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अजब-गजब: नदी ने धारा बदली और बदल गया 21 गांवों का ज‍िला

गोरखपुर में नदी की धारा बदलने के कारण 21 गांवों के बीच सीमा व‍िवाद शुरू हो गया है। नदी अपनी सीमा से बाहर जाकर बहने लगी इस कारण इन गांवों की जमीन दूसरे गांवों में द‍िखने लगी। प्रशासन इस मामले को सुलझाने में लगा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 06:30 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 06:30 AM (IST)
अजब-गजब: नदी ने धारा बदली और बदल गया 21 गांवों का ज‍िला
नदी की धारा बदलने से गोरखपुर में सीमा व‍िवाद शुरू हो गया है। - प्रतीकात्‍क तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। नदी किनारे स्थित गांवों में समय-समय पर नदी की धारा बदलने से जमीन को लेकर पैदा विवाद के निपटारे के लिए राजस्व विभाग की सर्वेक्षण इकाई सर्वे का काम करती है लेकिन कई मामलों में अलग-अलग जिलों से सीमा का विवाद फंस जाता है, जिसे निपटाने में वर्षों लगते हैं। नदी की धारा बदलने के कारण इस समय 21 गांवों की जमीन दूसरे जिले के गांवों में चली गई है।

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पैदा हो गया सीमा व‍िवाद

20 वर्ष से अधिक समय से चल रहे जिलाें के सीमा विवाद को लेकर सर्वेक्षण इकाई गोरखपुर के सहायक अभिलेख अधिकारी (एआरओ) के यहां वाद लंबित है। दो ऐसे गांव हैं, जिनकी जमीन तीन जिलों के सीमा विवाद में फंसी है। विवादों का निपटारा होता न देख प्रशासन एक साल में गोरखपुर की सर्वेक्षण इकाई को बंद करने की तैयारी में है। जिलाधिकारी की ओर से पहले से अधिसूचित 42 गांवों में सर्वेक्षण का काम पूरा कर इकाई बंद करने को कहा गया है। इसी दौरान एआरओ न्यायालय में लंबित 482 वादों को भी निस्तारित कर लेना होगा।

समय-समय पर धारा बदलती रहती है नद‍ियां

राजस्व विभाग के सर्वेक्षण इकाई में सहायक अभिलेख अधिकारी के यहां 20 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं वाद

नदियां समय-समय पर अपनी धरा बदलती रहती हैं। धारा बदलने के कारण एक ओर की जमीन नदी में विलीन हो जाती है तो दूसरी ओर जमीन खाली छूट जाती है। ऐसे में किसानों के बीच जमीन को लेकर विवाद पैदा हो जाता है। विभाग तहसील की पत्रावलियां व मौके पर सर्वे के आधार पर उपलब्ध जमीन को किसानों की सहमति से बांटता है। यह विवाद आमतौर पर जिले के भीतर होता है लेकिन कभी-कभी नदी के धारा बदलने के कारण एक जिले की जमीन दूसरे जिले के गांव में निकल जाती है। यहां भी यही प्रक्रिया अपनाई जाती है। जो किसान संतुष्ट नहीं होते, वे एआरओ के यहां वाद दाखिल करते हैं।

इसलिए आसानी से खत्म नहीं होता विवाद

एआरओ के यहां दो जिलों के सीमा विवाद में यदि किसी एक गांव के किसान के पक्ष में फैसला दिया जाता है तो दूसरा पक्ष अपने जिले में अपील करता है। जिलाधिकारी अपने जिले का आरओ भी होता है। ऐसे में जिले की जमीन दूसरे जिले में जाती देख आमतौर पर एआरओ के फैसले को खारिज कर दिया जाता है और दोबारा एआरओ के यहां ही वाद दाखिल करने को कहा जाता है। इस तरह वाद चलता रहता है।

तीन गांवों में पूरा हुआ सर्वे का काम

जिन 42 गांवों में सर्वे की प्रक्रिया चल रही है, उनमें से तीन गांव मंझरिया, मठराम गिरि व खैराटी में सर्वे पूरा हो चुका है। जनवरी 2022 में नेतवार पट्टी, छितौना, झौहारी की सर्वे प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।

नहीं शामिल किया जाएगा कोई और गांव

सहायक अभिलेख अधिकारी विनोद सिंह का कहना है कि वर्तमान में अधिसूचित गांवों के अतिरिक्त किसी अन्य गांव में सीमा विवाद एवं अन्य त्रुटियां नहीं हैं। इसीलिए अब नए गांव शामिल करने के लिए आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद को प्रस्ताव नहीं भेजा जाएगा। एक वर्ष में सभी मामले निस्तारित कर लिए जाएंगे। एक वर्ष बाद गोरखपुर इकाई बंद हो जाएगी।

इन गांवों में है जिलों का सीमा विवाद

एआरओ ने बताया कि बड़हलगंज सर्किल में मऊ जिले के चक्कीमुसाडोही गांव की जमीन का विवाद गोरखपुर, मऊ व देवरिया के बीच फंसा है। इसी तरह रुद्रपुर सर्किल में तेलिया अफगान गांव की जमीन का सीमा विवाद भी देवरिया, गोरखपुर व मऊ के बीच फंसा है।

सदर तहसील में टेढ़ावीर गांव का विवाद गोरखपुर व संतकबीरनगर के बीच, बड़हलगंज सर्किल में दिस्तवलिया, रुदौली, कंसासुर का सीमा विवाद गोरखपुर व देवरिया के बीच, कौड़ीराम सर्किल में पूरे व झौहारी का विवाद देवरिया व गोरखपुर के बीच, बेलकुर का विवाद देवरिया व गोरखपुर के बीच, रुद्रपुर सर्किल में सभोगर खादर, हड़हा, मोहरा खादर, करककोल, तिघरा खैरवा, धर्मपुर, पैना खादर, भेड़ी, मंझरिया, महेन खादर, भटौली व गायघाट का सीमा विवाद देवरिया व गोरखपुर के बीच फंसा है।


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