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कोरोना से जंग में मिसाल बन चुके हैंं यह चिकित्सक

सर्विलांस कंट्रोल रूम और सैंपलिंग तक में जुटे इन सीनियर सिटीजन चिकित्सकों ने एहतियात के दम पर खुद को कोरोना से सुरक्षित भी रखा है। काम भी कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इनके जज्बे के कायल हो चुके हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 12:37 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 12:37 PM (IST)
कोरोना से जंग में मिसाल बन चुके हैंं यह चिकित्सक
ये डा. एसके वर्मा की फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। कहने को तो यह लोग सीनियर सिटीजन की श्रेणी में आ गये हैं, लेकिन काम में नौजवानों को भी मात दे रहे हैं। बात की जा रही है जिले के उन सीनियर सिटीजन चिकित्सकों की जो कोरोना से जंग में मिसाल कायम कर रहे हैं। इनके जज्बे और हौसले ने उम्र की चिंताओं को इनके चेहरे से गायब ही कर दिया है। सर्विलांस, कंट्रोल रूम और सैंपलिंग तक में जुटे इन सीनियर सिटीजन चिकित्सकों ने एहतियात के दम पर खुद को कोरोना से सुरक्षित भी रखा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इनके जज्बे के कायल हो चुके हैं।

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मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) की निगरानी देख रहे डॉ. एसके वर्मा 73 वर्ष के हैं। वह सुबह 8 बजे घर से निकल कर जिला अस्पताल पहुंच जाते हैं। वहां से दिन भर यूनिट के साथ रहते हैं और कोरोना की सैंपलिंग की गुणवत्ता निर्धारित करवाने के अलावा रिपोर्टिंग एवं कोआर्डिनेशन की जिम्मेदारी संभालते हैं। गोरखपुर में मार्च माह से ही वह दिन रात इस मुहिम में जुटे हुए हैं। छुट्टियों के बारे में पूछे जाने पर कहते हैं, ‘‘यह काम करने में काफी अच्छा लगता है। हम समाज की भलाई में जुटे हैं। शुरुआती दौर में तो छुट्टिया मिलनी मुश्किल थीं लेकिन अभी थोड़ा बहुत आराम मिल जाता है। हम अगर उम्र की परवाह करने लगे तो कैसे काम चलेगा।’’ डॉ. वर्मा घर जाने के बाद पूरी सतर्कता के साथ घर में प्रवेश करते हैं और कपड़े घर के बाहर ही निकाल देते हैं। उनकी अपील है कि लोग कोरोना से खुद को सतर्क रखते हुए बचाव करें। फिलहाल सतर्कता ही इसका सबसे बेहतर इलाज है।

जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए कंट्रोल रूम में 64 वर्षीय आयुष चिकित्सक डॉ. मुरली मनोहर अवस्थी सुबह पौने 6 बजे पहुंच जाते हैं और अपराह्न 2.30 बजे तक ड्यूटी करते हैं। कंट्रोल रूम में लगातार फोन पर वह लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं। होम आइसोलेशन वाले लोग उनसे आयुष पद्धति से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जानकारी प्राप्त करते हैं। उन्होंने बताया, ‘‘जब कोरोना संक्रमण का दौर शुरू हुआ और बाहर से प्रवासी आने लगे तो उनकी ड्यूटी सर्विलांस टीम में लगी थी। पहले थोड़ा सा भय लगा लेकिन बाद में यह समझ में आ गया कि सतर्कता रखेंगे तो बीमारी से बचे रहेंगे। घर जाते ही सारे कपड़े बाहर निकाल देता हूं। घर के बाहर शरारिक दूरी का पालन करता हूं और मॉस्क का भी इस्तेमाल पूरी सावधानी से करता हूं।’’

कोरोना ड्यूटी के पर्यवेक्षण में जुटे अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय, उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा  एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल और जिला क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ. मुस्तफा खान ने बताया उम्र की इस दहलीज पर सक्रियता से जुटे सीनियर चिकित्सक काफी सतर्कता से काम करते हैं। विभागीय प्रयास रहता है कि उन्हें अत्यधिक भीड़भाड़ वाली जगहों से बचाया जाए। पूरी सतर्कता के साथ यह लोग बेहतर योगदान दे रहे हैं।

नजीर हैं लोग

सीएमओ डा. श्रीकांत तिवारी के अनुसार सीनियर सिटीजन की श्रेणी में आ चुके जो चिकित्सक समाज को बचाने के लिए कोरोना काल में योगदान दे रहे हैं, वह समाज के लिए नजीर हैं। ऐसे लोगों का मनोबल बढ़ाया जाना चाहिए। किसी भी चिकित्सक, पैरामेडिकल या अन्य स्टॉफ के साथ कोरोना ड्यूटी के कारण भेदभाव नहीं होना चाहिए। हम सभी मिल कर इस लड़ाई को अवश्य जीतेंगे।


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