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मूली नहीं रोगों के उपचार की बूटी उपजा रहे अविनाश, जानें-लाल मूली से क्‍या है फायदा Gorakhpur News

सफेद मूली की तुलना में बेहद स्वादिष्ट लाल मूली सेहत के लिए अनुकूल तत्वों से भरपूर होती है। इस मूली में पाए जाने वाले पेलागोर्निडीन नामक तत्व पाया जाता है। जिसकी वजह से इसका रंग लाल होता है।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 05:15 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 05:52 PM (IST)
मूली नहीं रोगों के उपचार की बूटी उपजा रहे अविनाश, जानें-लाल मूली से क्‍या है फायदा Gorakhpur News
अपने खेत में पैदा लाल मूली के साथ अविनाश कुमार।

गोरखपुर, जेएनएन। सलाद को जायकेदार बनाने में मूली का अहम रोल है, लेकिन अविनाश कुमार के खेत की लाल मूली सलाद को जायकेदार के साथ ही साथ सेहत का भी ख्याल रखती है। इस मूली के खाने से शरीर में एक तरफ कैंसर और हृदय रोग से लडऩे की क्षमता तो विकसित होती है तो दूसरी तरफ यह मूली इम्युनिटी बुस्टर का भी काम करती है। जो कोरोना के संक्रमण में मददगार होती है। इस सीजन में व्यवसायिक रूप से इसकी खेती कर मोटा मुनाफा कमाने के साथ ही अविनाश कुमार दूसरों को इसकी खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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पुलिस की नौकरी छोड़कर शुरू की खेती

पत्रकारिता से मास्टर डिग्री हासिल करने वाले पादरी बाजार, शाहपुर निवासी अविनाश कुमार, 1998 में पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। अपनी रुचि और नौकरी के बीच तालमेल न बिठा पाने की वजह से 2005 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। इसी साल उन्होंने पत्रकारिता में मास्टर डिग्री ली। इसके बाद कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम भी किया, लेकिन हमेशा कुछ नया करने की सोच के चलते 2010 में मीडिया की भी नौकरी छोड़कर खेती में कुछ न या करने का फैसला किया और घर लौट आए।

शाहपुर इलाके में शहर से सटे पादरी बाजार के पास के रहने वाले अविनाश कुमार ने 2010 में ही पुस्तैनी जमीन पर खेती शुरू की। इस दौरान वह भारत सरकार के कृषि शोध संस्थानों से जुड़े रहे। इन संस्थानों की तरफ से आयोजित होने वाले सेमिनारों में भी भाग लेते रहे। इसी क्रम में उन्हें लाल मूली की खेती के बारे में पता चला। शुरू में छोटे पैमाने पर इसकी खेती करने के साथ ही उन्होंने इसके बाजार और मांग के बारे में जानकारी की। इसके बाद उन्होंने इसकी बड़े पैमाने पर खेती शुरू की। शबला सेवा संस्थान के साथ मिलकर इस साल उन्होंने चार डिसमिल खेत में इसकी खेती की है।

सेहत के लिए फायदेमंद तत्वों से भरपूर होती है लाल मूली

सफेद मूली की तुलना में बेहद स्वादिष्ट लाल मूली सेहत के लिए अनुकूल तत्वों से भरपूर होती है। इस मूली में पाए जाने वाले पेलागोर्निडीन नामक तत्व पाया जाता है। जिसकी वजह से इसका रंग लाल होता है। पेलागोर्निडीन आंखों की रोशनी बढ़ाता है। इसमें सल्फिरासोल और इंडोल-3 नामक रसायन तथा एंटीआक्सीडेंट तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जो हाइपरटेंशन और मधुमेह जैसी बीमारियों से बचाने के साथ ही कैंसर के सेल्स को भी खत्म करती हैं। यह मूली उत्तम पाचक भी है। जिससे पेट संबंधी कई रोगों से निजात मिलती है।

डेढ़ माह में तैयार हो जाती है फसल

शरद ऋतु की फसल लाल मूली के लिए बलुई दोमट मिट्टी मुफीद होती है। किसी भी फसल के साथ मेड़ पर इसकी बुआई की जा सकती है। 40-45 दिन में फसल तैयार हो जाती है। पत्ती सहित इसकी औसत उपज 600 से 700 क्विंटल होती है। अविनाश कुमार का कहना है कि लाल मूली की खेती कर किसान कम लागत में बड़ा मुनाफा हासिल कर सकते हैं। सफेद मूली की तुलना में बाजार में लाल मूली की कीमत अधिक है। बाजार में इसकी मांग काफी अधिक है।


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