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बहुत गंभीर है यह बीमारी, हर साल जा रही 10 लाख लोगों की जान- ऐसे करें बचाव

Chronic obstructive pulmonary disease 70 से 80 प्रतिशत मरीज धूमपान के कारण सीओपीडी के शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी की वजह से हर साल 10 लाख लोगों की जान चली जाती है। भारत में हार्ट अटैक के बाद सबसे ज्यादा मौतें इसी बीमारी से होती हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 12:55 PM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 01:33 PM (IST)
बहुत गंभीर है यह बीमारी, हर साल जा रही 10 लाख लोगों की जान- ऐसे करें बचाव
क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से हर साल 10 लाख लोगों की मौत हो रही है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Chronic Obstructive Pulmonary Disease COPD Protection: सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) बेहद खतरनाक और गंभीर बीमारी है। हर साल इसकी वजह से 10 लाख लोगों की जान चली जाती है। भारत में हार्ट अटैक के बाद सबसे ज्यादा मौतें इसी बीमारी से होती हैं। इससे बचने का एकमात्र उपाय सतर्कता है।

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70 से 80 प्रतिशत मरीज धूमपान के कारण सीओपीडी के होते हैं शिकार

यह बातें चेस्ट फिजिशियन डा. वीएन अग्रवाल व डा. नदीम अर्शद ने कही। दोनों लोगों ने अलग-अलग स्थानों पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए इस बीमारी के प्रति जागरूक किया। कहा कि 70 से 80 प्रतिशत मरीज धूमपान के कारण सीओपीडी के शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में सिगरेट के डिब्बों पर भी कैंसर की तरह वैधानिक चेतावनी के रूप में सीओपीडी को भी लिखा जाए। सीओपीडी में फेफड़ों के फूलने और पिचकने की क्षमता घट जाती है। श्वास नली में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से मरीज को सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है। इस मौसम में ऐसे मरीजों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।

अभी तक नहीं म‍िल पाया स्‍थाई इलाज

अब तक सीओपीडी का स्थायी इलाज नहीं है। ऐसे में बचाव ही बेहतर उपचार है। समय-समय पर फेफड़ों की जांच कराते रहना चाहिए। डा. वीएन अग्रवाल ने बताया केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र भेजकर व ट्वीट कर अपील की गई है कि सिगरेट और बीड़ी के डिब्बों पर कैंसर के साथ सीओपीडी की चेतावनी भी लिखी जाए। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग सीओपीडी के प्रति जागरुक हो सकें।

तीन गुना बढ़ी दूसरी डोज वालों की संख्या

कोविड टीकाकरण अभियान में सोमवार को 233 बूथों पर 23018 लोगों को कोरोना रोधी टीका लगाया गया। 5722 को पहली व 17296 लोगों को दूसरी डोज दी गई। जैसे-जैसे टीकाकरण आगे बढ़ता जा रहा है, दूसरी डोज वालों की संख्या बढ़ती जा रही है और पहली डोज वाले लोग घट रहे हैं। सोमवार को बूथों पर दूसरी डोज वालों की संख्या लगभग तीन गुना थी। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. एनके पांडेय ने बताया कि वैक्सीन की कमी नहीं है। दूसरी डोज का जिनका समय पूरा हो चुका है, वे बूथों पर पहुंचकर टीका जरूर लगवा लें। पहली डोज से भी लगभग 11 लाख लोग वंचित हैं, उन्हें भी आगे आकर टीका लगवा लेना चाहिए।


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