इनके हुनर से सवंर गई तीन सौ महिलाओं की जिंदगी
कुशीनगर की तारा देवी उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी गांव में महिलाओं को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर लोगों को आत्मनिर्भर बना रही हैं।
कुशीनगर, (बृजेश शुक्ल)। संकल्प और नेक इरादा हो तो फिर राह में कामयाबी के फूल ही नहीं खिलते बल्कि इनकी खुशबू से दूसरे का घर-आंगन भी महक उठता है। ऐसे ही संकल्प और नेक इरादे का एक नाम कुशीनगर जनपद के हाटा की 36 वर्षीय तारा देवी का है। जिनकी लगन से तीन सौ बेरोजगार ग्रामीण महिलाओं के हाथ हुनर से चमक उठे और आत्मनिर्भर बन खड़ी हो गईं। हाटा नगर पालिका की बल्डीहा निवासी इस महिला ने बीते पांच वर्षों में यह काम कर दिखाया, जिसे करने में सरकारी महकमे को कई साल लग जाते हैं। एक स्वयंसेवी संस्था के साथ जुड़कर क्षेत्र की बेरोजगार युवतियों को सिलाई कढ़ाई का निश्शुल्क प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया तो फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।
ऐसे हुई इनके संकल्प की शुरुआत
संस्कृत से एमए करने के बाद पांच वर्ष पूर्व इनकी मुलाकात एक सेवा संस्थान चलाने वाली सुधा राव से हुई। घर में खेती किसानी का परिवेश होने व पर्दा प्रथा के कारण ससुराल में घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध था, लेकिन संस्था से जुडऩे की इजाजत मिल गई। अब उन्होंने पढ़ाई के दौरान सीखे गए सिलाई-कढ़ाई के हुनर से गांव की बेरोजगार महिलाओं के हाथों में रोजगार की चमकी बिखेरनी की ठानी। स्वावलंबी बनाने का निर्णय लिया। आज अकेले तारा ने क्षेत्र की लगभग तीन सौ युवतियों को निश्शुल्क सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बना दिया है। वह सिलाई सीखने आ रहीं निरक्षर युवतियों को साधारण जोड़-घटाना बताने के साथ ही किताब पढऩे के योग्य भी बनाती हैं।
ये बनीं स्वावलंबी
ढाढ़ा की ममता, गिदहा की प्रतिमा, बिनीता, मिश्र ढाढ़ा की जुली, सोनी, बबीता आदि युवतियां सिलाई सीख चुकी हैं। वे बताती हैं कि इससे उनकी खुद की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है तो गांव की अन्य महिलाओं को सहूलियत मिली है। उनको सिलाई कराने अब कहीं और नहीं जाना पड़ता है।