बीमारियों पर प्रहार करेगा RMRC, यूपी, बिहार व झारखंड में होगी रोगों की जांच; बीएसएल थ्री लैब को मिली वैधता
मोबाइल बीएसएल थ्री लैब का मान्यकरण हो गया है। ऐसे में अब यूपी बिहार व झारखंड के गांवों में जाकर जांच की जाएगी। इसके साथ ही इसके रोकथाम के लिए सरकार उपाय करेगी। जिससे बीमारियों को नियंत्रित किया जा सके।
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) को भारत सरकार से मिली बायोसेफ्टी लेवल (बीएसएल) थ्री लैब का मान्यकरण (वैलीडेशन) हो गया है। लैब जांच करने को पूरी तरह तैयार है। यह लैब उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर वहां फैली बीमारियों की जांच करेगी और उसके आधार पर सरकार उनकी रोकथाम के उपाय करेगी। इससे बीमारियों पर शीघ्र नियंत्रण किया जा सकेगा।
भारत में बनी हैं दो मोबाइल बीएसएल थ्री लैब
भारत में अभी दो मोबाइल बीएसएल थ्री लैब बनी हैं। एक राष्ट्रीय वायरोलाजी संस्थान पुणे को और दूसरी आरएमआरसी गोरखपुर को प्रदान की गई हैं। ये दोनों इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की शाखाएं हैं। आइसीएमआर ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर इस लैब के पूरी तरह तैयार होने जाने की जानकारी दी है और कहा है कि जरूरत के मुताबिक इसका उपयोग किया जा सकता है। कहीं भी बीमारी फैलने पर सरकार इस लैब का उपयोग कर सकेगी। आरएमआरसी के विज्ञानी लैब के साथ गांवों में जाकर वहीं पर बैक्टीरिया-वायरस की जांच करेंगे और सरकार को इसकी जानकारी देंगे, ताकि समय रहते रोकथाम के उपाय किए जा सकें।
पहले चरण में यहां जाएगी लैब
इसी सप्ताह लैब जांच के लिए गांवों में जाएगी। हाल में जिन क्षेत्रों में चिकनपाक्स का प्रकोप था, पहले चरण में वहीं जाकर विज्ञानी जांच करेंगे। बेलघाट, उरुवा, कैंपियरगंज व चरगांवा ब्लाक को इसके लिए चिह्नित किया गया है। इसके लिए टीम का चयन कर लिया गया है। इस कार्य में वायरोलाजिस्ट डा. राजीव सिंह, डा. गौरवराज द्विवेदी, डा. नलिनी मिश्रा, डा. एसपी बेहरा, डा. पूजा भारद्वाज, इं. आशीष, रविशंकर, कमलेश, जितेंद्र, ऐश्वर्या, सोनल, फातिमा, मंजू, विजेंद्र व सत्येंद्र सहयोग करेंगे।
लैब में है यह सुविधा
लैब में एलाइजा व रीयल टाइम- पालीमरेज चेन रियेक्शन (आरटी-पीसीआर) जांच की सुविधा है। दोनों मशीनों से एंटीबाडी व आएनए-डीएनए के जरिये बैक्टीरिया-वायरस की पहचान की जाएगी। इसके अंदर बायोसेफ्टी लैब है जो जांच करने वाले के साथ ही समाज व वातावरण को संक्रमण को बचाएगी। पूरी लैब निगेटिव प्रेशर में है, अर्थात उसमें केवल बाहर से हवा जाएगी, अंदर की हवा विसंक्रमित होकर बाहर निकलेगी। इसके लिए हेपा फिल्टर लगाया गया है। लैब में उपयोग किए गए पानी को भी उबालकर ही बाहर फेंका जाएगा। वहां उपयोग में आए सभी सामान विसंक्रमित होने के बाद ही बाहर निकाले जाएंगे, ताकि वहां का संक्रमण बाहर न आने पाए।
बड़ी लैब से होगा करार
आरएमआरसी कुछ बड़ी लैब से करार करेगा ताकि जो जांच मोबाइल लैब में न हो पाए, उसे बड़ी लैब में भेजकर जांच करा ली जाए। दूसरी लैब में नमूनों को भेजने के लिए 56 डिग्री सेल्सियस पर रखकर इनएक्टिव किया जाएगा, ताकि जांच करने वालों को कोई खतरा न रहे।
क्या कहते हैं अधिकारी
आरएमआरसी के वायरोलाजिस्ट डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि लैब का मान्यकरण हो गया है। लैब व हमारी टीम पूरी तरह तैयार है। इसी सप्ताह उन क्षेत्रों में जाकर बैक्टीरिया-वायरस की जांच की जाएगी, जिन क्षेत्रों में चिकनपाक्स का प्रकोप था। तैयारी पूरी है।
आरएमआरसी निदेशक डॉ. रजनीकांत ने बताया कि मोबाइल बीएसएल थ्री लैब से बीमारियों की समय रहते रोकथाम करने में मदद मिलेगी। अभी तक स्थिति यह थी कि जब बीमारी पूरी तरह फैल जाती थी, तब पता चलता था, अब उसे तुरंत पकड़ लिया जाएगा।