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दर्ज कराया था हत्या का मुकदमा, बेटे के जिंदा होने की सूचना पर फफक पड़ी मां Gorakhpur News

अचानक युवक के बिहार के शेखपुरा में कुछ साध्वियों द्वारा पहचानने और साधुवेष में तपस्यानंद के रूप में जिंदा मिलने पर मामले में नया मोड़ आ गया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 10:00 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 10:00 PM (IST)
दर्ज कराया था हत्या का मुकदमा, बेटे के जिंदा होने की सूचना पर फफक पड़ी मां Gorakhpur News
दर्ज कराया था हत्या का मुकदमा, बेटे के जिंदा होने की सूचना पर फफक पड़ी मां Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। बस्‍ती में बहुचर्चित संत कुटीर आश्रम डमरुआ में एक युवक और उसकी दो बहनों को ले जाने और बाद में उनका पता न चलने पर लालगंज थाने में नौ मार्च को हत्या, साक्ष्य मिटाने और साजिश की धारा में महंत सच्चिदानंद और उनके सहयोगियों पर मुकदमा पंजीकृत किया था। मामले में चार साध्वियों को जेल जाना पड़ा था। अचानक युवक के बिहार के शेखपुरा में कुछ साध्वियों द्वारा पहचानने और साधुवेष में तपस्यानंद के रूप में जिंदा मिलने पर मामले में नया मोड़ आ गया।

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पुलिस को यह दी गई थी तहरीर

लालगंज थाना के सेल्हरा गांव की कमलावती देवी ने नौ मार्च 2018 को पुलिस को तहरीर देकर कहा था कि 30 नवंबर 2017 की शाम को सच्चिदानंद उर्फ दयानंद, उनके सहयोगी दीपानंद, अभेदानंद, कमलाबाई, शीतला बाई, मांडवी, रश्मिबाई, मालती सत्यलोक आश्रम स्थित सेल्हरा आए। उनके बेटे श्यामचंद, बेटी सरोज व बिलायती को यह कह कर अपने साथ ले गए कि बस्ती स्थित आश्रम में इनके साथ ट्रस्ट संबंधी मामलों में कुछ विचार करना है। बेटियां तो बाद में वापस आ गईं, मगर बेटा लौटकर नहीं आया। काफी खोज बीन के बाद भी उसका कुछ पता नहीं चला। उन्हे लगा कि पुत्र की हत्या कर शव गायब कर दिया गया हैं, क्योंकि संत कुटीर आश्रम में हो रहे आपराधिक कृत्य के बारे में वह जानता था और वह पुलिस को जानकारी देने वाला था। लालगंज पुलिस ने पहले हत्या, साक्ष्य मिटाने और साजिश की धारा में आरोपितों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया, बाद में कोर्ट ने इसे जान से मारने की नीयत से अपहरण और साजिश के धारा में बदल दिया।

बेटा जब आंखों के सामने आ जाए तभी संतोष

शुक्रवार को श्यामचंद की मां को जब यह जानकारी मिली कि बेटा जिंदा है तो वह फफक पड़ी, पर उन्हे विश्वास नहीं हो रहा था। कहा कि जब तक उनकी आंखो के सामने बेटा आ नहीं जाता तब तक उन्हे संतोष नहीं होगा।


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