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RTI से पाया हक, अब होगा पूरा भुगतान Gorakhpur News

गोरखपुर के राजकीय महाविद्यालय सहजनवां में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. करुणेश त्रिपाठी ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के जरिए अपना हक पाया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 08:01 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 07:33 AM (IST)
RTI से पाया हक, अब होगा पूरा भुगतान Gorakhpur News
RTI से पाया हक, अब होगा पूरा भुगतान Gorakhpur News

गोरखपुर, उमेश पाठक। राजकीय महाविद्यालय सहजनवां में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. करुणेश त्रिपाठी ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के जरिए अपना हक पाया है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) नई दिल्ली की ओर से दो जून 2019 को आयोजित कराई गई सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा में बी श्रेणी निरीक्षण अधिकारी के रूप में ड्यूटी करने पर उन्हें जिलाधिकारी की ओर से केवल 500 रुपये का भुगतान किया गया था। ड्यूटी करने के बावजूद निर्धारित मानदेय न पाने वाले डॉ. करुणेश त्रिपाठी ने आरटीआइ के जरिए अपने हक की लड़ाई जीत ली। यूपीएससी ने गोरखपुर के जिलाधिकारी सेे 1800 रुपये मानदेय देने को कहा है।

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परीक्षा में लगी थी ड्यूटी

डॉ. करुणेश त्रिपाठी सहित 38 लोगों ने बी श्रेणी निरीक्षण अधिकारी के रूप में ड्यूटी की थी। परीक्षा के बाद कक्ष निरीक्षकों को 1500 रुपये का भुगतान किया गया जबकि इन अधिकारियों को 500 रुपये का भुगतान किया गया। कक्ष निरीक्षक से कम भुगतान की बात डॉ. करुणेश को खटकी। उन्होंने आरटीआइ के जरिए यूपीएससी से बी श्रेणी निरीक्षण अधिकारियों के मानदेय के बारे में पूछा। वहां से बताया गया कि तैयारी, व परीक्षा के दिन दोनों पालियों में 600-600 रुपये का भुगतान का प्रावधान है। इस तरह सभी को 1800 रुपये मिलने चाहिए।

आयोग से की शिकायत

जानकारी मिलने के बाद उन्होंने आयोग से 500 रुपया मिलने की शिकायत की। जिसके बाद दिसंबर 2019 में जिलाधिकारी से पूरा भुगतान करने को कहा गया है। पर, भुगतान नहीं हो सका। इसके बाद डॉ. करुणेश ने एक बार फिर शिकायत की, जिसके बाद आयोग ने जिलाधिकारी को निर्धारित मानदेय भुगतान करने को कहा है। इस बार शासन को भी पत्र भेजा गया है।

इस मामले की जानकारी अभी नहीं है। यदि कम भुगतान हुआ है तो प्रावधान के अनुसार पूरा भुगतान किया जाएगा। - के. विजयेंद्र पाण्डियन, जिलाधिकारी, गोरखपुर

38 अधिकारियों को 1800 रुपये की बजाय 500 रुपये का भुगतान किया गया था। आरटीआइ के जरिए सभी लोगों को उनका अधिकार मिल सकेगा। - डॉ. करुणेश त्रिपाठी, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजकीय महाविद्यालय, सहजनवां


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