सिख दंगों में मिले जख्म आज भी हरे, शासन और प्रशासन की उपेक्षा उसे कर रही है ताजा
गोरखपुर में दैनिक जागरण के चुनावी चौपाल में सिख समाज अपने मुद्दों को उठाया। लोगों ने कहा कि सिख दंगों के जख्म अब भी हरे हैं और अधिकारियों की उपेक्षा उसे बार बार याद दिलाती है।
गोरखपुर, जेएनएन। सिख दंगों में मिले जख्म आज भी हरे हैं, सरकार और उसके महकमों की उपेक्षा उसे कुरेदती है तो जाति प्रमाणपत्र और पासपोर्ट के लिए पंजाब जाने की नसीहत घाव को ताजा कर देती है। विडंबना का आलम यह है कि संख्या में सबसे कम होने के बावजूद अल्पसंख्यक का लाभ पाने में सरदार सबसे पीछे हैं। हमारा वोट बैंक बड़ा नहीं है तो कोई दल नुमाइंदगी देने को भी तैयार नहीं है। इतना होने के बावजूद सिख कौम अपने लोकतंत्र पर नाज करता है। बाढ़, भूकंप जैसी किसी भी आपदा में देश को जरूरत पडऩे पर सरकार से पहले वहां सरदार खड़ा मिलता है।
जटाशंकर गुरुद्वारा पर दैनिक जागरण के चुनावी चौपाल में सिख समाज ने न केवल अपने मुद्दों को उठाया, बल्कि चुनाव में शत-प्रतिशत भागदारी का संकल्प भी लिया। चर्चा की शुरुआत चुनावों में दलबदल के मुद्दे पर हुई और सभी ने इसकी निंदा की। चर्चा आगे बढ़ती, इसी बीच राजनीति में सिखों की नुमाइंदगी की बात आ गई। सतपाल सिंह कोहली ने कहा कि सिख समाज को भी प्रतिनिधित्व का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने सरकार में प्रतिनिधित्व की जरूरत महसूस होने की वजह भी बताई और सिख दंगों में उजड़े परिवारों का दंश सामने रखा। बताया कि किस तरह शहर में बेकसूर सिख परिवारों के घर-दुकानों में आग लगा दी गई, घर उजड़ गए। कई परिवार विस्थापित होकर पंजाब और दूसरे शहरों में चले गए। प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक को चिट्ठियां लिखी गई लेकिन मुआवजे के नाम पर ढेले भर की मदद नहीं मिली। हमारी नुमाइंदगी होती तो शायद बात वहां तक पहुंच जाती। माहौल संजीदा हो चला था तो युवाओं ने अपनी मांगें दोहराते हुए माहौल के साथ चर्चा का रुख बदला। भाजपा सरकार में मिले सम्मान और गुरुद्वारों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऐलान का पता चला तो सभी के चेहरे खिल उठे। इस बात से खुशनुमा हुए माहौल के बीच कोने से आवाज आई कि सरदार भीख नहीं मांगता तो इसका मतलब यह नहीं माना जाना चाहिए कि कोई सरदार गरीब ही नहीं है। प्रधानमंत्री आवास, सौभाग्य, उज्ज्वला जैसी योजनाओं का लाभ किसी सरदार को शायद ही मिला हो। योजनाओं पर बात क्या छिड़ी कि एक के बाद एक मांगों की सूची लंबी हो गई। चर्चा में मनजीत सिंह, मनोज आनंद, कुलदीप सिंह, ,तिरलोचन सिंह, जसविंदर सिंह, इंदरपाल सिंह, अशोक मल्होत्रा, कुलदीप सिंह आदि मौजूद रहे।
लोगों ने कहा
पूर्वांचल की राजनीति में आज तक हमारी नुमाइंदगी नहीं हो सकी है। चुनाव में सभी दलों से आश्वासन मिलता है, लेकिन आज तक किसी ने प्रयास नहीं किया। - मनजीत सिंह छाया
हमें यहां से जाति प्रमाणपत्र जारी नहीं होता है। लेखपाल रिपोर्ट लगाते हैं कि पंजाब चले जाइए। डीएम से मिले तो उन्होंने भी यही कहा। पंजाब क्या भारत में नहीं है। - डा. करतार सिंह
गोरखपुर में रहते हुए 40 साल हो गए। वोट देता आया हूं। सारे दस्तावेज मौजूद हैं, लेकिन पासपोर्ट नहीं बन पा रहा है, कहते है कि इसके लिए पंजाब जाना होगा। - बलबीर सिंह
अल्पसंख्यक विभाग भी सिर्फ दो धर्मों के लोगों को ही अल्पसंख्यक मानता है। सरकारी की किसी योजना का लाभ हमें नहीं मिल पाता। - निर्मल सिंह
सिख समुदाय में भी गरीब लोग हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ हर किसी को मिलता है लेकिन किसी सरदार को आवास, शौचालय या पेंशन जैसी सुविधा नहीं मिलती है। - जसपाल सिंह
प्रदेश में आबादी के लिहाज से हमारी संख्या सबसे कम है। ऐसे में उच्च शिक्षा में सिख समाज के बच्चों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। - गगन सहगल
ह्वी पार्क में पार्किंग शुल्क लिया जाता है। सुबह-शाम टहलने जाने वालों के लिए यह बड़ी मुसीबत है। पार्क सरकारी है तो पार्किंग भी फ्री होनी चाहिए। - हरबंश कौर
देश में कहीं भी जरूरत पड़ती है तो सबसे पहले सिख समाज के लोग वहां खड़े होते हैं। कुछ नहीं तो सरकार हमें सम्मान तो दे सकती है। - जगजीत कौर
गुरुद्वारे के सामने स्कूल पर अवैध कब्जा है। उसे हटवाने के लिए कई बार शासन-प्रशासन ने प्रयास किया लेकिन आज तक स्कूल की जमीन को खाली नहीं कराया जा सका। - सतपाल सिंह
गुरुद्वारों तक आने-जाने वाले रास्तों पर अतिक्रमण हैं। उसे हटवाने के लिए कई बार लिखा और कहा गया लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। - हृदेश पुरी