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बड़ी खतरनाक हैं नेपाल की ये नदियां, भारत में होने वाली तबाही से बचाने की तैयारी Gorakhpur News

गंडक नदी मध्य नेपाल और उत्तरी भारत में बहती है। यह नदी काली और त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है जो नेपाल की उच्‍च हिमालय पर्वतश्रेणी से निकलती है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 08:27 PM (IST)
बड़ी खतरनाक हैं नेपाल की ये नदियां, भारत में होने वाली तबाही से बचाने की तैयारी Gorakhpur News
बड़ी खतरनाक हैं नेपाल की ये नदियां, भारत में होने वाली तबाही से बचाने की तैयारी Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश ने नेपाल में 54 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। यह धनराशि नेपाल स्थित गंडक नदी के ए गैप, बी गैप, लिंक व नेपाल बांध के उच्‍चीकरण व मरम्मत कार्य पर खर्च होगी। इससे नेपाल के नवलपरासी व उत्तर प्रदेश के महराजगंज व कुशीनगर को बाढ़ से बचाने मदद मिलेगी। जलशक्ति विभाग के मंत्री महेंद्र सिंह की अध्यक्षता में उप्र राज्य बाढ़ नियंत्रण परिषद की स्थायी संचालन समिति की बैठक में इन प्रस्तावों पर मुहर लग गई है।

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ऐसे होता है कार्य

उत्तर प्रदेश के सिंचाई जल संसाधन विभाग की उच्‍च स्तरीय समिति, विशेषज्ञों की मदद से बाढ़ बचाव व कटान निरोधक कार्यों को अनुमोदित करती है। यूपी व बिहार सरकार इसे पूरा कराकर नेपाल, यूपी व बिहार के नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करती है। सिंचाई खंड दो, महराजगंज के अधिशासी अभियंता धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि महराजगंज में कुल 72 करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं को स्वीकृति मिली है। इसमें 52 करोड़ रुपये की नेपाल की परियोजना व रोहिन नदी पर बने चार तटबंधों पर करीब 20 करोड़ की परियोजनाएं शामिल हैं। अधिशासी अभियंता भरत राम के मुताबिक कुशीनगर में 100 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 16 परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। इसमें अतिसंवदेनशील अहिरौली-पिपरादान (एपी) तटबंध पर नौ, अमवाखास तटबंध की छह व नरवाजोत-पिपरादान तटबंध की एक परियोजना शामिल है।

नेपाल के चार तटबंधों का भारत करता है अनुरक्षण

इंडो-नेपाल ट्रीटी के अनुसार भारत सरकार द्वारा नेपाल के नवलपरासी जनपद में गंडक नदी पर बने वाल्मीकि बैराज से लेकर महराजगंज की सीमा तक नेपाल के ए गैप, बी गैप, लिंक व नेपाल तटबंध का रख-रखाव किया जाता है। उच्‍च स्तरीय समिति ही इन तटबंधों पर बाढ़ निरोधक कार्यों को करने के लिए अनुमति प्रदान करती है, जिससे नेपाल को बाढ़ से सुरक्षित रखने के साथ ही मुख्य कैनाल गंडक को भी सुरक्षित रखा जाता है। साथ ही बिहार और उत्तर प्रदेश की लाखों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है।

काली और त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है गंडक

गंडक नदी मध्य नेपाल और उत्तरी भारत में बहती है। यह नदी काली और त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है जो नेपाल की उच्‍च हिमालय पर्वतश्रेणी से निकलती है। इन नदियों के संगम स्थल से भारतीय सीमा तक इसे नारायणी के नाम जाना जाता है। गंडक को गंडकी नदी भी कहा जाता है। इस नदी की कुल लंबाई 765 किमी है। यह पटना में गंगा नदी में मिलती है।

इस्‍टीमेट भेजने का दिया निर्देश

सिंचाई व जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता एके सिंह का कहना है कि गंडक परिक्षेत्र में आने वाली नदियों के संवेदनशील व अतिसंवदेनशील तटबंधों पर विभिन्न परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। महराजगंज, कुशीनगर व गोरखपुर  समेत सभी अधिशासी अभियंताओं को इस्टीमेट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें नेपाल के नवलपरासी जिले के अंतर्गत कराए जाने वाले कार्यों की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। जल्द ही निविदा आमंत्रित की जाएगी। 


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