दार्जि¨लग के इंजीनियरों ने ट्रामवे का जाना हाल
गोरखपुर : ब्रिटिश हुकूमत में वर्ष 1924 में बनी भारत की पहली ट्रामवे रेल परियोजना के पुन: ग
गोरखपुर : ब्रिटिश हुकूमत में वर्ष 1924 में बनी भारत की पहली ट्रामवे रेल परियोजना के पुन: गुलजार होने की उम्मीद दिखाई देने लगी है। प्रमुख वन संरक्षक के. थामस, प्रभागीय वनाधिकारी मनीष ¨सह दार्जि¨लग के इंजीनियरों के साथ एकमा स्थित ट्रामवे रेल इंजन व ट्रैक का निरीक्षण किया। इंजीनियरों ने इंजन के ब्वायलर जांच का आदेश दिया है।
सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के महराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर में वर्ष 1924 में महज 35243 रुपये की लागत से भारत की पहली ट्रामवे रेल परियोजना लक्ष्मीपुर से जंगल में स्थित चौराहा नामक स्थान तक 22.4 किमी की दूरी तक तैयार की गई थी। वर्ष 1967-68 तक इस परियोजना ने खूब लाभ कमाया। वहीं 1974-1980 के बीच परियोजना घाटे में चली गई। लिहाजा वर्ष 1982 में परियोजना पूरी तरह बंद होकर इतिहास के पन्नों में दफन सी हो गई। जिसके बाद से जहां एक तरफ इस धरोहर की यादों पर उपेक्षा की जमती गर्द के चलते परियोजना के अवशेष खुले आसमान के नीचे धूल फांक रहे हैं। वहीं परियोजना को पुन: संचालित करने की मांग को देखते हुए शासन-प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए ट्रामवे रेल परियोजना को पुन: संचालित करने की कवायद तेज कर दिया है। इसी क्रम में रेल इंजन व पटरियों की जांच के लिए दार्जि¨लग से इंजीनियर युवराज ने एकमा डिपो पहुंच कर इंजन का हाल जाना। इंजीनियर ने इंजन को पुरानी तकनीक का बताया। इंजीनियर युवराज ने बताया कि दार्जि¨लग में चल रही टाय ट्रेन का इंजन एकमा में खड़े इंजन से मेल खाता है। दोनों इंजन कोयले व लकड़ी से चलते हैं। इससे यह संभावना जताई जा रही है जल्दी ही शासन से स्वीकृति लेकर कार्य प्रारंभ करा दिया जाएगा।