गजब! यहां नगर निगम के रिकार्ड में गोरखपुर शहर में सिर्फ चार पालतू कुत्ते
गोरखपुर शहर में सिर्फ चार पालतू कुत्ते का रजिस्ट्रेशन हुआ है। इसमें नगर निगम का भी कोई दोष नहीं है। उसके पास कोई रजिस्ट्रेशन भी कराने नहीं आता।
By Edited By: Published: Fri, 17 May 2019 06:01 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 11:39 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। आप को जानकर यह हैरानी होगी कि शहर में सिर्फ चार पालतू कुत्ते हैं। यह नगर निगम का रिकार्ड बता रहा है, जहा पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इस वर्ष अब तक सिर्फ चार लोगों ने ही कुत्तों का रजिस्ट्रेशन कराया है, जबकि रजिस्ट्रेशन की फीस मात्र 1.20 रुपये है और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी बेहद आसान। कुत्ते के मालिक को एक फार्म पर अपना नाम, कुत्ते की नस्ल, उम्र, पता आदि भरना होना है। इसके बाद निगम एक वर्ष के लिए लाइसेंस जारी कर देता है।
गोरखपुर शहर में घरों में पामेलियन, बुल डाग, जर्मन शेफर्ड जैसे देशी-विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालना स्टेटस सिंबल बन चुका है। बहुत से घरों के दरवाजों पर कुत्तों या कुत्तों से सावधान का बोर्ड लगा है। लोग शौक पूरा करने के लिए कुत्ते पाल रहे हैं, लेकिन नगर निगम में उसका रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं। नगर निगम की नियमावली के अनुसार निगम क्षेत्र में कुत्ता पालने के लिए नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करवा कर लाइसेंस लेना जरूरी है। अनुमान है कि नगर निगम क्षेत्र में पाले गए कुत्तों में एक फीसद का भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है, जबकि अनुमान के मुताबिक शहर में पांच हजार से ज्यादा पालतू कुत्ते हैं। निगम की ओर से भी रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए किसी तरह का अभियान नहीं चलाया जाता है, क्योंकि नगर निगम के पास कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।
1959 में शुरू हुई थी प्रक्रिया 1959 में लाइसेंस विभाग के गठन के बाद से ही कुत्तों के रजिस्ट्रेशन की कवायद शुरू की गई थी, लेकिन निगम में रजिस्ट्रेशन न कराने वालों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं दिया गया। अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा के मुताबिक कुत्तों के रजिस्ट्रेशन से कोई खास आय नहीं होती, ऐसे में पालतू कुत्तों का सर्वे करने से भी कोई फायदा नहीं होगा।
गोरखपुर शहर में घरों में पामेलियन, बुल डाग, जर्मन शेफर्ड जैसे देशी-विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालना स्टेटस सिंबल बन चुका है। बहुत से घरों के दरवाजों पर कुत्तों या कुत्तों से सावधान का बोर्ड लगा है। लोग शौक पूरा करने के लिए कुत्ते पाल रहे हैं, लेकिन नगर निगम में उसका रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं। नगर निगम की नियमावली के अनुसार निगम क्षेत्र में कुत्ता पालने के लिए नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करवा कर लाइसेंस लेना जरूरी है। अनुमान है कि नगर निगम क्षेत्र में पाले गए कुत्तों में एक फीसद का भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है, जबकि अनुमान के मुताबिक शहर में पांच हजार से ज्यादा पालतू कुत्ते हैं। निगम की ओर से भी रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए किसी तरह का अभियान नहीं चलाया जाता है, क्योंकि नगर निगम के पास कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।
1959 में शुरू हुई थी प्रक्रिया 1959 में लाइसेंस विभाग के गठन के बाद से ही कुत्तों के रजिस्ट्रेशन की कवायद शुरू की गई थी, लेकिन निगम में रजिस्ट्रेशन न कराने वालों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं दिया गया। अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा के मुताबिक कुत्तों के रजिस्ट्रेशन से कोई खास आय नहीं होती, ऐसे में पालतू कुत्तों का सर्वे करने से भी कोई फायदा नहीं होगा।
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