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गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन पर गर्मी में भी सस्ता पानी नहीं, वाटर वेंडिंग मशीनें बंद Gorakhpur News

वाटर मशीनों से पांच रुपये में ही एक लीटर पीने का शुद्ध पानी मिल जाता था। आम यात्री गैलन में यात्रा भर का पानी खरीदकर रख लेते थे। लेकिन मशीनों पर ताला लटक जाने से जेब ढीली करनी पड़ रही है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 02:41 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 06:05 PM (IST)
गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन पर गर्मी में भी सस्ता पानी नहीं, वाटर वेंडिंग मशीनें बंद Gorakhpur News
गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन भवन का फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना की मुसीबतों के बीच यात्रियों को स्टेशन पर पानी के लिए भी तरसना पड़ रहा है। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आइआरसीटीसी) ने सभी आटोमेटिक वाटर मशीनों को बंद करा दिया है। यात्रियों को मजबूरी में पांच रुपये की जगह 15 रुपये में पानी की बोतल खरीदकर प्यास बुझानी पड़ रही है।

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पांच रुपये में मिल जाता था एक लीटर पीने का शुद्ध पानी, अब खर्च करने पड़ रहे 15 रुपये

वाटर मशीनों से पांच रुपये में ही एक लीटर पीने का शुद्ध पानी मिल जाता था। आम यात्री गैलन में यात्रा भर का पानी खरीदकर रख लेते थे। लेकिन मशीनों पर ताला लटक जाने से जेब ढीली करनी पड़ रही है। एक तो कोरोना का डर, स्पेशल के नाम पर बढ़ा हुआ किराया और पीने के पानी के लिए भी अतिरिक्त खर्च आम यात्रियों पर भारी पडऩे लगी हैं। गोरखपुर सहित सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर स्थापित दर्जनभर आटोमेटिक वाटर वेंङ्क्षडग मशीनें धूल फांक रही हैं। जानकारों का कहना है कि मशीनें एक साल से बंद हैं। और एक साल बंद हो जाएंगी तो चलने लायक नहीं रहेंगी। रेलवे बोर्ड ने भी निगरानी के प्रति आइआरसीटीसी की उदासीनता के चलते इन मशीनों को संचालित करने की जिम्मेदारी जोनल स्तर पर रेलवे प्रशासन को सौंप दी है। अब देखना है कि रेलवे  प्रशासन आम यात्रियों का कितना ख्याल रखता है और मशीनें कब से फिर से शुरू होती हैं। 

आपसी खींचतान में लटक गए ताले, यात्री परेशान

रेलवे प्रशासन और कार्यदायी संस्था की आपसी खींचतान के चलते आटोमेटिक वाटर वेंङ्क्षडग मशीनों पर ताला लटका है। जानकारों के अनुसार आइआरसीटीसी ने मशीनों को चलाने की जिम्मेदारी निजी फर्म को सौंपी थी। फर्म समय से रेलवे को न बिजली का भुगतान कर रही थी और न ही तैनात वेंडरों को मानदेय दे रही थी। भुगतान नहीं होने से रेलवे प्रशासन भी बिजली और पानी का कनेक्शन काट देते थे। रेलवे का कहना है कि बिजली भुगतान के बाद ही कनेक्शन देंगे। ऐसे में मशीनों पर ताला लटका है। मामला जो भी है, परेशान तो यात्री हो रहे हैं।


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