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टेरर फंडिंग : आरोपितों का दूसरे शहरों में कनेक्शन खोज रही एटीएस

गोरखपुर : टेरर फंडिंग (आतंक फैलाने के लिए धन मुहैया कराने) के आरोप में गिरफ्तार किए

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Mar 2018 12:42 PM (IST)Updated: Thu, 29 Mar 2018 12:42 PM (IST)
टेरर फंडिंग : आरोपितों का दूसरे शहरों में कनेक्शन खोज रही एटीएस

गोरखपुर : टेरर फंडिंग (आतंक फैलाने के लिए धन मुहैया कराने) के आरोप में गिरफ्तार किए गए आरोपितों से एटीएस के साथ ही देश की सुरक्षा से जुड़ी खुफिया एजेंसियों के विशेषज्ञों ने बुधवार को लखनऊ में पूछताछ शुरू की। छानबीन में गोरखपुर के कारोबारी भाइयों सहित चार आरोपितों का दूसरे शहरों में भी कनेक्शन होने के संकेत मिले हैं। एटीएस के साथ ही सभी खुफिया एजेंसियां उनसे पूछताछ कर दूसरे शहरों में स्थित उनके नेटवर्क का पता लगाने का प्रयास कर रही हैं। गोरखपुर के कारोबारी भाइयों से करीबी संबंध रखने, खासकर उनसे रुपयों का लेनदेन करने वालों पर नजर रखी जा रही है।

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लखनऊ से आई एटीएस की टीम ने शनिवार को गोरखपुर में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर मोबाइल फोन के कारोबार से जुड़ी फर्म नईम एंड संस के मालिक नईम अहमद के दो पुत्रों नसीम अहमद और अरशद नईम सहित छह लोगों को टेरर फंडिंग से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसी दिन कई दूसरे शहरों में छापेमारी कर चार अन्य लोग भी इसी आरोप में पकड़े गए थे। गोरखपुर में छापेमारी करने वाली एटीएस की टीम ने कारोबारी भाइयों की कैंट क्षेत्र के बलदेव प्लाजा और कोतवाली क्षेत्र के दो शापिंग कांपलेक्स में स्थित तीन दुकानें सीज कर दी है। इन दुकानों से कंप्यूटर हार्ड डिस्क, लैपटाप, पेन ड्राइव तथा कई दस्तावेज अपने कब्जे में लिए गए हैं। इनकी गिरफ्तारी के दूसरे दिन एटीएस के आइजी असीम अरुण ने बताया कि पकड़े गए लोगों का संबंध पाकिस्तान के चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयब्बा के एक आतंकी से है। उसके कहने पर वे लोग देश के विभिन्न हिस्सों में आतंक फैलाने के लिए रुपयों को इंतजाम करते हैं और फर्जी नाम तथा पते से खोले गए खातों के जरिए विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त देश विरोधी तत्वों तक रकम पहुंचाते हैं। पूछताछ के लिए एटीएस ने कोर्ट से आरोपितों को रिमांड पर देने का अनुरोध किया था। मंगलवार को रिमांड मंजूर होने के बाद एटीएस ने सभी आरोपितों को बुधवार को अपनी कस्टडी में लेकर विभिन्न खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर पूछताछ शुरू की।

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पिछले साल ही आई थी टेरर फंडिंग की बात

गोरखपुर से टेरर फंडिंग होने की बात पिछले साल सामने आई थी। इसके बाद से ही छानबीन में जुटी एटीएस को कारोबारी भाइयों का देश के दूसरे शहरों में कनेक्शन होने का पता चला था। उनसे पूछताछ कर एटीएस व खुफिया एजेंसियां दूसरे शहरों में उनके कनेक्शन के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। यहां बता दें कि कारोबारी भाइयों का आजमगढ़ की पृष्ठभूमि से जुड़े इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों और काश्मीर में सक्रिय लश्कर-ए-तैयब्बा के आतंकियों से संबंध होने का शक है। खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर एटीएस उनके इस नेटवर्क का पता लगाने में जुटी है।

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दो आरोपितों की कथित बहन, मां व भाई भी हैं निशाने पर

टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़े होने के आरोप में एटीएस ने खोराबार के भरवलिया गांव में छापेमारी कर किराये के मकान में रहने वाले दो युवकों को गिरफ्तार किया था। उनकी पहचान पड़रौना, कुशीनगर निवासी मुशर्रफ उर्फ निखिल राय तथा जीयनपुर, आजमगढ़ निवासी सुशील राय के रूप में हुई है। खास बात यह कि मुशर्रफ की पहचान सिर्फ निखिल राय के रूप में थी। मुर्शरफ के रूप में उसे कोई नहीं जानता था। मुशर्रफ उर्फ निखिल राय तथा सुशील राय खुद को सगा भाई बताते थे। उनके साथ एक युवती रहती थी, जिसे वे अपनी सगी बहन और कभी-कभार उनके कमरे पर आने वाली एक अधेड़ महिला व एक युवक को वे मां व भाई बताते थे। एटीएस के छापे से पहले ही युवती गांव जाने की बात कहकर कमरे से निकल गई थी। उनसे पूछताछ कर यह पता लगाया जा रहा है कि सुशील राय, मुशर्रफ को आखिर क्यों अपना सगा भाई बताता था? उनके साथ रहने वाली युवती वास्तव में किसकी बहन थी, सुशील राय की या मुशर्रफ की? उनके किराये के कमरे में आने वाली अधेड़ महिला और लखनऊ से आने वाले युवक का उनसे क्या संबंध था? इसके साथ ही कथित बहन, मां व भाई की टेरर फंडिंग नेटवर्क में भूमिका की छानबीन की जा रही है।

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आरोपितों के परिजनों से भी हो सकती है पूछताछ

गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों के परिजनों से भी पूछताछ की जा सकती है। एटीएस ने स्थानीय पुलिस को उन पर नजर रखने के लिए कहा है। बताते हैं कि पूछताछ होने के डर से ही गोरखपुर के कारोबारी भाइयों का परिवार गोलघर, गांधी गली स्थित अपार्टमेंट के अपने फ्लैट में ताला बंद कर गायब हो गया है। कारोबारी भाइयों के परिवार के लोग सोमवार की देर रात अपने फ्लैट में मौजूद थे। मंगलवार को सुबह से उनके फ्लैट में ताला बंद है।

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एअीएस के आइजी असीम अरुण का कहना है कि कोर्ट से रिमांड मिलने के बाद आरोपितों को बुधवार को कस्टडी में ले लिया गया। विभिन्न बिंदुओं को केंद्र में रखकर उनसे पूछताछ की जा रही है। पूछताछ में देश की कई खुफिया एजेंसियों के लोग भी शामिल हैं। उम्मीद है कि बहुत जल्दी टेरर फंडिंग करने वाले नेटवर्क का पूरी तरह से पर्दाफाश कर लिया जाएगा।

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