आप भी देखें, गोरखपुर विश्वविद्यालय का जर्जर लैब, जहां जंग लगे उपकरणों से हो रहा शोध Gorakhpur News
रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओपी पांडेय का कहना है कि विवि प्रशासन को दर्जनों बार अवगत कराया जा चुका है। कोई ठोस पहल नहीं हुई।
गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एक तरफ नैक मूल्यांकन की तैयारी में है, तो दूसरी तरफ यहां बीएससी प्रथम व द्वितीय वर्ष रसायन के छात्र जान जोखिम में डालकर जर्जर भवन में जंग लगे उपकरणों से शोध कार्य करने को विवश हैं। बीते एक वर्ष में शिक्षक व छात्र हादसे का शिकार होने से बचे हैं। गत 16 नवंबर को दिन में 11.40 बजे प्रथम वर्ष के छात्र शोध कार्य कर रहे थे। इसी दौरान अचानक छत का कुछ हिस्सा टूटकर गिर पड़ा। गनीमत रही कि कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
टपकती है छत, दीवार में करंट
बरसात के मौसम में प्रयोगशाला की छत टपकती है, तो दीवारों में करंट उतर आता है। शिक्षकों व छात्रों ने बताया कि शोध कार्य के दौरान हम दहशत में रहते हैं। छात्र प्रतिवर्ष शोधकार्य के नाम पर लगभग 1640 रुपये शुल्क देते हैं। वर्तमान में 480 छात्र-छात्राएं हैं।
1958 में हुआ था लोकार्पण
रसायन शास्त्र विभाग विवि का सबसे पुराना भवन है। इसे पंत भवन भी कहते हैं। 1 मई 1950 को मुख्यमंत्री रहे पं.गोविंद बल्लभ पंत ने शिलान्यास किया था। 1958 में लोकार्पण हुआ। पहले यह प्रशासनिक भवन था। विभागाध्यक्ष का कक्ष ही कुलपति कक्ष हुआ करता था।
दर्जनों बार अवगत कराया, कोई ठोस नतीजा नहीं
इस संबंध में रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओपी पांडेय का कहना है कि विवि प्रशासन को दर्जनों बार अवगत कराया जा चुका है। कोई ठोस पहल नहीं हुई। चार वर्ष से नई प्रयोगशाला का निर्माण हो रहा है, अभी तक कार्यदायी संस्था ने उसे हैंडओवर नहीं किया।
कुलपति ने कहा-मामला संज्ञान में
इस संबंध में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजय कृष्ण सिंह का कहना है कि प्रयोगशाला की स्थिति गंभीर है। मामला संज्ञान में आया है। प्राथमिकता के आधार पर बजट अवमुक्त कराकर इसे दुरुस्त कराया जाएगा।