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शिक्षिका की मौत को पुलिस ने बताया था खुदकुशी, अब अदालत ने करार दिया हत्‍या, नए सिरे होगी जांच

सिद्धार्थनगर जिले में कार्यरत ि‍शिक्षिका की 21 मई 2019 को मौत हो गई थी। जला हुआ उनका शव कमरे में मिला था। पुलिस ने इस खुदकुशी का मामला बताया था लेकिन चार्जाशीट दाखिल होने के बाद कोर्ट ने शिक्षिका की मौत को हत्‍या करार दिया है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 09:15 AM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 09:15 AM (IST)
शिक्षिका अंजली की फाइल फोटो। जागरण आर्काइव

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सिद्धार्थनगर जिले में 21 मई 2019 को हुई शिक्षिका की मौत का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। पुलिस ने मौत को खुदकुशी माना था और शिक्षक राजेश कुमार यादव के विरुद्ध खुदकुशी के लिए शिक्षिका को उकसाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया था। अब अदालत ने इस मामले को हत्‍या करार दिया है। साथ ही पुलिस की विवेचना पर कई गंभीर सवाल खडा किया है। इससे हो रही फजीहत से बचने के लिए पुलिस ने अदालत की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब तलाशने के लिए मामले की नए सिरे से विवेचना करने की अनुमति मांगी है।

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घटना के समय भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे थे सवाल

जालौन के थाना कठौद के हुसैपुरा सुरई गांव निवासी शिक्षिका अंजली यादव सिद्धार्थनगर जिले के मोहाना कस्‍बे में किराये के मकान में रहती थीं। 21 मई 2019 की रात उनका शव किराये के कमरे में जली हुई अवस्‍था में मिला था। घटना के बाद से ही पुलिस ने मामले की जांच में लीपापोती शुरू कर दी थी। इसको लेकर उस समय भी सवाल उठे थे लेकिन पुलिस ने घटना को खुदकुशी करार देकर मामले का पटाक्षेप कर दिया था।

शिक्षिका को चेन से तख्‍म में बंधकर जलाया गया था

अंजली प्राथमिक विद्यालय गौहनिया में तैनात थी। वह मोहाना कस्बे में किराए के मकान में रहती थी। जलकर मौत हो गई थी। उनका शव तख्ता में लोहे की चेन से बंधा मिला था। चेन में ताला लगाया गया था। साथ ही गले और पैरों को भी लोहे के तार से बांधा गया था। पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में शिक्षक राजेश कुमार यादव को गिरफ्तार किया था।

न्यायालय ने पुलिस से यह किए थे सवाल

पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक की रिपोर्ट के अनुसार अंजली के शरीर से मिट्टी के तेल की महक मिल रही थी। अधजले कपड़े, बाल व राख में भी मिट्टी के तेल का अंश मिला है। जबकि पुलिस ने फर्द बरामदगी में 16 सामान दिखाए हैं। इनमें एक भी ऐसा नहीं है जिसमें मिट्टी के तेल का रखा जाना संभव हो। जब अंजली झुलसी तो उसके शरीर व कपड़ों पर मिट्टी का तेल कैसे आया।

मकान मालिक के बेटे को लेकर क्‍यों नहीं की गई जांच

घर में इतनी बड़ी घटना हो गई। दोनों पुत्रियों ने पिता व पड़ोसी को बुला लिया लेकिन मकान मालिक का युवा पुत्र अपने कमरे से बाहर नहीं निकला। उसकी यह हरकत पुलिस को असमान्‍य क्‍यों नहीं लगी। इस बिंदु पर छानबीन क्‍यों नहीं की गई। केस डायरी के अनुसार युवा पुत्र के चेहरे पर कुछ खरोंच लगी थीं। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि जिससे पता चले कि वह चलने-फिरने में असमर्थ था।

प्रमाणित नहीं हुई गैस सिलेंडर में रिसाव से आग लगने की कहानी 

पुलिस ने चार्जशीट में रसोई गैस के सिलेंडर में रिसाव से आग लगने की दलील दी थी। जबकि अदालत में दर्ज बयान में यह सामने आई है कि कमरे में रखे अधिकतर सामान और अंजली का बैग वगैरह सुरक्षित था। सवाल यह उठता है कि कमरे में गैस रिसाव से लगी आग एकसाथ चारों ओर फैलेगी। सभी वस्तुओं को वह अपने चपेट में ले लेगी। ऐसे में अधिकतर सामान सुरक्षित रहने को लेकर अदालत ने सवाल खडा किया है। गैस रिसाव से लगी आग के कमरे से अंजली को जली स्थिति में बाहर निकालने के दौरान मकान मालिक का दोनों हाथ ही झुलसा था। यदि गैस सिलेंडर से आग लगी होती तो मकान मालिक के कपडे और बाल वगैरह भी झुलसना चाहिए था।

अदालत से नए सिरे से विवेचना की अनुमति मांगी गई

पुलिस अधीक्षक डा. यशवीर सिंह बताते हैं कि शिक्षिका अंजली यादव मौत प्रकरण में न्यायालय ने विवेचना पर आपत्ति दर्ज की है। पांच सवाल उठाए हैं। न्यायालय के निर्देश का अनुपालन किया जाएगा। पुलिस ने केस डायरी को न्यायालय में दाखिल कर दी है। अब नए सिरे से विवेचना करने के लिए सीआरपीसी की धारा 173(8) के तहत अदालत से अनुमति मांगी गई है।


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