इस दीपावली मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश व दीयों का रहा बोलबाला Gorakhpur News
अनुमान के मुताबिक 30 से 40 लाख दीये तो दो लाख से ऊपर प्रतिमाएं बिक गईं। मिट्टी कला से जुड़े शिल्पकारों के अनुसार एक करोड़ रुपये से अधिक की मूर्तियां केवल शहर में बिकी हैं। शहर में चारो ओर दुकानें लगी थीं और जमकर खरीदारी भी हुई।
गोरखपुर, जेएनएन। इस दीपावली आत्मनिर्भर भारत अभियान का खूब असर देखने को मिला। शहर में चारो ओर मिट्टी के दीये व मूर्तियों की दुकानें सजी थीं और लोगों ने जमकर खरीदारी भी की। अनुमान के मुताबिक 30 से 40 लाख दीये तो दो लाख से ऊपर प्रतिमाएं बिक गईं। मिट्टी कला से जुड़े शिल्पकारों के अनुसार एक करोड़ रुपये से अधिक की मूर्तियां केवल शहर में बिकी हैं।
जहां देखिए, हर तरफ टेराकोटो के सामान
कोरोना संक्रमण काल में स्थानीय उत्पादों को महत्व देने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया। चारो ओर बंदी होने के कारण कुम्हारों ने बड़े पैमाने पर दीये का उत्पाद किया था। चीन के सामान के विरोध का असर दिखा। लोगों ने मिट्टी की मूर्तियों व दीयों को खूब महत्व दिया। उत्पादन करने वाले शिल्पकारों के पास थोक में खरीदने वाले पहुंचते रहे। शहर में जहां जाइए, टेराकोटा के सामान व मिट्टी से बने दीये व मूर्तियां जरूर नजर आते थे। पादरी बाजार के जंगल तिनकोनिया नंबर दो निवासी शिल्पकार ब्रह्मा प्रजापति का कहना है कि इस साल उन्होंने करीब 700 मूर्तियां बनाई थीं, जिसमें से 650 के करीब बिक गईं। दीयों की भी बिक्री हुई।
क्या कहते हैं मिट्टी के कलाकार
उन्होंने कहा कि हर साल की तुलना में इस बार दुकानें अधिक लगी थीं, इसलिए कई लोगों का सामान बच भी गया। पर, खरीदारी हर बार से बढ़ी है। बक्शीपुर निवासी शिल्पकार अवधेश प्रजापति के अनुसार उनके जानने वाले जितने लोगों ने मूर्तियां बनाई थीं, सब बिक गईं, यहां तक कि आर्डर लौटाना भी पड़ा। अवधेश का अनुमान है कि गोरखपुर में एक करोड़ रुपये से अधिक की मूर्ति बिकी होगी। इसमें कोलकाता से आने वाली मिट्टी की मूर्ति भी शामिल है। प्लास्टर आफ पेरिस से बनी मूर्तियों की उतनी मांग नहीं रही। मूर्तियां 50 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक बिकी हैं। औरंगाबाद निवासी टेराकाटा शिल्पकार राम मिलन प्रजापति बताते हैं कि उन्होंने जबलपुर में दो गाड़ी गणेश की प्रतिमा तथा पूना में एक बाड़ी लक्ष्मी-गणेश की दीये के साथ बनी प्रतिमा भेजी है। इसकी कीमत 10 लाख रुपये से अधिक रही। एक गाड़ी में ढाई से चार हजार मूर्तियां रखी गई थीं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी छोटी मूर्तियों की खूब बिक्री हुई। टेराकोटा से जुड़े अधिकतर शिल्पकारों का यही हाल रहा। मूर्तियों व दीये के अलावा खिलौने व अन्य सामान भी खूब बिके।
बिक्री का वास्तविक आंकड़ा हो रहा तैयार
उद्योग विभाग के आयुक्त आरके शर्मा के अनुसार इस बार अभी तक जो रिपोर्ट आयी है, उसके मुताबिक मिट्टी के दीये, लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को खूब रिस्पांस मिला है। शहर में चारो ओर दुकानें लगी थीं और जमकर खरीदारी भी हुई। मिट्टी के बने सामान की बिक्री का वास्तविक आंकड़ा तैयार किया जा रहा है।