरखपुर व उसके इर्द-गिर्द जिलों में गौरजीत बड़े पैमाने पर है। उन्होंने कहा कि मई अंतिम सप्ताह से गौरजीत के फल पकने शुरू हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पहले टाक्टे फिर कड़क धूप और यास, गौरजीत के लिए उपयुक्त समय है। बारिश बंद होते ही तेजी से गौरजीत के फल पकेंगे। किसानों को चाहिए कि वह फलों को तोड़कर उन्हें समय पर बाजार में उतार दें। इससे आम का अच्छा दाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि सारी सावधानी आम को तोडऩे में ही बरतनी है। किसान जब फलों को तोड़ते हैं तो वह कच्चे, पके सभी फल एक साथ तोडऩा शुरू कर देते हैं। ऐसे में पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाए फलों में बेहतर स्वाद भी नहीं आ पाता है। फलों में स्वाद मौसम से बनता है। जब लू चलती है तो फलों में मिठास अधिक होती है। पुरवइया हवाओं के चलने से आम में फीकापन आ जाता है। यही वजह है कि बारिश के बाद खरबूज व तरबूज में मिठास नहीं रह जाती है। यह आम पर भी लागू होता है। जब मौसम ज्यादा ठंडा रहता है तो आम में मिठास कम रहती है। बारिश के दिनों में कीड़े व बीमारी दोनों के लिए समय उपयुक्त रहता है। बारिश के बाद फल पकने की प्रक्रिया तेज होगी। ऐसे में किसानों को चाहिए कि जो फल छोटे साइज के हैं, जिनकी देर से पकने की संभावना है, उसे बाद में तोड़ा जाए। जो बड़े-बड़े हैं, उसे समय से तोड़ लिया जाए। फल तोडऩे के लिए हार्वेस्टर(फल तोडऩे की मशीन) का उपयोग करें। डंडों से तोडऩे पर फल नीचे गिर जाते हैं। इससे आधे से अधिक फल खराब हो जाते हैं।