असम राइफल के बर्खास्त सिपाही समेत चार गिरफ्तार, 45 लाख की शराब बरामद
देवरिया में पुलिस ने असम राइफल के बर्खास्त एक सिपाही को शराब तस्करी में गिरफतार कर लिया है। वह सरगना बताया जा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया जिले कीबघौचघाट पुलिस को तड़के बड़ी सफलता हाथ लगी। कंटेनर से बिहार भेजी जा रही हरियाणा निर्मित 45 लाख रुपये की शराब पुलिस ने बरामद कर ली है। साथ ही तस्करी में संलिप्त असम राइफल के बर्खास्त सिपाही समेत चार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। शराब गोरखपुर के चौरीचौरा से कंटेनर में लोड की गई थी। पूछताछ के बाद पुलिस ने तस्करों को जेल भेज दिया।
देवरिया के पुलिस अधीक्षक डा.श्रीपति मिश्र ने बताया कि बघौचघाट के प्रभारी निरीक्षक जयंत सिंह पुलिस टीम के साथ भ्रमण पर थे, इस बीच मुखबिर से सूचना मिली कि देवरिया धूस चौराहे पर शराब लदी कंटेनर खड़ी है। टीम के साथ प्रभारी निरीक्षक पहुंचे। इस दौरान वहां खड़े चार लोग भागने लगे। पुलिस टीम ने उन्हें दौड़ाकर पकड़ लिया। इस दौरान गिट्टी, बालू की दुकान पर खड़ी कंटेनर की जांच पुलिस ने की तो उसमें से हरियाणा निर्मित 496 पेटी शराब बरामद हुई, जिसकी कीमत 45 लाख रुपये बताई जा रही है।
ये हुए गिरफ्तार
शराब के साथ ऋषिकेश यादव निवासी अमरपुर, इमरान, कयामुद्दीन निवासी मोतीपुर थाना बघौचघाट व संतोष यादव निवासी परसौनी थाना खामपार को पुलिस ने गिरफ्तार किया। इसमें से कयामुद्दीन असम राइफल का 2003 का बर्खास्त सिपाही है। उसका कहना है कि वह 2001 में भर्ती हुआ था और 2003 में जवानों से विवाद कर भाग निकला। एसपी ने पुलिस टीम को पांच हजार रुपये का इनाम भी दिया है।
चौरीचौरा में स्टोर की जा रही शराब
गिरोह के मास्टर माइंड ऋषिकेश ने बताया कि वह एक निजी विद्यालय में शिक्षक था। उसके एक शिष्य ने ही गौरीबाजार थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति से मुलाकात कराई। इमरान कंटेनर चलाता है, इसलिए उसे तय किया गया और चौरीचौरा से शराब लोड की गई। पहली बार इस धंधे में उतरा था, इस बीच पुलिस के हाथ चढ़ गया।
गाड़ी रुकते ही शराब तस्करों को लग जाती है भनक
हरियाणा में बैठकर शराब सरगना अपना पूरा नेटवर्क बिहार तक चला रहे हैं। खास बात यह है कि शराब तस्कर भी पूरी तरह से इस समय हाईटेक हो गए हैं। हरियाणा से चल रही गाड़ियों में जीपीएस लगा दिया गया है और इसके जरिये गाड़ियों पर शराब तस्कर अपनी नजर रखते हैं। पुलिस के हाथ गाड़ी के लगते ही सरगना को इसकी भनक लग जाती है।
एक दिन पूर्व जब पुलिस ने शराब लदी गाड़ी को पकड़ा तो सरगना ने चालक को वीडियो काल किया और पूछा गाड़ी क्यों रोक दी। फिर फोन करने वाले ने अपने को कर्नल बताया और आर्मी का सामान जाने की बात कहते हुए गाड़ी छोड़ने के लिए दबाव बनाया। चालक का कहना है कि सरगना को इसलिए चंद मिनट में ही इसकी भनक लग गई, कि उस गाड़ी में जीपीएस लगा हुआ था और वह वहां से ही बैठ कर गाड़ी का रास्ता बता रहा था। इसके अलावा भी कई हाइटेक सिस्टम के जरिये भी तस्कर नजर रख रहे हैं।
एक हजार रुपये प्रत्येक दिन मिलता था चालक को
चालक संदीप सिंह का कहना है कि उसे कर्नल ने 30 हजार रुपये महीने पर रखा था, लेकिन उसे यह नहीं बताया था कि उस गाड़ी में शराब है। उसे बताया जाता था कि उस गाड़ी में आर्मी कैंटीन का सामान है और उसे छपरा और सिलीगुड़ी पहुंचाना है। उसका बाकायदा कागजात भी तैयार कर देता था।