कर नहीं देने पर अंग्रेजों ने जलाया था महराजगंज का खेसरारी गांव
ग्रामीणों का बहुत नुकसान हुआ था जिसकी सूचना ग्रामीणों ने बाबा राघवदास की मदद से महात्मा गांधी को भेजवाई थी। जो उस समय गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने लंदन गए हुए थे। सूचना मिलने पर उन्होंने यह बात उस सम्मेलन में उठाई थी इसके बाद ब्रिटिश रानी ने किसानों को क्षतिपूर्ति देने का वायदा किया था।
महराजगंज : सिसवा क्षेत्र के वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने भी अंग्रेजों का जमकर विरोध किया था। विरोध के दौर में ही वर्ष 1931 में कर नहीं देने पर खेसरारी गांव को अंग्रेजों ने जला दिया था। अंग्रेजों द्वारा मनमानी ढंग से जनता का शोषण किया जाता था। उस समय अंग्रेजों द्वारा एक नए कर देने की घोषणा किया, जिसका खेसरारी के ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया और कर देने से मनाकर दिया। यह बात जब अंग्रेजों तक पहुंची तो उन लोगों ने स्थानीय प्रशासन के साथ अपने लोगों को भेजकर पूरे गांव में आग लगवा दी।
इस घटना में ग्रामीणों का बहुत नुकसान हुआ था, जिसकी सूचना ग्रामीणों ने बाबा राघवदास की मदद से महात्मा गांधी को भेजवाई थी। जो उस समय गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने लंदन गए हुए थे। सूचना मिलने पर उन्होंने यह बात उस सम्मेलन में उठाई थी, इसके बाद ब्रिटिश रानी ने किसानों को क्षतिपूर्ति देने का वायदा किया था, जब किसानों को क्षतिपूर्ति नहीं मिली तो फिर गांधी जी सिसवा के खेसरारी में आने का कार्यक्रम बनाया। गांधी जी खेसरारी आने के लिए जब घुघली से बंदी ढाला तक पहुंचे थे। तब तक अंग्रेजों के हाथ पांव फूल गए और उन लोगों ने बंदी ढाला पर रोककर उनसे माफी मांगी और किसानों को क्षतिपूर्ति मिली थी। क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में सिसवा कस्बा स्थित महिला चिकित्सालय के बगल में प्राथमिक विद्यालय परिसर में सेनानी मातादीन कानू, बृजभूषण नोनिया, चिल्लर, मुंदर, रामदयाल कुर्मी, विश्वनाथ सिंह, भुक्खल, मदन पांडेय, रामदयाल, लालजी माली, दामोदर शर्मा की याद में शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया है। जहां लोग इन महापुरुषों को नमन करते हैं।