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राजकीय निर्माण निगम के सहायक अभियंता की जमानत अर्जी खारिज, डकार चुका है 17.51 करोड़ Gorakhpur News

राजकीय निर्माण निगम के परियोजना प्रबंधक पंकज चोपड़ा ने 20 सितंबर 2020 को गबन का मुकदमा दर्ज कराया था। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम राहुल दूबे ने गबन के आरोपित राजकीय निर्माण निगम सहायक अभियंता सहित दो की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 05:31 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 06:24 PM (IST)
राजकीय निर्माण निगम के सहायक अभियंता की जमानत अर्जी खारिज, डकार चुका है 17.51 करोड़ Gorakhpur News
न्‍यायालय के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम राहुल दूबे ने गबन के आरोपित राजकीय निर्माण निगम सहायक अभियंता सहित दो की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। उन पर महाराजा सुहेलदेव स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय बहराइच के निर्माण के लिए आवंटित धनराशि में फर्जी बिल का भुगतान कर गबन करने का आरोप है। इस मामले में बहराइच जिले के देहात कोतवाली में मुकदमा दर्ज है।

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बहराइच जिले में दर्ज है भ्रष्टाचार का मुकदमा

राजकीय निर्माण निगम के परियोजना प्रबंधक पंकज चोपड़ा ने 20 सितंबर 2020 को गबन का मुकदमा दर्ज कराया था। तहरीर में उन्होंने गोमतीनगर विस्तार, लखनऊ के कल्पतरु अपार्टमेंट निवासी राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन लेखागार गिरीश चंद चतुर्वेदी और विभूति खंड, लखनऊ के विनय खंड निवासी राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन सहायक अभियंता राम अधार सिंह पर गबन का आरोप लगाया है। आरोप है कि महाराजा सुहलेदव स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय बहराइच का ठीके पर निर्माण के लिए मेसर्स यूनिवर्सल कांट्रेक्टर्स एंड इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड, ग्रेटर नोएड, गौतमबुद्धनगर का चयन किया गया था। परियोजना की लागत 17.51 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी। जुलाई 2017 में निर्माण का काम शुरू करना था। सितंबर 2019 में निर्माण कार्य पूरा करने की समयसीमा निर्धारित की गई थी। आरोप है कि निर्माण कार्य होने के दौरान दोनों अभियुक्तों ने सरकारी पद का दुरपयोग करते हुए आर्थिक लाभ हासिल करने के उद्देश्य से फर्जी व कूट रचित बिलों का भुगतान कराकर परियोजना के लिए अवमुक्त धनराशि का गबन कर लिया।

सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक प्रमेश राम त्रिपाठी ने अभियोजन का पक्ष रखते हुए अदालत से जमानत अर्जी खारिज करने की मांग की। बचाव पक्ष की भी दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत अर्जी खारिज करने का गुरुवार को फैसला सुनाया।


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