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योगी के नेतृत्व में चल रही परिवर्तन की आध्यात्मिक लहर : शंकराचार्य वासुदेवानंद

गोरखपुर में ब्रह्मालीन महंत दिग्विजयनाथ की 49वीं और महंत अवेद्यनाथ की चौथी साप्ताहिक पुण्यतिथि

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Sep 2018 01:52 AM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 01:52 AM (IST)
योगी के नेतृत्व में चल रही परिवर्तन की आध्यात्मिक लहर : शंकराचार्य वासुदेवानंद

गोरखपुर : ब्रह्मालीन महंत दिग्विजयनाथ की 49वीं और महंत अवेद्यनाथ की चौथी साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह का शनिवार को समारोहपूर्वक समापन हुआ। गोरखनाथ मंदिर के दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित समापन कार्यक्रम में देश भर के ख्यातिलब्ध संत और महंतों की मौजूदगी रही। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां राष्ट्रवाद, सामाजिक समरसता, ¨हदुत्व और विकास साथ-साथ दिखाई दे। इस सपने को पूरा करने की पूरी कोशिश युवा सन्यासी योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। यही वजह है कि भारत के संत समाज को उन्हें लेकर गर्व की अनुभूति हो रही है।

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उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में परिवर्तन की जो आध्यात्मिक लहर चल रही है, वह निश्चित ही लोक कल्याणकारी और लोक मंगलकारी सिद्ध होगी।

जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य ने कहा कि जो लोग धर्म, धर्मनिरपेक्षता और धर्मस्थानों के आपसी संबंध पर सवाल खड़ा करते हैं, ऐसे लोगों को गोरक्षपीठ आना चाहिए। उन्हें धर्म का वास्तविक अर्थ समझ में आ जाएगा। धर्म की भारतीय अवधारणा को पीठ ने व्यावहारिक रूप से जमीन पर उतारा है। पीठ ने समाज को यह भी बताया है कि भारत के ¨हदू सनातन संस्कृति का मठ और मंदिर कैसा होता है। उससे लोगों की क्या अपेक्षाएं होती हैं और वह किस तरह से उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरते हैं। यही वजह है कि आज प्रदेश का नेतृत्व इस पीठ के हाथ में है।

कथा व्यास डॉ. रामकमल दास वेदांती ने कहा कि धर्म के दो आयाम लौकिक और पारमार्थिक दोनों को आदर्श रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए महंत अवेद्यनाथ सदैव प्रयत्‍‌नशील रहे और इसे लेकर समूचे ¨हदू समाज का मार्गदर्शन किया। दिगंबर अखाड़ा अयोध्या के महंत सुरेश दास ने कहा कि समाज की शक्ति संगठन में है और महंत अवेद्यनाथ ने समाज को संगठित कर शक्तिशाली बनाने का कार्य किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत प्रचारक सुभाष जी ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ पांथिक परंपराओं से ऊपर उठकर राष्ट्रधर्म के सच्चे आराधक थे। निर्भय, नीडर, स्पष्टवादी धर्मात्मा थे। उनका जीवन संत समाज को सदैव प्रेरणा देता रहेगा। सिद्धयोग पत्रिका के संपादक ब्रह्माचारी दास लाल ने कहा कि महन्त अवेद्यनाथ ऐसे महात्मा थे, जिन्होंने हिन्दू धर्म संस्कृति के सभी पंथो के प्रति समन्वय का भाव रखते हुए हिन्दू समाज की एकता का अद्वितीय कार्य किया। सभा में अपने संबोधन से स्वामी विद्या चैतन्य, स्वामी गोपाल, महंत शिवनाथ, श्रीधराचार्य, उच्चतर शिक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा, महंत शांतिनाथ ने भी महंत अवेद्यनाथ को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान योगी कमलनाथ, महंत मिथिलेश नाथ, महंत रवींद्र दास, प्रेमदास, राममिलन दास, महंत पंचानन पुरी आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्रीभगवान सिंह ने किया।

नाथ पंथ में दिखता है संपूर्ण सनातन धर्म

श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष मणिराम छावनी अयोध्या के महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि योगी आदित्यनाथ को महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ से हिन्दुत्व का संरक्षण विरासत में प्राप्त हुआ है। यही वजह है कि वह इस दायित्व का निर्वहन पूरी कुशलता के साथ कर रहे हैं और प्रदेश की जनता की आस बन चुके हैं। नाथ पंथ के इस महान तपस्वी के जीवन में संपूर्ण सनातन धर्म का दर्शन होता है। महंत अवेद्यनाथ से जुड़े खुद के प्रसंग को याद करते हुए महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि वह साधु-संतों के सर्वमान्य नेता थे। यही वजह थी कि रामजन्मभूमि मुक्ति का आंदोलन उनके कुशल नेतृत्व में चला। इसे लेकर सबने उनका नेतृत्व सहज स्वीकार किया।

नाथ पीठ में है पीड़ितों के प्रति छटपटाहट

भारत सरकार के पूर्व गृह राज्यमंत्री और परमार्थ आश्रम हरिद्वार के स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि उत्तर प्रदेश को देश का सर्वोत्तम प्रदेश बनाने का जो प्रयत्‍‌न योगी आदित्यनाथ कर रहे है, वह नाथ पीठ की राष्ट्र व समाज के प्रति संकल्पित धारणा का ही प्रतिफल है। नाथ पीठ में समाज के असहाय, गरीब, दलित, पीड़ित व्यक्तियों के प्रति छटपटाहट को हर कोई महसूस कर सकता है, पीठ के महंतों के कार्य को देखकर। उन्होंने महंत अवेद्यनाथ से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उनका स्व-अनुशासन, कार्य के प्रति निष्ठा, जन सरोकारों के प्रति जवाबदेही, धर्म की राजनीति को प्रतिष्ठा दिलाने का प्रयास अनुकरणीय और प्रेरणादायी है। महंत अवेद्यनाथ को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके बताए मार्ग पर चलते रहें।


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