गोरखपुर रेलवे के दस कर्मचारी नाैकरी से हटाए गए Gorakhpur News
यह सभी कर्मचारी नवंबर 2020 तक तैनात किए गए थे। लेकिन रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश पर जून में ही पुनर्नियोजित कर्मचारियों की समीक्षा शुरू हो गई।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने मंडलों, विभागों और कारखानों में तैनात पुनर्नियोजित कर्मचारियों को धीरे-धीरे हटाना शुरू कर दिया है। गुरुवार को यांत्रिक कारखाने से दस कर्मचारी भी बाहर कर दिए गए। दो दिन पहले मुख्यालय गोरखपुर स्थित कार्मिक विभाग ने दस कर्मचारियों को हटाने का फरमान जारी किया था। लखनऊ और इज्जतनगर मंडल के पुनर्नियोजित कर्मचारी पूर्व में ही हटा दिए गए हैं। वाराणसी मंडल के अलावा मुख्यालय गोरखपुर के लेखा, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य और परिचालन विभाग में तैनात पुनर्नियोजित कर्मचारियों को हटाए जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
नवंबर 2020 तक तैनात किए गए थे सभी कर्मचारी
यह सभी कर्मचारी नवंबर 2020 तक तैनात किए गए थे। लेकिन रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश पर जून में ही पुनर्नियोजित कर्मचारियों की समीक्षा शुरू हो गई। समीक्षा के बाद रेलवे ने यह निर्णय लिया है कि अब इन कर्मचारियों की कोई उपयोगिता नहीं रह गई है। विभागीय जानकारों का कहना है कि समीक्षा तो एक बहाना है। आने वाले दिनों में अब इन कर्मचारियों के लायक कोई कार्य भी नहीं बचा है। अगस्त से सितंबर तक सभी कार्य ई आफिस से अनिवार्य रूप से शुरू हो जाएंगे। रेलवे के अन्य कार्य भी ई प्लेटफार्म पर होने लगे हैं। रेलकर्मियों को इसके लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। फिलहाल, पूर्वोत्तर रेलवे ने अगले सप्ताह तक सभी पुनर्नियोजित कर्मचारियों को बाहर करने का पूरा मन बना लिया है। मुख्यालय गोरखपुर सहित लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल में कुल 597 पुनर्नियोजित कर्मचारी तैनात किए गए थे।
रिक्त पदों पर नई तैनाती की जगह बहाल हुए थे सेवानिवृत्त कर्मचारी
विभागीय कार्य प्रभावित न हो इसके लिए वर्ष 2017 में री-इंगेजमेंट स्कीम शुरू हुई थी। रेलवे ने रिक्त पदों पर नई तैनाती न कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ही री-इंगेजमेंट स्कीम के तहत अधिकतम पांच वर्ष के लिए निर्धारित मानदेय पर बहाल कर लिया था। शुरुआत में देश भर में इस स्कीम का विरोध हुआ था। हालांकि, दिसंबर 2019 में री- इंगेजमेंट स्कीम (पुनर्नियोजन योजना) में ही समाप्त हो गई थी। लेकिन रेलवे बोर्ड के निर्देश पर पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने इस योजना को नवंबर 2020 तक एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया था। अब छह माह में ही पुनर्नियोजित कर्मचारियों को वापस किया जा रहा है।