Move to Jagran APP

राप्ती की नई धारा से गांव व सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि के नष्ट होने की आशंका

गोरखपुर में राप्ती की धारा मोड़ने के बाद उसके नतीजे से ग्रामीण भयभीत हो रहे हैं। ग्रामीणों को डर है कि यदि धारा मुड़ी तो परिणाम भयानक होगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 06:13 AM (IST)
राप्ती की नई धारा से गांव व सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि के नष्ट होने की आशंका

गोरखपुर, जेएनएन। नदियों की धारा मोड़ने की योजना को शासन-प्रशासन भले ही जनहित में मान रहा हो, लेकिन कुशवासी के हजारों लोग इसे आबादी को बर्बाद करने की नई धारा बता रहे हैं। गांव से करीब एक किलोमीटर दूर बह रही नदी को गांव के पास लाने की योजना से वह न केवल घबराए हैं बल्कि इसके विरोध में जनआंदोलन की तैयारी भी कर चुके हैं। उनका कहना है सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि के नदी की नई धारा में विलीन होने से उनके सामने अन्न का संकट खड़ा होगा वहीं नदी उस पार जाकर खेती करने से वर्ग संघर्ष की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। गांव के लोग इस पूरे प्रोजेक्ट को औचित्यहीन बता रहे हैं। उधर प्रशासन का मानना है कि सबकी सहमति और संतुष्टि के बाद ही कोई काम कराया जाएगा।

loksabha election banner

जनपद को बाढ़ से बचाने के लिए गोर्रा, राप्ती और सरयू की धारा को बदलने की अनुमति शासन से मिल गई है। इस काम की जिम्मेदारी कानपुर और वाराणसी के यांत्रिक बैराज खंड को मिली है। गौर बरसाइत बांध के पास होने वाले काम से अइमा, करजही, कतरारी, नवापार, बेला, मझगांवा समेत आसपास के करीब दर्जन भर प्रभावित होने की चर्चा है।

यहां से मोड़ी जा रही नदी की धारा

करजहीं में शवदाह स्थल के पास से नदी को मोड़कर आधा किमी दूर मिलाने की योजना है। धारा मुड़ते ही नदी गांव के बिल्कुल करीब आ जाएगी, जिससे बाढ़ का खतरा तो बढ़ेगा ही उपजाऊ भूमि भी नदी में विलीन हो जाएगी। नदी बचाओ, गांव बचाओ संघर्ष समिति की अगुवाई कर रहे विश्व विजय सिंह, आलोक शुक्ला आदि के नेतृत्व में कई गांवों के लोग लामबंद हैं।

हो गया है सर्वेक्षण

बांसगांव के उपजिलाधिकारी अरुण कुमार मिश्र का कहना है कि नलकूप खंड और तकनीकी टीम ने पूरे प्रोजेक्ट का सेटेलाइट सर्वे किया है। इसमें किसी का भी कोई नुकसान नहीं होगा। जनता को इसे समझाया जाएगा। प्लाटून पुल बनाया जाएगा, जिससे लोग खेती के लिए उस पार जा सकें।

जनता के साथ करेंगे बैठक

जिलाधिकारी विजयेंद्र पाण्डियन का इस संबंध में कहना है कि जनता की सहमति और स्वीकृति के बगैर कोई भी कार्य नहीं होगा। जनता के साथ बैठकर उनकी आपत्तियों को समझते हुए उसका निदान कराया जाएगा।

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्राम प्रधान जयंिहंद का कहना है कि एक औचित्यहीन प्रोजेक्ट के लिए जनता की कृषि भूमि और उनके गांवों को खतरे में डालना उचित नहीं है। पूर्व प्रधान ओपी शुक्ल का कहना है कि चंद लोगों के फायदे के लिए प्रोजेक्ट बना है। सरकार की इस मंशा को पूरा नहीं होने दिया जाएगा। वहीं बालेंद्र चौहान ने कहा कि हमारी जमीन कोई ऐसे नहीं ले पाएगा। किसी ने इधर आने की भी हिम्मत की तो उसे गंभीर अंजाम उठाना पड़ेगा। रमेश शुक्ल का कहना है कि पहले से ही हम लोग बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं। अब यह नहीं आफत हम लोगों पर डाली जा रही है। वहीं राम गोपाल मानते हैं कि बांसगांव के सबसे पहले मैरुंड होने वाले गांवों में यह इलाका शामिल है। इसके बावजूद यहां ऐसा काम करना गलत है। संगम यादव का कहना है कि प्रोजेक्ट बन गया काम शुरू हो गया, लेकिन गांव के लोगों से कोई बात ही करने नहीं आया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.