बीच शहर के 22 एकड़ का तालाब कब्जाने को भू-माफिया ने अपनाई यह नायाब तरकीब Gorakhpur News
सुमेर सागर ताल की जमीन पर अवैध कब्जा करने के लिए कुछ लोगों ने खानाबदोशों को बसाया था। झोपड़ी डलवाकर उन्हें बसाने वाले हर महीने किराये के तौर पर मोटी रकम वसूलते थे।
गोरखपुर, जेएनएन। सुमेर सागर ताल की जमीन पर अवैध कब्जा करने के लिए कुछ लोगों ने खानाबदोशों को बसाया था। झोपड़ी डलवाकर उन्हें बसाने वाले हर महीने किराये के तौर पर मोटी रकम वसूलते थे। आसपास के लोगों को उन पर रोहिग्या होने का शक था। कई लोगों ने इसकी शिकायत भी की थी, लेकिन स्थानीय पुलिस और एलआइयू की जांच में इसकी पुष्टि नहीं हुई। छानबीन में इनके पश्चिम बंगाल और असम का होने का प्रमाण मिला था।
कबाड़ बीनने वालों को दिया किराए पर
काफी लोगों ने ताल को पाटकर जमीन पर कब्जा कर रखा है। कुछ ने कब्जा किए हुए हिस्से पर चहारदीवारी का निर्माण कराकर कबाड़ बीनने वालों को किराये पर दे दिया था। चहारदीवारी के अंदर वे झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। जिला प्रशासन अब ताल की जमीन को खाली करा रहा है। पहले चरण में उस हिस्से को खाली कराया जा रहा है, जहां स्थाई निर्माण नहीं हुआ था और कबाड़ बीनने वाले रह रहे थे। जिन लोगों ने स्थाई निर्माण करा रखा है, उन्हें नोटिस जारी की गई है।
रोहिग्या होने का था संदेह
ताल की जमीन पर रह रहे खानाबदोशों से जमीन खाली कराए जाने और उनके यहां से जाने के बाद एक बार फिर उनको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि कई अधिकारी भी उनके रोहिग्या होने की बात कह रहे हैं। हालांकि गोरखनाथ पुलिस उनके पश्चिम बंगाल और असम का होने का दावा कर रही है। करीब साल भर पहले एलआइयू की टीम से कराई गई जांच में भी उनके असम और पश्चिम बंगाल का होने की पुष्टि हुई है।
स्थानीय पुलिस और एलआइयू से पूर्व में कराई गई जांच में किसी के रोहिग्या होने की पुष्टि नहीं हुई थी। स्थानीय लोग उनके रोहिग्या होने का दावा कर रहे हैं तो नए सिरे से इसकी जांच कराई जाएगी। - डॉ. सुनील गुप्ता, एसएसपी
भू-माफिया प्रतिदिन करते थे लाखों की वसूली
सुमेर सागर ताल की जमीन पर भूमाफिया ने असम और बंगाल के ऐसे परिवारों को बसा दिया, जिनके पास कोई वैध दस्तावेज ही नहीं थे। जिला प्रशासन की जांच में इन परिवारों से प्रतिदिन चार से पांच लाख रुपये की वसूली की बात सामने आई है। इसके अलावा अन्य जमीनों पर भी भूमाफिया मनमाने ढंग से लाखों रुपये की वसूली कर रहे थे। अब प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि आखिर झुग्गी-झोपडिय़ों मे रहने वाले लोग प्रतिदिन इतनी धनराशि का भुगतान क्यों कर रहे थे? अब तक की जांच में इस परिसर में कई गैर कानूनी कार्य होने के संकेत मिले हैं। इसके लिए जिम्मेदार भूमाफिया को चिह्नित करने का कार्य भी प्रशासन ने शुरू कर दिया है।
जारी है अवैध कब्जा हटाने का अभियान
उधर, ताल सुमेर सागर से अतिक्रमण हटाने का अभियान जारी है। मंगलवार देर शाम ताल की खोदाई के लिए दो बुलडोजर लगाए गए। ताल के सीमांकन का कार्य बुधवार को पूरा हो जाएगा। प्रशासन ने अभी तक 22 एकड़ जमीन का दावा किया है। प्रशासन के मुताबिक यह रकबा घट-बढ़ भी सकता है। सीमांकन के बाद प्रशासन ताल के सौंदर्यीकरण की योजना पर अमल शुरू करेगा। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गौरव सिंह सोगरवाल ने ताल की जमीन पर अवैध रूप से काबिज सौ से अधिक परिवारों के रातोंरात गायब होने को गंभीरता से लिया है। पूरे मामले की जांच कराई जा रही है। शहर के अन्य इलाकों में फैले इनके नेटवर्क को तलाशा जा रहा है। प्रशासन अब इस बात की तहकीकात कर रहा है कि ताल सुमेर सागर से भागे परिवार कहां बसे हैं।
ताल की जमीन पर बन गया पूरा मोहल्ला
ताल की इस जमीन पर दर्जनों पक्के मकान बना दिए गए। इनमें दो से अधिक जमीनों का जीडीए (गोरखपुर विकास प्राधिकरण) ने नक्शा भी पास कर दिया। हद तो यह कि ताल की जमीन पर नगर निगम ने सड़क का निर्माण करवा दिया। भूमाफिया ने ताल के बीच हिस्से वाली जमीन पर गोदाम बनाकर किराए पर दे दिया। जमीन पर कब्जा बना रहे इसके लिए करीब सौ से अधिक रोङ्क्षहग्या परिवारों को लाकर बसा दिया गया। प्रशासन ने सख्ती की तो अब मामले की पोल खुलने लगी है।
ताल सुमेर सागर से तीसरे दिन भी अतिक्रमण हटाया गया। चिह्नांकन व सीमांकन के दौरान जो भी निर्माण मिले हैं, उन्हें ध्वस्त कराया गया है। ताल को रमणीक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है। जीडीए और पर्यटन विभाग को संयुक्त रूप ताल के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। तालाब के चारो ओर वाकिंग ट्रैक समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस जगह पर भूमाफिया प्रतिदिन 10 से 12 लाख रुपये की वसूली कर रहे थे, इसकी भी जांच कराई जा रही है। - गौरव सिंह सोगरवाल, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट।
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