परिवार की पूरी जिम्मेदारी निभाते रहे पंकज, युवकों को करते थे प्रेरित
पंकज त्रिपाठी काफी सरल स्वभाव के थे। वह गांव के युवाओं में भी लोकप्रिय थे। वह युवाओं को सेना में भर्ती का टिप्स भी देते रहे।
गोरखपुर, जेएनएन। छह साल पहले बड़े बेटे पंकज त्रिपाठी की सीआरपीएफ में नौकरी लगते ही वृद्ध पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी के सपने साकार होते दिखे। उन्हें लगा कि अब उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाएगी। पाच संतानों में छोटे बेटे शुभम त्रिपाठी का अब अच्छे स्कूल में दाखिला हो जाएगा और घर की माली हालत भी सुधर जाएगी। पंकज के शहीद होने के बाद पत्नी रोहिणी के सारे सपने बिखर गए और भाई की उम्मीदें भी परवान नहीं चढ़ पाई। पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी कहते हैं कि अब घर की देखभाल कौन करेगा और पोते प्रतीक की परवरिश कैसे होगी?
परिवार की जिम्मेदारी भी कम नहीं थी
महराजगंज जिले के फरेंदा थाना अंतर्गत ग्राम हरपुर के बेलहिया टोला निवासी पंकज कुमार त्रिपाठी परिवार की जिम्मेदारियों के साथ सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी का भी बखूबी उन्होंने निर्वहन किया। शहीद की पत्नी रोहिणी ने रुंधे गले से बताया कि घर की जिम्मेदारी पति के कंधे पर थी। पति के सीआरपीएफ में भर्ती होने के बाद घर की आर्थिक स्थिति सुधरी पर देश सेवा में कभी घर की जिम्मेदारियों को आड़े नहीं आने दिए।
यहां हुई थी शिक्षा
पंकज कुमार त्रिपाठी की प्राथमिक शिक्षा गाव में हुई। अभिनव विद्या मंदिर उदितपुर से हाईस्कूल, जयपुरिया इंटर कालेज आनंदनगर से इंटर व अमृत लाल महाविद्यालय से बीए करने के बाद सन 2012 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए। विपरीत परिस्थितियों में क्त्रोधित नहीं होते थे और परिवार के सभी सदस्यों का उत्साह बढ़ाते थे।
संपर्क मार्ग पर दौड़ लगा कर हुए सेना में भर्ती
फरेंदा थाना क्षेत्र के हरपुर गाव में स्थित संपर्क मार्ग पर प्रतिदिन भोर में दौड़ लगाकर पंकज कुमार त्रिपाठी सेना में भर्ती हुए थे। घर आने पर पंकज गाव के युवकों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते और टिप्स भी देते थे। पंकज का सपना छोटे भाई शुमभ त्रिपाठी संग क्षेत्र के अधिक से अधिक युवकों को सेना में भर्ती कराना था।
बेटे को आइएएस बनाना चाहते थे पंकज
सैनिक पंकज कुमार त्रिपाठी इकलौते बेटे प्रतीक को अच्छी शिक्षा दिला कर आइएएस अधिकारी बनाना चाहते थे लेकिन देश की सरहद की सुरक्षा करते हुए पंकज के शहीद होने से सपना पूरा नहीं हो सका। उनकी पत्नी को होनहार बेटे पर पूरा भरोसा है। वैसे कई जनप्रतिनिधियों ने प्रतीक के आइएएस बनने तक का खर्च उठाने का आश्वासन दे रहे हैं।
सैनिकों की शहादत बेकार नहीं जाएगी
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल व जनपद के प्रभारी मंत्री रमापति शास्त्री ने कहा कि सैनिकों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। सैनिकों के लहू के एक-एक कतरे का सेना हिसाब लेगी। इसके लिए प्रधानमंत्री ने सेना को छूट दे दी है।
सरकार ले शहादत का बदला
पूर्व सभापति गणेश शकर पाडेय शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल होने से पहले परिवार के सदस्यों को सात्वना दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार को इसको लेकर अब गंभीर होना चाहिए और सेना के जवानों की शहादत का बदला लेना चाहिए। फरेंदा के पूर्व विधायक चौधरी शिवेंद्र सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ सरकार को गंभीर होकर बड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।