चेक का क्लोन बनाकर खाते से निकाल लिए लाखों रुपये
आगरा में चेका क्लोन बनाकर फर्जी तरीके से रुपये निकालने का मामला प्रकाश में आया है। ऐसी घटना गोरखपुर में भी हो चुकी है।
गोरखपुर, (जेएनएन)। चेक का क्लोन तैयार कर जालसाजों ने गोरखपुर में तीन साल पहले बैंक से लाखों रुपये उड़ा दिए थे। उस समय जिले में हुई इस तरह की पहली घटना में जालसाजों ने गोरखपुर दूरदर्शन और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) को बैंक से जारी चेक का क्लोन तैयार कर जालसाजी की थी। काफी छानबीन के बाद भी जालसाज पकड़े नहीं जा सके थे। बैंक ने अपनी गलती मानते हुए दोनों संस्थानों को उनके खाते से निकले गए रुपये लौटाए भी थे। आगरा में चेक का क्लोन तैयार कर एक बैंक से भुगतान कराने की कोशिश में दो युवकों के पकड़े जाने के बाद तीन साल पहले गोरखपुर में हुई घटना की याद ताजा हो गई है। खास बात यह कि आगरा में पकड़े गए युवकों में एक आकाश मिश्र गोरखपुर का ही रहने वाला है।
आगरा शहर में दीवानी चौराहे पर स्थित केनरा बैंक की शाखा से शुक्रवार को क्लोन चेक की मदद से 5.90 लाख रुपये निकालने की कोशिश कर रहे दो युवकों को बैंक कर्मियों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। आकाश मिश्र उन्हीं में से एक है। हालांकि उसके दो अन्य साथी भागने में सफल हो गए। मई 2015 में गोरखपुर दूरदर्शन के चेक का क्लोन तैयार कर 14 बार में 26 लाख रुपये निकाल लिए गए थे। दूरदर्शन का खाता भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में है। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का खाता विश्वविद्यालय परिसर में ही स्थित भारतीय स्टेट बैंक में है। विश्वविद्यालय के खाते से 24.80 लाख रुपये निकाले गए थे। यह मामला तब पकड़ में आया जब दूरदर्शन से एक चेक भुगतान के लिए बैंक भेजा गया। जिस नंबर का चेक था उसी नंबर के चेक पर पहले ही बैंक से एक व्यक्ति के नाम से भुगतान हो चुका था। एक ही नंबर का दूसरा चेक भुगतान के लिए आने पर इस जालसाजी का पता चला था।
लखनऊ और हरिद्वार में खुले खातों में किया गया था भुगतान : एमएमयूटी और दूरदर्शन के खाते से क्लोन चेक निकाली गई रकम का भुगतान हरिद्वार और लखनऊ में खुले बैंक खातों में किया गया था। छानबीन में दोनों खाते फर्जी निकले थे लेकिन पुलिस जालसाजों तक नहीं पहुंच पाई।
बैंक कर्मी नहीं पकड़ पाए क्लोन चेक की गड़बड़ी
आगरा में गिरफ्तार किए गए जालसाज बैंक के कर्मचारियों और मैनेजर की समझदारी के चलते पकड़े गए लेकिन गोरखपुर में हुई जालसाजी में बैंक कर्मियों की लापरवाही सामने आई थी। जिन चेकों पर रुपये का भुगतान हुआ था उनमें से कई पर बार कोड ही नहीं था, जबकि चेक क्लियरिंग से पहले यूबी लैंप की मदद से बार कोड चेक किया जाना अनिवार्य है। इससे स्पष्ट है कि क्लोन चेक क्लियर करने में बैंक कर्मियों ने बार कोड का परीक्षण नहीं किया।
हाई स्कूल में चार बार फेल हुआ था आकाश
आगरा में पकड़ा गया आकाश खोराबार क्षेत्र में भैंसहां गांव के जर्दा टोले का रहने वाला है। चार बार फेल होने के बाद वर्ष 2006 में हाई स्कूल पास होने के बाद आगे की पढ़ाई लखनऊ में करने की बात कह कर गांव से चला गया था। दशहरे में वह घर आया था और कुछ दिन रुका था। गौरतलब है कि आकाश के बाबा की कुछ साल पहले हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने आकाश के पिता पर हत्या का आरोप लगा जेल भेजा था। जिले के किसी भी थाने में आकाश के विरुद्ध कोई आपराधिक मुकदमा नहीं दर्ज है।