परिसर से-छुट्टी लेने में छूट रहे पसीने Gorakhpur News
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गोरखपुर, जेएनएन। विश्वविद्यालय में इन दिनों शिक्षकों को साहब से छुट्टी लेने में पसीने छूट रहे हैं। वजह है पंद्रह वर्ष पर होने वाला नैक मूल्यांकन। एक दिन साहब ने नैक मूल्यांकन को लेकर तैयारियों की समीक्षा की। सभी विभागाध्यक्षों व अधिकारियों को बुलाया। नैक को लेकर गंभीरता बरतते हुए साहब ने एक-एक बिंदुओं पर चर्चा की। इसी दौरान किसी ने छेड़ दिया कि आजकल परिसर में सभी का रहना जरूरी है। यह बात साहब के कानों तक जा पहुंची। उन्होंने अपना फरमान जारी करते हुए कहा कि जब तक नैक मूल्यांकन हो नहीं जाता किसी को भी छुट्टी नहीं मिलेगी। यह बात सुनते ही सभी लोग सन्न रहे गए। बीच-बीच में छुट्टी लेने वाले कई शिक्षकों को तो जैसे सांप सूंघ गया। उस दौरान तो सभी ने मूक सहमति दे दी। जैसे ही बैठक खत्म हुई चर्चाएं शुरू हो गईं। कई लोग जहां साहब के फरमान को सही ठहराते नजर आए तो वहीं कुछ नाराजगी जताते दिखे।
प्रभार छीना तो छिड़ गई चर्चा
वरिष्ठ शिक्षकों में शुमार व कई प्रमुख समितियों के संयोजक गुरुजी इन दिनों विश्वविद्यालय में चर्चा का विषय बने हुए हैं। बड़े साहब के नजदीक रहने के कारण वह अपने को सबसे अलग समझते हैं। उन्हें यह कतई उम्मीद नहीं था कि उनसे भी कभी नोडल अधिकारी का प्रभार छीन जाएगा, लेकिन साहब के एक आदेश ने उनकी इस सोच पर पानी फेर दिया। पिछले हफ्ते बड़े साहब ने एक आदेश जारी कर उनके स्थान पर एक दूसरे विभाग के वरिष्ठ शिक्षक को उनका प्रभार सौंप दिया। गुरुजी का प्रभार छीना तो बहस भी छिड़ गई। चेहरे पर आश्चर्य का भाव लिए विश्वविद्यालय के शिक्षक व कर्मचारी यह कहते नजर आए कि ऐसा कैसे हो गया? यह तो हमेशा बड़े साहब के साथ ही रहते थे। दीक्षा समारोह के दौरान जितने भी कार्यक्रम हुए सभी में वह बड़े साहब के साथ साये की तरह रहे। मंच भी साझा किया, फिर भी प्रभार छीन गया। समझ में नहीं आ रहा।
कहीं संवर जाए तकदीर
इन दिनों गोरखपुर विश्वविद्यालय ज्योतिष व वास्तुशास्त्र का ज्ञान बांटने में जुटा है। पिछले पंद्रह दिनों से संस्कृत विभाग में कार्यशाला चल रही है। इस विद्या को सीखने के लिए शहर के कई ज्योतिष प्रेमियों ने नामांकन करा रखा है। हर दिन ज्योतिष के जाने-माने विशेषज्ञ उन्हें तीन घंटे इस विद्या की बारीकियां बता रहे हैं। अपने सभी कामकाज छोड़ लोग पूरे इत्मीनान से इस विद्या को ग्रहण करने में जुटे हैं। उन्हें उम्मीद है कि यदि वह इस विद्या में पारंगत हो जाते हैं तो पैसे की कोई कमी नहीं होगी। रोजगार तो मिलेगा ही, दूर-दूर तक नाम भी होगा। लोगों का भूत-भविष्य बताकर अच्छी-खासी कमाई होगी से अलग। उन्हें लग रहा है कि जीवन में इससे सुनहरा मौका शायद की कभी मिले। ऐसे में इसका भरपूर लाभ लेने में कोई कोर-कसर छोडऩा नहीं चाहते। प्रशिक्षण ग्रहण करने वाले कई जो अब यह भी कहने लगे हैं कि कहीं इसी से हमारी तकदीर न संवर जाए।
बहती गंगा में धो लें हाथ
नैक मूल्यांकन कराने में जुटा विश्वविद्यालय प्रशासन इस बार 'एÓ ग्रेड पाने के लिए चुन-चुन कर कमियां दूर कर रहा है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हो या फिर स्मार्ट क्लास को संसाधनों से लैस करना। जाहिर सी बात है कि जब नए-नए काम होंगे तो पैसा भी पानी की तरह बहेगा। इन कामों को कराने वालों की तो जैसे चांदी हो गई हैं। उन्हें हर काम मेें अपना फायदा नजर आ रहा है। इन दिनों प्रशासनिक भवन के नीचे कई ठेकेदार गणेश परिक्रमा करते नजर आ जा रहे हैं। इस आशा में कि कहीं उन्हें भी कोई काम न मिल जाएं। इसके लिए वह अपने-अपने स्रोतों से जुगाड़ लगाने में जुटे हैं। इनमें से कई जहां साहब के खास लोगों के जरिए अपना स्वार्थ साध रहे हैं तो वहीं कुछ काम पाने के लिए दूसरा हथकंडा अपना रहे हैं। वे इस राह पर चल रहे हैं कि उम्मीद पर ही दुनिया कायम है।