Move to Jagran APP

गोरखपुर में सोलर आरओ की कहानी, पंखा चला न पीने को मिला पानी Gorakhpur News

गोरखपुर में प्राइमरी स्कूलों में सोलर आरओ प्लांट योजना चलाई गई थी। योजना पूरी तरह से फेल हो गई है। न तो बिजली है और न ही पानी मिल रहा है।

By Edited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 10:30 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 02:34 PM (IST)
गोरखपुर में सोलर आरओ की कहानी, पंखा चला न पीने को मिला पानी Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। परिषदीय स्कूलों के बच्चों को पीने का शुद्ध पानी, पंखे की हवा व बल्व की रोशनी मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरू की गई सोलर आरओ प्लांट योजना असफल साबित हो रही है। लापरवाही के कारण निर्धारित समय से एक साल बाद भी सभी स्कूलों में यह प्लांट नहीं लगाया जा सका है। जहां लगा भी है, कुछ ही दिन में खराबी की शिकायत आ रही है।
सोलर आरओ की हकीकत की पड़ताल करें तो न पंखा चलता मिलता है और न ही पीने को पानी ही मयस्सर है। समस्या यह है अब बच्चों को अपने घरों से पानी लाना पड़ रहा है। भटहट के पूर्व माध्यमिक विद्यालय पतरा में पानी, टंकी में चढ़ तो जाता है लेकिन आरओ काम नहीं करता। सोलर के सहारे पंखा भी नहीं चलता। इसी तरह से गुलरिहा बाजार के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में लगाए जाने के बाद से ही सोलर सिस्टम खराब हो चुका है। इसकी शिकायत कई बार की जा चुकी है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पिपराइच क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय इमलिया उर्फ बिजहरा में छात्र-छात्राओं को आरओ से पीने का पानी नहीं मिल रहा है, यहां सोलर सिस्टम से पंखा भी नहीं चलता।
250 विद्यालयों में लगाया जाना है सोलर आरओ जनवरी 2018 में परिषदीय स्कूलों में सोलर आरओ लगाने की योजना स्वीकृत की गई थी। सभी स्कूलों में जुलाई 2018 तक यह काम पूरा कर लेना था। एक विद्यालय में प्लांट लगाने की लागत ढाई से तीन लाख रुपये निर्धारित है। नेडा की देखरेख में इसे लगाया जाना था लेकिन अबतक करीब 160 विद्यालयों में ही सोलर आरओ लगाया जा चुका है। शिक्षा विभाग की मानें तो 40 से अधिक विद्यालयों की ओर से प्लांट खराब होने की शिकायत की गई है। कहीं-कहीं आरओ लगाए जाने से इंडिया मार्क हैंडपंप भी खराब हो गए।
पिपराइच क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय अराजी बसडीला के प्रधानाध्यापक आशुतोष सिंह के अनुसार उन्हें प्रधान के माध्यम से हैंडपंप रिबोर कराना पड़ा। आरओ को भी स्वयं बनवाया, तब बच्चे लाभ पा रहे हैं। क्या है व्यवस्था विद्यालयों में सोलर आरओ लगाने के साथ उसके अनुरक्षण की जिम्मेदारी भी लगाने वाली फर्म की है। अनुरक्षण, लगाए जाने की तिथि से तीन साल तक करना होगा। पर, जहां भी खराबी की शिकायत आई है, फर्म ने ठीक करने में रुचि नहीं ली। इस प्लांट से आरओ चलेगा, तीन कमरों में बल्व जलेगा और पंखा भी चलेगा।
इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह का कहना है कि सोलर आरओ के खराब होने की शिकायतें आ रही हैं। इस संबंध में फर्म को लिखा गया है। उन्हें जल्द से जल्द समस्या दूर करने को कहा गया है।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.