जिला योजना : चमकीली उम्मीदों के नतीजे हर वर्ष धुंधले
जिला योजना में ग्राम, क्षेत्र, जिला पंचायत के विकास की हकीकत की जगह सब्जबाग ही अधिक नजर आते हैं। यह जितनी चमकीली दिखती है, हकीकत में उसके नतीजे धुंधले ही नजर आते हैं।
गोरखपुर, शैलेन्द्र श्रीवास्तव। एक ऐसी योजना, जिसकी बुनियाद में कभी सिर्फ विकास था, अब कागजी विकास के आंकड़े होते हैं। योजना में ग्राम, क्षेत्र, जिला पंचायत, नगर निकाय के विकास की हकीकत की जगह सब्जबाग ही अधिक नजर आते हैं। कागजों में यह जितनी चमकीली दिखती है, हकीकत में वित्तीय साल के आखिरी में उसके नतीजे धुंधले ही नजर आते हैं। कुछ ऐसा ही इस साल भी नजर आ रहा है। योजना से जुड़े 50 विभागों में से अधिकतर को अभी तक पैसे ही नहीं मिल सके हैं। बीते सालों में भी अधिकतर विभागों को सिर्फ इंतजार करना पड़ा है।
हम बात उस जिला विकास योजना की कर रहे हैं, जो जिलों में हर साल बनती है, उसके लिए खूब माथापच्ची होती है। माथापच्ची ऐसी मानो, जिले की सूरत बदलने जा रही हो, लेकिन आंकड़े गवाह हैं कि इसमें विकास की ही गारंटी नहीं रहती है। रहे भी कैसे, प्रस्तावित बजट का पैसा तमाम विभागों को मिलता ही नहीं है। अहमियत का अंदाजा इससे लगता है कि बैठक पर जिला योजना समिति के अध्यक्ष, प्रभारी मंत्री की मुहर अनिवार्य मानी जाती है। साल दर साल खर्च (परिव्यय) बढऩे के क्रम में शासन ने नए वित्तीय वर्ष के लिए खर्च निर्धारित कर दिया है। नए साल में भी लगभग सभी जिलों का बढ़ा है। जिला योजना का प्रारूप ग्राम, क्षेत्र, जिला पंचायत, नगर निकाय की बैठक में प्रस्तावित विकास कार्यों व संबंधित मद में धन की मांग के आधार पर तैयार होता है। इस संबंध में गोरखपुर के सीडीओ अनुज सिंह ने कहा कि यह सही है कि पहले 30-32 फीसद ही धनराशि मिल पाती थी, कई विभागों को पैसे नहीं भी मिल पाते थे लेकिन अब महत्वपूर्ण कार्यों के लिए 60 से 70 फीसद मिलने लगे हैं। कुछ विभागों को पैसे मिले हैं, अभी वित्तीय वर्ष के दो माह शेष हैं, बाकी विभागों को भी धनराशि मिलने की उम्मीद है।
गोरखपुर- बस्ती मंडल का तुलनात्मक प्रस्तावित खर्च (अरब में)
जिला वर्ष 19-20 वर्ष 18-19
गोरखपुर 5.85 5.72
महराजगंज 3.49 3.47
देवरिया 4.56 4.52
कुशीनगर 4.47 4.53
बस्ती 4.34 4.30
संतकबीर नगर 2.90 2.89
सिद्धार्थनगर 3.83 3.86