35 सौ शस्त्र लाइसेंस निरस्त, 250 पर एफआइआर ; जानें- सीएम सिटी में क्याें होने जा रही है इतनी बड़ी कार्रवाई Gorakhpur News
गोरखपुर में बहुचर्चित फर्जी शस्त्र लाइसेंस में प्रशासन 35 सौ शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने जा रहा है। इसके अलावा 250 लोगों पर मुकदमा भी दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है।
राजेश्वर शुक्ल, गोरखपुर। गोरखपुर के बहुचर्चित फर्जी लाइसेंस मामले की चल रही मजिस्ट्रेटी जांच पूरी हो गई। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रथमेश कुमार ने अपनी रिपोर्ट रविवार को जिलाधिकारी के.विजयेंद्र पांडियन को सौंप दी। रिपोर्ट में 3500 लाइसेंस के निरस्तीकरण की संस्तुति की गई है। 250 ऐसे शस्त्र लाइसेंस हैं जो फर्जी पाए गए हैं, ऐसे सभी लाइसेंसधारकों पर प्रशासन एफआइआइ दर्ज कराएगा।
रिकार्ड के साथ की गई छेड़छाड़
जांच में चार शस्त्र विक्रेताओं (रवि आर्म्स कारपोरेशन के अलावा) के द्वारा गड़बड़ी किए जाने की पुष्टि हुई है। इन गन हाउस संचालकों ने गलत लाइसेंस पर असलहे बेचे हैं। पांच ऐसे असलहा बाबुओं पर भी कार्रवाई की जाएगी जिनके समय में रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ की गई है। शस्त्र लाइसेंस का फर्जीवाड़ा उजागर होने पर जिलाधिकारी के.विजयेंद्र पांडियन ने तीन सदस्यीय टीम बनाकर मजिस्टे्रटी जांच के आदेश दिए थे। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रथमेश कुमार (आइएएस) ने कम समय में जांच को निणार्यक मुकाम पर पहुंचा दिया।
ऐसे हुई जांच
मजिस्टे्रटी टीम ने सभी 22 हजार शस्त्र लाइसेंस का आम्र्स रजिस्टर से थानावार मिलान करवाया। टीम ने रजिस्टर में कटिंग से लेकर अतिरिक्त जोड़ या ओवरराइटिंग तक की गहनता से जांच की। प्रशासन ने शस्त्र विक्रेताओं के यहां से छापेमारी कर जिन रसीदों को जब्त किया था उसका भी शस्त्र विक्रेताओं के अभिलेखों व आम्र्स रजिस्टर से मिलान कराया गया। इस बात की तहकीकात की गई कि कहीं असलहा फर्जी लाइसेंस पर तो नहीं बेचा गया। आनलाइन साफ्टवेयर एलिस व एनीडेस्क एप से भी मिलान कराया गया।
100 कर्मचारियों ने प्रतिदिन 12 घंटे किया काम
एक सितंबर से जांच में तब तेजी आई जब ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रथमेश कुमार ने कलेक्ट्रेट के 100 कर्मचारियों को इस कार्य में लगाया। लेखपाल, कानूनगो, बंदोबस्त अधिकारी समेत राजस्व विभाग के अन्य कर्मचारियों को थानावार सत्यापन की जिम्मेदारी दी गई। 25 थानों के लिए औसतन चार से पांच कर्मचारियों को लगाया गया। टीम के कर्मचारी सुबह नौ बजे कार्यालय पहुंचकर थे और रात्रि नौ बजे तक लगातार काम करते रहे। टीम की अगुवाई कर रहे ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी।
बाबुओं ने अपने नाम से जारी किए फर्जी शस्त्र लाइसेंस
