Move to Jagran APP

Father's Day: पिता के संघर्ष से तपकर कुंदन बने बेटे, एक को आइएएस और दूसरे को बनाया इंजीनियर

Fathers Day पिता ने अपनी इच्छाओं व सुविधाओं से तमाम समझौते किए लेकिन बेटों के सपनों को लेकर कभी कोई समझौता नहीं किया। उनके बड़े बेटे मनीष राय 2018 में आइएएस बने। सबसे छोटे बेटे सनोज राय भारत इलेक्ट्रानिक लिमिटेड गाजियाबाद में इंजीनियर हैं।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 05:45 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 05:45 PM (IST)
Father's Day: पिता के संघर्ष से तपकर कुंदन बने बेटे, एक को आइएएस और दूसरे को बनाया इंजीनियर
तमकुही राज के किसान प्रहलाद राय की फोटो, जागरण।

गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर के तमकुहीराज तहसील के गांव तरयासुजान के रहने वाले किसान पिता के संघर्ष और मेहनत से तपकर निखरे बेटे कुंदन बन गए। पिता प्रहलाद यादव खेत में धूप की तपिश और बारिश की धार की मार के बीच खेत से नहीं हटे तो बेटे भी पिता की इस तपस्या को समझ अपने लक्ष्य की राह से कभी डगमगाए नहीं।

loksabha election banner

पिता ने अपनी इच्छाओं व सुविधाओं से तमाम समझौते किए, लेकिन बेटों के सपनों को लेकर कभी कोई समझौता नहीं किया। बेटों की पढ़ाई के दौरान आर्थिक परेशानी सहित तमाम तरह के व्यवधान आए, एक किसान पिता के लिए इसे झेलना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस संघर्ष ने आखिरकार बेटों को बड़ा मुकाम दिलाया। बड़े बेटे मनीष राय 2018 में आइएएस बने। वर्तमान में उत्तराखंड के देहरादून में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हैं। मझले बेटे मनोज राय स्नातक कर पिता के साथ खेती किसानी में सहयोग करते हैं। एनआइटी से बीटेक करने वाले गोल्ड मेडलिस्ट सबसे छोटे बेटे सनोज राय भारत इलेक्ट्रानिक लिमिटेड गाजियाबाद में इंजीनियर हैं।

किसान पिता ने देखा सपना, बेटों ने किया पूरा

पांच एकड़ के काश्तकार प्रहलाद ने बेटों को अफसर बनाने का सपना देखा। इस सोच के साथ खेती किसानी की आय से बचत शुरू की ताकि उच्च शिक्षा को लेकर कोई परेशानी न आए। बेटे इंटर में पहुंचे तो पिता के सपनों का भान उनको भी हुआ। इसके बाद उन्होंने इसको पूरा करने की ठानी और सच कर दिखाया।

पिता के संघर्ष ने दिया सफलता का मंत्र

आइएएस मनीष राय बताते हैं कि पिता की मेहनत और संघर्ष को देखा तो अहसास हुआ कि परिश्रम और लक्ष्य के प्रति एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है। इसको मंत्र के रूप में साधा और सफलता मिली। इंजीनियर सनोज राय बताते हैं कि हमने पिता के संघर्ष को करीब से देखा और महसूस किया है।आज हम जो कुछ भी हैं, उनकी वजह से हैं।

बेटों को तरासना पिता का धर्म

-पिता प्रहलाद राय बताते हैं कि बेटों को तरासना पिता का धर्म होता है। इसके लिए एक किसान पिता को संघर्ष तो करना ही पड़ेगा। पर, यह संघर्ष सफल होता है तो जीवन भर सुकून देता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.