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Gorakhpur Coronavirus Update News: गोरखपुर मेडिकल कालेज में मरीजों में ब्लैक व वाइट फंगस के लक्षण मिलने से हड़कंप

पोस्ट कोविड वार्ड के नोडल अधिकारी डा. राम कुमार जायसवाल ने बताया कि नाक के स्राव की जांच से सिर्फ फंगस की मौजूदगी पता चलती है। इन मरीजों की जांच में म्यूकोरमाइकोसिस के अलावा कैंडिड और एस्पराजाइला फंगस के संकेत मिले हैं।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 05:31 PM (IST)Updated: Tue, 25 May 2021 05:31 PM (IST)
ब्‍लैक फंगस का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। बाबा राघव दास (बीआरडी) के पोस्ट कोविड वार्ड में भर्ती दो मरीजों के नाक के स्राव (नेजल स्वाब) की जांच में ब्लैक व वाइट दोनों फंगस मिलने के बाद हड़कंप मच गया है। कल्चर एंड सेसटिविटी टेस्ट के लिए उनके नूमने माइक्रोबायोलाजी विभाग में भेजे गए हैं। दोनों मरीजों की नाक से भीतर से शुरू हुआ संक्रमण आंखों तक पहुंच गया है। इलाज शुरू कर दिया गया है। एक मरीज कुशीनगर व दूसरा गोरखपुर का है। दोनों की उम्र क्रमश: 48 व 51 वर्ष है।

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नेजल स्वाब में मिले फंगस, सेंसटिविटी टेस्ट के लिए नमूने भेजे गए

पोस्ट कोविड वार्ड के नोडल अधिकारी डा. राम कुमार जायसवाल ने बताया कि नाक के स्राव की जांच से सिर्फ फंगस की मौजूदगी पता चलती है। इन मरीजों की जांच में म्यूकोरमाइकोसिस के अलावा कैंडिड और एस्पराजाइला फंगस के संकेत मिले हैं। अंतिम तौर पर पुष्टि के लिए दोनों मरीजों के फंगस के नमूने कल्चर और सेंसटिविटी टेस्ट के लिए दोबारा मायक्रोबायोलाजी विभाग में भेजे गए हैं। तीन से चार दिन में रिपोर्ट मिल जाएगी। जिसके बाद पता चलेगा कि दोनों का फंगस कितना प्रभावी है। यह पहला मामला है कि किसी मरीज में दोनों फंगस के लक्षण एक साथ मिले हैं।

लखनऊ में भी चल रहा इलाज

सिद्धार्थनगर जनपद के एक व्यक्ति के ब्लैक फंगस से पीडि़त होने की जानकारी मिलने से हड़कम्प मच गया है। पीडि़त का इलाज किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ में चल रहा है। भनवापुर ब्लाक के बेंव मुस्तहकम निवासी राजेश तिवारी पुत्र रामकृपाल तिवारी की उम्र लगभग 36 वर्ष है। वह हार्डवेयर व बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान बिजौरा में करते हैं। वह मेडिकल की पढ़ाई कर रहे अपने भाई से मिलने आगरा गए थे। तबीयत खराब होने पर उनकी छह मई को कोविड 19 की जांच कराई गई। रिपोर्ट पाजिटिव आने पर  भाई ने उन्हेंं मेडिकल कालेज में भर्ती करा दिया 12 दिन इलाज होने के बाद उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। वह एक दिन के लिए घर आए। बिजौरा स्थित अपनी दुकान पर गए तो आंख से दिखाई न देने की समस्या आई। भाई से बात करके वह 19 मई को केजीएमयू में भर्ती हो गए। अब उनकी सेहत में सुधार है। पीडि़त ने सेहत में सुधार के बाद कुछ लोगों को फोन पर खुद के ब्लैक फंगस से पीडि़त होने की जानकारी दी। सीएचसी भनवापुर के प्रभारी डाक्टर शैलेन्द्र मणि ओझा ने बताया कि उन्हेंं इसकी जानकारी नहीं है। कोरोना के नोडल डाक्टर सौरभ चतुर्वेदी ने बताया कि अभी तक इससे जुड़ी जानकारी उनके पास नहीं है। मीडिया से जानकारी मिली है।अपने स्तर से पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं।


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