आश्चर्यचकित कर देने वाला है थाई बुद्ध विहार, इस धातु से बना है यह मंदिर
कुशीनगर में थाई बुद्ध विहार मंदिर के निर्माण में 10 मिलियन डालर लगा है। यहां से स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में निश्शुल्क काम किया जा रहा है।
By Edited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 10:15 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 10:15 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में करीब ढाई दशक पूर्व स्थापित वाटथाई चलरेमराज बुद्ध विहार क्षेत्र में धर्म, सेवा और पर्यटन का अदभुत केंद्र बनकर उभरा है। यहां एक तरफ यहां पर जहां भगवान बुद्ध का शांति और अ¨हशा का संदेश गुंजता है, वहीं शिक्षा व चिकित्सा के माध्यम से मानवीयता की अलख भी जगाई जाती है। इन सबसे अलग है विहार की दिव्य छटा जो पर्यटकों को बरबस अपनी खींच लेती है।
यहां थाई स्थापत्य कला का नजारा देखने को मिलता है। स्वर्णयुक्त थाई महाचैत्य की तो बात ही अलग है। बुद्ध विहार की देखरेख के लिए थाई राजा का विशेष सहयोग मिलता है। कुशीनगर आने वाले सैलानियों के लिए यह विशेष आकर्षण का केंद्र है। हीनयान का यह थाई बुद्ध विहार धर्म व आस्था के साथ मानव सेवा की मिसाल कायम कर रहा है। क्षेत्र के मरीजों के सस्ते इलाज के लिए आलीशान सुविधायुक्त चैरीटेबल चिकित्सालय की स्थापना की गई तो बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने का कार्य भी किया जाता है। बौद्ध भिक्षु यहां ¨हदी व अंग्रेजी के साथ-साथ थाई भाषा सिखाने का भी कार्य करते हैं।
विहार के पश्चिमी किनारे पर साधना करने के लिए 10 कुटियों की स्थापना की गई है। जहां साधना की धूनी जमती है। यहां रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं को थाई राजा के विशेष सहयोग से निश्शुल्क भोजन व अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। थाई बुद्ध विहार के निर्माण में थाई शिल्पकारों व राजगीरों ने अपने हुनर का ऐसा प्रयोग किया है कि थाई स्थापत्य कला का नायाब नमूना बन गया है। निर्माण में लगा है 10 मिलीयन डॉलर से विहार के अंदर विभिन्न भाव भंगिमाओं में स्थापित तथागत की प्रतिमाएं विभिन्न तरह के संदेश देती हैं।
लगभग 10 मिलियन डालर से बना स्वर्णयुक्त थाई महाचैत्य अदभुत, आश्चर्यजनक और चकित करने वाला है। सुरक्षा की दृष्टि से इसे बुलेट प्रूफ बनाया गया है। सिहोर के वृक्ष, बांस व साल के पौधे इसे विशेष आकर्षण प्रदान करते हैं। प्राचीन भारतीय धर्म और संस्कृति को दर्शाती भगवान विष्णु व गरुण पक्षी की मूर्ति भी परिसर में मौजूद है। विहार के प्रधान डा. पी खोमसान कहते हैं कि भारत व थाईलैंड के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की मजबूती, दोनों देशों की कला, सभ्यता, परंपरा, संस्कृति और उत्थान का गवाह है यह स्थल। जिसके चलते यहां प्रति वर्ष हजारों सैलानी पहुंचकर सुंदरता का अवलोकन करते हैं और बुद्ध की शांति व अ¨हसा के सिद्धांतों को साथ ले जाते हैं।
यहां थाई स्थापत्य कला का नजारा देखने को मिलता है। स्वर्णयुक्त थाई महाचैत्य की तो बात ही अलग है। बुद्ध विहार की देखरेख के लिए थाई राजा का विशेष सहयोग मिलता है। कुशीनगर आने वाले सैलानियों के लिए यह विशेष आकर्षण का केंद्र है। हीनयान का यह थाई बुद्ध विहार धर्म व आस्था के साथ मानव सेवा की मिसाल कायम कर रहा है। क्षेत्र के मरीजों के सस्ते इलाज के लिए आलीशान सुविधायुक्त चैरीटेबल चिकित्सालय की स्थापना की गई तो बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने का कार्य भी किया जाता है। बौद्ध भिक्षु यहां ¨हदी व अंग्रेजी के साथ-साथ थाई भाषा सिखाने का भी कार्य करते हैं।
विहार के पश्चिमी किनारे पर साधना करने के लिए 10 कुटियों की स्थापना की गई है। जहां साधना की धूनी जमती है। यहां रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं को थाई राजा के विशेष सहयोग से निश्शुल्क भोजन व अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। थाई बुद्ध विहार के निर्माण में थाई शिल्पकारों व राजगीरों ने अपने हुनर का ऐसा प्रयोग किया है कि थाई स्थापत्य कला का नायाब नमूना बन गया है। निर्माण में लगा है 10 मिलीयन डॉलर से विहार के अंदर विभिन्न भाव भंगिमाओं में स्थापित तथागत की प्रतिमाएं विभिन्न तरह के संदेश देती हैं।
लगभग 10 मिलियन डालर से बना स्वर्णयुक्त थाई महाचैत्य अदभुत, आश्चर्यजनक और चकित करने वाला है। सुरक्षा की दृष्टि से इसे बुलेट प्रूफ बनाया गया है। सिहोर के वृक्ष, बांस व साल के पौधे इसे विशेष आकर्षण प्रदान करते हैं। प्राचीन भारतीय धर्म और संस्कृति को दर्शाती भगवान विष्णु व गरुण पक्षी की मूर्ति भी परिसर में मौजूद है। विहार के प्रधान डा. पी खोमसान कहते हैं कि भारत व थाईलैंड के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की मजबूती, दोनों देशों की कला, सभ्यता, परंपरा, संस्कृति और उत्थान का गवाह है यह स्थल। जिसके चलते यहां प्रति वर्ष हजारों सैलानी पहुंचकर सुंदरता का अवलोकन करते हैं और बुद्ध की शांति व अ¨हसा के सिद्धांतों को साथ ले जाते हैं।
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