नगर विधायक ने जल निगम के अधिकारियों से की मुलाकात, हड़ताल पर जाने वालों पर कार्रवाई की मांग Gorakhpur News
नगर विधायक ने कहा कि वैसे भी जब तक छुट्टी की स्वीकृति न मिल जाये वह छुट्टी नहीं गैर-जिम्मेदार अनुपस्थिति होती है और अनुशासनहीनता के दायरे में आती है ।
गोरखपुर, जेएनएन। नगर विधायक डा राधा मोहन दास अग्रवाल ने लखनऊ जलनिगम कार्यालय में जलनिगम के चेयरमैन जी पटनायक ,चीफ टेकनिकल ऐडवाईजर जुबेर अहमद ,उप प्रबंध निदेशक तथा टेक्नीकल एडवाईजर एसएन मणि के साथ बैठक की और उन्हें गोरखपुर में जलनिगम के अभियंताओं की हडताल पर पूरी चर्चा की।
नगर विधायक ने कहा कि उपार्जित अवकाश सिर्फ वेकेशनल विभाग में दिये जाते हैं, जिनमें गर्मी की छुट्टियाँ होती हैं लेकिन ग्रीष्मावकाश के दौरान अगर कर्मचारियों से काम लिया जाता है तो उसके एवज में उपार्जित अवकाश दिया जाता है। जल निगम वेकेशनल विभाग है ही नही, फिर उपार्जित अवकाश वंहा कैसे हो सकता है।
छुट्टी पर जाने का बताया नियम
उन्होंने कहा कि अभियंताओं को अर्जित अवकाश लेनी चाहिए थी। वैसे भी 15 दिन के अवकाश के लिए सात दिन पूर्व नोटिस देनी होती है और 30 दिनों के लिए 15 दिन पूर्व छुट्टी के लिए नोटिस देनी होती है ।नोटिस देने के ही दिन छुट्टी पर चले जाना पूरी तरह गैर-कानूनी है और इसे सवैतनिक नहीं बल्कि अवैतनिक अनुपस्थिति माना जायेगा । नगर विधायक ने कहा कि किसी भी प्रकार की छुट्टी किसी का अधिकार नही होता है । वह जबरदस्ती छुट्टी नही पा सकता है । विभागाध्यक्ष के विवेक पर है कि वह अर्जित अवकाश भी स्वीकृत करे या न करे और जब चाहे परिस्थितियों के अनुसार छुट्टी खत्म करके कर्मचारी को वापस बुला सके।
यह छुट्टी अनुशासनहीनता के दायरे में
नगर विधायक ने कहा कि वैसे भी जब तक छुट्टी की स्वीकृति न मिल जाये वह छुट्टी नहीं गैर-जिम्मेदार अनुपस्थिति होती है और अनुशासनहीनता के दायरे में आती है । उनहोंने कहा किसी भी प्रकार का अवकाश कर्मचारी/ अधिकारी का निजी अधिकार होता है और सामूहिक उपार्जित/ अर्जित अवकाश,वास्तव में अवकाश है ही नही । यह बिना पूर्व-नोटिस दिये हडताल करने का काम है । यह उनकी सेवा-नियमावली का उल्लंघन है।
हमारा नुकसान नहीं
उन्होंने सभी हडताली अभियंताओं के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की । नगर विधायक ने कहा कि हडताली अभियंता अपने प्रादेशिक नेताओं को गोरखपुर बुलाने की बात कर रहे हैं। उन्हें निजी रूप से कोई अंतर नहीं पडता है ,क्योंकि उनके हडताल से हमारा राजनैतिक नुकसान नहीं बल्कि फायदा हो रहा है । हडताल जितने दिन खिंचेगी नागरिक उतना ही अधिक आक्रोशित होंगे । वैसे भी अनर्गल आरोपों से भी उनके पाले में राजनैतिक उपलब्धियां ही आई हैं। मेरे ऊपर आरोप था कि मैं बहुत सीधा-साधा विधायक हूँ। बिना कुछ किये एक झटके में वह आरोप उतर गया है । नगर विधायक ने कहा कि प्रान्तीय नेता आना चाहते हैं वे गोरखपुर आये ,वे उनका स्वागत करते हैं। लेकिन नागरिकों का गुस्सा चरम पर है और भीड़ अकसर अनुदार हो जाती है ,इसलिए प्रशासन इसकी चिन्ता कर ले।
समाधान निकालने की जरूरत
चेयरमैन जी पटनायक ने कहा कि कर्मचारियों की सेवा नियमावली,उनके छुट्टियों को लेकर सुस्पष्ट है और उसी के आलोक में विभाग उस पर निर्णय लेता है । वैसे विवाद को बहुत बढाने की नहीं व्यवहारिकता के साथ समाधान निकालने की जरूरत है। नगर विधायक ने कहा कि कानून से तो कोई भी ऊपर नही होता है । भारतीय दण्ड संहिता कर्मचारी और विधायक सबपर समान रूप से लागू होती है और हमने अगर कुछ गलत किया होगा तो हमारे ऊपर भी लागू होगी । लेकिन इसके लिये सामूहिक तथाकथित उपार्जित अवकाश पर जाने की क्या जरूरत थी? उन्हें अपने चेयरमैन पर विश्वास करते हुए अपने द्वारा लगाये गये आरोपों के समर्थन में सबूत दे चाहिये थे । ऐसा करने की जगह हडताल पर जाना , लापरवाही और भ्रष्टाचार पकड़े जाने पर दण्डित होने के डर से हडताल पर जाकर सरकार को ब्लेकमेल करने जैसा है । चेयरमैन जी पटनायक ने नगर विधायक से आग्रह किया कि नागरिकों का हित सर्वोपरि है। किसी के आरोप लगा देने से आपकी बीस साल में बनाई छवि प्रभावित कैसे हो जायेगी। नगर विधायक ने कहा कि हां यह सत्य है और इसी लिये नागरिक खुलकर उनके साथ और जलनिगम के खिलाफ खड़े हैं। चेयरमैन ने नगर विधायक को आश्वस्त किया कि शीघ्र ही व्यापक जनहित में समाधान निकल जायेगा ।