भाजपा सांसद ने कहा- ठगबंधन वालों का जनहित से नहीं था सरोकार, इसलिए टूटा गठबंधन
बस्ती के भाजपा सांसद हरीश द्विवेदी का कहना है कि बसपा-सपा का गठबंधन नहीं ठगबंधन था। इनका जनहित से कोई सरोकार नहीं रहा है।
By Edited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 07:30 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 09:54 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। बस्ती के भाजपा सांसद हरीश द्विवेदी ने बसपा प्रमुख मायावती द्वारा गठबंधन से अलग होने की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह अवसरवादी ठगबंधन था। इस गठबंधन की न कोई ²ष्टि थी न सोच। न ही जनहित से सरोकार था। सांसद ने बसपा प्रमुख द्वारा जाति विशेष पर वोट न देने के आरोप की ¨नदा करते हुए कहा कि जनता ने सपा-बसपा की जातीय राजनीति को नकार दिया है।
मतदाता चाहे किसी भी जाति-धर्म या वर्ग का हों किसी राजनीतिक दल का बधुंआ मजदूर नहीं है। मतदाता को यह अधिकार है कि वह अपनी पंसद के अनुसार वोट दे। बसपा प्रमुख जब भी चुनाव हारती हैं तो किसी न किसी जाति-धर्म या वर्ग पर हार का ठीकरा फोड़ती हैं। उन्होंने कहा कि मायावती गठबंधन के पहले दिन से ही अखिलेश को अपरिपक्व और अनुभवहीन साबित करने में जुटी थीं। उन्होंने गठबंधन से अलग होकर शायद इसी बात के संकेत दिए हैं कि जो अपने पिता-चाचा और परिवार का नहीं हुआ वह हमारा क्या होगा। अपने पिता की राजनीतिक और परिवारिक विरासत संभाल पाने में अखिलेश पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं। यह जनता भी समझ गई है और राजनीतिक दल भी समझ गए हैं। उन्होंने कहा कि पूरे चुनाव में विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं था।
सिर्फ मोदी हटाओ मुद्दा था। इसलिए जनता भी समझ गई कि विपक्ष पूरी तरह से भ्रष्ट हैं। सभी दल के शीर्ष नेता भ्रष्टाचार में फंसे हुए हैं। यहीं कारण है कि वह लगातार अपशब्द बोलते रहे। ऐसे में जनता समझ गई कि यह सब मोदी को इसलिए हटाना चाहते हैं कि वह किसी भी भ्रष्टाचारी को माफ करने वाले नहीं है। जनता ने सभी दलों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सबका साथ-सबका विकास के संकल्प के साथ भारत को सशक्त और मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही है।
मतदाता चाहे किसी भी जाति-धर्म या वर्ग का हों किसी राजनीतिक दल का बधुंआ मजदूर नहीं है। मतदाता को यह अधिकार है कि वह अपनी पंसद के अनुसार वोट दे। बसपा प्रमुख जब भी चुनाव हारती हैं तो किसी न किसी जाति-धर्म या वर्ग पर हार का ठीकरा फोड़ती हैं। उन्होंने कहा कि मायावती गठबंधन के पहले दिन से ही अखिलेश को अपरिपक्व और अनुभवहीन साबित करने में जुटी थीं। उन्होंने गठबंधन से अलग होकर शायद इसी बात के संकेत दिए हैं कि जो अपने पिता-चाचा और परिवार का नहीं हुआ वह हमारा क्या होगा। अपने पिता की राजनीतिक और परिवारिक विरासत संभाल पाने में अखिलेश पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं। यह जनता भी समझ गई है और राजनीतिक दल भी समझ गए हैं। उन्होंने कहा कि पूरे चुनाव में विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं था।
सिर्फ मोदी हटाओ मुद्दा था। इसलिए जनता भी समझ गई कि विपक्ष पूरी तरह से भ्रष्ट हैं। सभी दल के शीर्ष नेता भ्रष्टाचार में फंसे हुए हैं। यहीं कारण है कि वह लगातार अपशब्द बोलते रहे। ऐसे में जनता समझ गई कि यह सब मोदी को इसलिए हटाना चाहते हैं कि वह किसी भी भ्रष्टाचारी को माफ करने वाले नहीं है। जनता ने सभी दलों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सबका साथ-सबका विकास के संकल्प के साथ भारत को सशक्त और मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही है।
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