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गुड़ का कारोबार जीवन में घोल रहा मिठास, मेहनत कर बढ़े तरक्‍की के रास्‍ते पर Gorakhpur News

संतकबीर नगर जिले के सांथा ब्लाक के धोबहा निवासी तय्यब अली ने गांव में गन्ना पेराई करके गुड़ बनाने का कार्य शुरू किया। उनकी उन्नति देखकर क्षेत्र के कुछ अन्य लोग भी गुड़ बनाने का कार्य कर रहे हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 02:10 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 02:10 PM (IST)
गुड़ का कारोबार जीवन में घोल रहा मिठास, मेहनत कर बढ़े तरक्‍की के रास्‍ते पर Gorakhpur News
सांथा ब्लाक के धोबहा में अपने सहयोगियों के साथ गुड़ बनाते तैयब (दाएं)। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन : कहते हैं इरादे मजबूत हों तो कोई भी राह आसान हो सकती है। इस कहावत को चरितार्थ किया है संतकबीर नगर जिले के सांथा ब्लाक के धोबहा निवासी तय्यब अली ने। एक दशक पूर्व उन्होंने गरीबी से तंग आकर गांव में गन्ना पेराई करके गुड़ बनाने का कार्य शुरू किया। आज वह तरक्की के रास्ते पर हैं। उनकी उन्नति देखकर क्षेत्र के कुछ अन्य लोग भी गुड़ बनाने का कार्य कर रहे हैं। तय्यब का बनाया गुड़ ज्यादातर हाथों- हाथ बिक जाता है। गर्म गुड़ खरीदने के लिए लोग प्रतिदिन उनके पास पहुंचते हैं। बेहतर स्वाद के कारण गर्मी के मौसम में गुड़ की मांग बढ़ जाती है। तय्यब अपने एक एकड़ खेत में खुद गन्ना उगाते हैं। साथ ही क्षेत्र के अन्य किसानों का भी गन्ना खरीदकर गुड़ बनाते हैं। अपने पेराई केंद्र पर 15 से 20 लोगों को वह नियमित रोजगार दे रहे हैं। खुद तरक्की करने के साथ-साथ तय्यब दूसरों को भी इस रोजगार के लिए प्रेरित करते हैं। वर्तमान में वह लोगों के लिए प्रेरणा के श्रोत हैं।

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नेपाल तक होती है गुड़ की आपूर्ति

तय्यब के गुड़ की आपूर्ति संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, बस्ती सहित नेपाल तक होती है। वैसे ज्यादातर इनका बनाया गुड़ क्षेत्रीय स्तर पर ही खत्म हो जाता है, लेकिन गन्ने के सीजन में पेराई का काम तेज होता है तो गुड़ का निर्माण भी तेजी से होने लगता है। इससे आपूर्ति भी बढ़ जाती है। गुड़ बनाने के कार्य से इनको प्रतिवर्ष करीब दस लाख रुपये का मुनाफा होता है।

शुरू हो गई गन्ने की खेती

सांथा क्षेत्र गन्ने की खेती के लिए मुफीद नहीं माना जाता है। बेसहारा पशुओं व जंगली जानवरों की समस्या से फसल बर्बाद होने का खतरा बना रहता था। इस कारण यहां गन्ने की पैदावार किसान नहीं करते थे, लेकिन तय्यब का पेराई केंद्र चलता देखकर धोबहा, गनवरिया, रमवापुर, राजेडीहा गांव के दर्जनों किसानों ने गन्ने की खेती शुरू कर दी। खेत से ही फसल खरीद ली जाती है। किसानों को उचित दाम मिल जाता है। अब क्षेत्र में गन्ना की खेती करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। तय्यब कहते है कि महराजगंज जनपद में एक दशक पूर्व निजी कार्य से गया था। वहां एक रिश्तेदार ने गुड़ बनाने के कार्य के बारे में जानकारी दी। तभी से गुड़ बनाने का कार्य कर रहा हूं। अब इस धंधे से काफी फायदा हो रहा है।


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