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अपनों से ही है खतरा, बंदूक का लाइसेंस चाहिए

शस्‍त्र के लाइसेंस लेने से रोक हटने के बाद लाइसेंस लेने के लिए आवेदकों की संख्‍या अचानक बढ़ गई है। अधिकांश को लाइसेंस इसलिए चाहिए कि उन्‍हें अपनों से ही जान का खतरा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 07 Nov 2018 02:36 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 12:24 PM (IST)
अपनों से ही है खतरा, बंदूक का लाइसेंस चाहिए
अपनों से ही है खतरा, बंदूक का लाइसेंस चाहिए

गोरखपुर/संतकबीर नगर, (दिलीप पांडेय)। डीएम दफ्तर में असलहा का लाइसेंस लेने वाले लोग हर तरह की पैरवी लेकर आ रहे हैं। कोई विधायक का जुगाड़ लेकर आ रहा है तो कोई लाइसेंस देने वाले साहब के करीबियों को पटा रहा है। आश्‍चर्य यह कि असलहा का लाइसेंस लेने वाले अधिकांश लोगों को अपनों से ही खतरा है। किसी का खेत-मेड़ का झगड़ा के कारण अपनों से दुश्‍मनी हो गई है तो कोई छोटी सी बात पर ही अपनों का दुश्‍मन बन बैठा है। असलहा लाइसेंस का अावेदन करने वाले 90 फीसद लोगों ने अपनी जान को खतरा बताया है।

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संतकबीर नगर जनपद में अक्टूबर 2018 में शासनादेश जारी होने के बाद से अब तक सैकड़ों आवेदन आ चुके हैं। वास्तव में इन्हें जान पर खतरा है या नहीं अथवा ये सिर्फ असलहा का लाइसेंस प्राप्त कर अपने शौक को पूरा करने के लिए गलत तथ्य का इस्तेमाल कर रहे हैं ? इसकी तो किसी को जानकारी नहीं लेकिन असलहा लाइसेंस के लिए आए आवेदन यही बयां कर रहे हैं। इनके आवेदन की इंट्री की जा रही है। इन आवेदकों पर थाने में कोई आपराधिक मामले दर्ज हैं या नहीं, इसके अलावा इनका अता-पता व अन्य बिंदुओं की जांच होनी है। तहसील व थाना स्तर से रिपोर्ट मिलने पर लाइसेंस जारी होना है।

रिवाल्वर-पिस्टल के लिए आवेदन ज्यादा

आठ अक्टूबर 2018 को शासनादेश जारी होने के बाद से लेकर पांच नवंबर तक असलहा के लाइसेंस के लिए कुल 144 आवेदन आ चुके हैं। इसमें एक नाली के तीन व दो नाली के एक जबकि शेष रिवाल्वर व पिस्टल के लिए आवेदन पड़े हैं। लोगों को एक नाली व दो नाली बंदूक की जगह रिवाल्वर, पिस्टल ज्यादा पसंद है।

पूर्व में जारी हुआ है चार हजार से अधिक लाइसेंस

इसके पूर्व में इस जनपद में रिवाल्वर, पिस्टल, एक नाली व दो नाली बंदूक के कुल 4,510 लाइसेंस जारी हो चुके हैं। लोकसभा चुनाव-2014 के ठीक पहले नेशनल डाटा आफ आम्र्स लाइसेंस (एनडीएएल) नामक वेबसाइट गृह मंत्रालय भारत सरकार ने शुरू की थी। इसमें सभी असलहा लाइसेंसधारकों की नये सिरे से डाटा इंट्री करने का काम लगभग डेढ़ साल तक चला। इसमें एक ही नाम से अलग-अलग जिलों व स्थानों से असलहा का लाइसेंस बनवा पाना मुश्किल हो गया है। असलहा का लाइसेंस केवल जरूरतमंदों को मिले इसके लिए केंद्रीय स्तर से वेबसाइट की मानीटरिंग की व्यवस्था है। इसके पूर्व जनपद स्तर पर एनआइसी द्वारा विकसित साफ्टवेयर पर लाइसेंसधारकों का डाटा अपलोड किया जाता था।

हर बिंदु की होगी जांच : डीएम

संतकबी नगर के डीएम भूपेंद्र एस चौधरी ने कहा कि हर बिंदुओं की जांच होनी है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही असलहा के लाइसेंस जारी होंगे। एनडीएएल पर डाटा फीडिंग होती है। केंद्रीय स्तर से भी इसकी आॅनलाइन मानीटरिंग होती है।


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