यहां किलो के भाव बिक रही शेक्सपियर व मिल्टन की किताबें Gorakhpur News
गोरखपुर में विलियम शेक्सपीयर व मिल्टन जैसे बड़े लेखकों की मंहगी किताबें किलो के भाव बिक रही हैं। विजय चौक पर एडी माल के बाहर लगी इस दुकान पर इन लेखकों के नॉवेल के शौकीन हर दिन पहुंच रहे हैं। इनमें युवाओं की तादाद अधिक है।
गोरखपुर, प्रभात कुमार पाठक। एक समय हुआ करता था जब बड़े-बड़े लेखकों की मंहगी किताबें खरीदना मुश्किल था। अपने पसंदीदा लेखकों की नोबेल पढ़ने की चाहत रखने वाले लोग लाइब्रेरी पहुंचकर अपनी जिज्ञासा शांत करते थे। जब से मोबाइल आया नोबेल खरीदने वालाें व लाइब्रेरी में जाकर किताबें पढ़ने वाले भी कम हो गए। इस समय शहर में विलियम शेक्सपीयर व मिल्टन जैसे बड़े लेखकों की मंहगी किताबें किलो के भाव बिक रही है। विजय चौक पर एडी माल के बाहर लगी इस दुकान पर इन लेखकों के नोबेल के शौकीन हर दिन पहुंच रहे हैं।इनमें युवाओं की तादाद अधिक है।
सौ से एक हजार रुपये तक की नोबेल किलो के भाव खरीद रहे लोग
पुरानी हो चुकी ये किताबें रख-रखाव के अभाव में दम न तोड़ दें, इसलिए इसे जीवित रखने के लिए दिल्ली के पुस्तक विक्रेता विक्की खान सस्ती दरों पर बेच रहे हैं. एडी माल के बाहर अभी महज दस दिन पहले इन्होंने किताबों की अस्थायी दुकान लगाई है. दुकान के बाहर तख्तियां लटकी हुई हैं. जिस पर लिखा हुआ है कि दो सौ रुपये किलो नोबेल व अन्य किताबें खरीदें। माल में आने वाले या इस सड़क से गुजरने वाला हर कोई तख्तियां देखकर उनके दुकान पर जरूर पहुंच रहा है।
दिल्ली से लाते हैं किताबें
लखनऊ, कानपुर, आगरा, दिल्ली व साउथ के कई शहरों में दुकान लगा चुके विक्की खान बताते है कि वे दिल्ली से किताबें लाते हैं। उन्होंने बताया कि ये किताबें धीरे-धीरे पुरानी होती जा रही है। इसे रख देने पर खराब होने का खतरा रहता है। दिल्ली के दरियागंज में पुरानी किताबें काफी कम मूल्य पर मिल जाती है। ये वे किताबें या नोबेल होती हैं। जो काफी दिनों से लाइब्रेरी या दुकानों पर धूल फांक रही होती हैं। वे बताते है कि गोरखपुर में हिंदी उपन्यास की भी बहुत मांग हो रही है। शुरू में आईं बड़े लेखकों की अच्छी किताबें बिक चुकी हैं। मैंने दिल्ली से हिंदी की कुछ और किताबें मंगाई हैं जो महज दो से तीन दिन में आ जाएंगी।