Fight Against Coronavirus : गोरखपुर विश्वविद्यालय में हुआ शोध, कोविड-19 की रोकथाम में कारगर हो सकती है मेपाक्रीन Gorakhpur News
डॉ.अंबरीश के मुताबिक फिलहाल शोधपत्र कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के आर्काइव पर उपलब्ध है एवं एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में भेजा जा चुका है। इस ग्रुप का शोध इस दिशा में आगे भी चल रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। पूरे विश्व में महामारी बन चुकी कोविड-19 की रोकथाम में मेपाक्रीन कारगर साबित हो सकती है। यह बात दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में हुए शोध में निकल कर सामने आई है। शोध विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने किया है।
एंटी मलेरियल दवाएं कोविड-19 के मरीजों पर कर सकती हैं असर
मॉलिक्यूलर मॉडलिंग (कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से अणु की संरचना को डिजाइन करना) और मॉलिक्यूलर डॉकिंग (किसी अणु का प्रोटीन या एंजाइम के साथ बंध जाना) आधारित इस शोध से पता चला है कि एंटी मलेरियल दवाएं कोविड-19 के मरीजों पर असर कर सकती हैं। शोध में सात एंटी मलेरियल दवाएं जिनमें मेपाक्रीन के अतिरिक्त क्लोरोक्वीन, हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन, फोमारिन आदि को शामिल किया गया।
चीन और फ्रांस में हो चुका है ट्रायल
क्लोरोक्वीन व हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का कोविड-19 के रोकथाम के लिए क्लिनिकल ट्रायल चीन और फ्रांस में किया जा चुका है। बावजूद इसके ये दवाएं इसलिए इस्तेमाल नहीं की जा रही क्योंकि ये टॉक्सिक हैं और इसका रिएक्शन खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे में मेपाक्रीन इसका एक विकल्प हो सकती है। हालांकि कोविड-19 के लिए इसका क्लिनिकल ट्रायल अभी तक नहीं हुआ है।
शोध में लखनऊ विवि के शिक्षकों का भी रहा योगदान
शोध में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो.नीरज मिश्र एवं डॉ.अभिषेक ने भी योगदान दिया है। विश्वविद्यालय और लैब बंद होने के कारण, मॉलिक्यूलर मॉडलिंग पर्सनल कंप्यूटर के जरिये की गई। मॉलिक्यूलर डॉकिंग के लिए स्विट्जरलैंड के सर्वर की मदद ली गई है। शोध को पूरा करने के लिए पूरे ग्रुप ने 15 दिन-रात काम किए हैं।
शोधपत्र कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के आर्काइव पर उपलब्ध
डॉ.अंबरीश के मुताबिक फिलहाल शोधपत्र कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के आर्काइव पर उपलब्ध है एवं एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में भेजा जा चुका है। इस ग्रुप का शोध इस दिशा में आगे भी चल रहा है, जिसके काफी सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद हैं।