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रथमेश कुमार ने कहा कि रविवार को जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है। पूर्व में असलहा बाबू रहे विजय कुमार श्रीवास्तव, अशोक श्रीवास्तव, शमशाद अहमद, मजहर अली, रामधीरज, अशोक गुप्ता व राम सिंह के कार्यकाल में सर्वाधिक गड़बड़ी मिली है। इनमें से तीन बाबुओं ने अपने नाम से फर्जी शस्त्र लाइसेंस जारी करा लिया। अशोक गुप्ता व राम सिंह गिरफ्तार हैं, अन्य बाबू भी जल्द ही गिरफ्त में होंगे। रवि आम्र्स कारपोरेशन के बाद सर्वाधिक गड़बड़ी राजेश गन हाउस, गणेश, गुप्ता व ईस्टर्न गन हाउस के यहां पाई गई है। इन पर भी कार्रवाई होगी।
भाजपा नेता समेत सात के लाइसेंस कब्जे में
प्रकरण में बाबुओं को जेेल भेजने के बाद एसआइटी ने अन्य लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। रविवार को भाजपा नेता समेत सात लोगों के शस्त्र का लाइसेंस विवेचक ने कब्जे में ले लिया। तीन लोगों के असलहे जमा कराए गए हैं। सोमवार को प्रशासन के रिकार्ड से दस्तावेज का मिलान होगा।
प्रशासन की जांच में भाजपा नेता समेत सात लोगों के शस्त्र लाइसेंस में गड़बड़ी मिली है। सूची मिलने के बाद एसआइटी प्रभारी ने रविवार सुबह सभी लोगों को कैंट थाने बुलाया। विवेचक ने सभी के शस्त्र लाइसेंस के दस्तावेज कब्जे में ले लिया। तीन लोगों के असलहे भी जमा करा लिए। दोपहर में थाने पहुंचे एसआइटी प्रभारी/एएसपी रोहन प्रमोद बोत्रे ने सभी से पूछताछ की। लाइसेंस धारकों ने बताया कि प्रक्रिया के तहत उन्होंने शस्त्र लाइसेंस बनवाया है। रिकार्ड में गड़बड़ी कैसे हुई इसकी जानकारी नहीं है। कई लोग बाबुओं पर गड़बड़ी करने का आरोप लगा रहे थे। फर्जी शस्त्र प्रकरण की विवेचना कर रहे कलेक्ट्रेट प्रभारी एसके शर्मा सोमवार को सभी लोगों के दस्तावेज की जांच करेंगे।
पूर्व असलहा बाबू सहित तीन की तलाश
पूर्व असलहा बाबू विजय श्रीवास्तव, प्रापर्टी डीलर अलीशेर सहित तीन की तलाश में पुलिस टीम दबिश दे रही है। इनकी तलाश में क्राइम ब्रांच को भी लगाया गया है। गुलरिहा क्षेत्र निवासी प्रॉपर्टी डीलर ने अपना लाइसेंस थाने पर भिजवा दिया है लेकिन खुद सामने नहीं आया है। उसके पास मौजूद दो नाली बंदूक का लाइसेंस फर्जी बताया जा रहा है। बेनीगंज के रहने वाले अभिषेक अग्रहरी भी घर छोड़कर फरार है।
कब क्या हुआ
- 14 अगस्त : डीएम के आयुध लिपिक राम सिंह ने चार लोगों के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराया।
- 15 अगस्त : कैंट पुलिस ने गोरखनाथ के नामजद आरोपी तनवीर को फर्जी लाइसेंस के साथ जेल भेज दिया।
- 23 अगस्त : पीपीगंज के रहने वाले प्रापर्टी डीलर विजय प्रताप को कैंट पुलिस ने आम्र्स एक्ट में जेल भेजा।
- 25 अगस्त : कैंट पुलिस ने जगन्नाथपुर के सौरभ पांडेय को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया फिर भागने का दावा किया।
- 26 अगस्त : सौरभ समेत उसके परिवार और ससुराल के सात लोगों पर कैंट पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।
- 26 अगस्त : मास्टर माइंड गोपी उर्फ शमशेर और नामजद आरोपित विकास तिवारी को आम्र्स एक्ट में जेल गए।
- 28 अगस्त : ढाबा संचालक प्रणय प्रताप और प्रापर्टी डीलर शमशाद को जेल भेजा गया।
- 28 अगस्त : सौरभ के पास से फर्जी लाइसेंस या असलहा न मिलने पर रात को कैंट थाने से उसे रिहा किया गया।
- 29 अगस्त : रवि आम्र्स कारपोरेशन का संचालक रवि पांडेय जालसाजी और साजिश रचने के आरोप में जेल गया।
- 30 अगस्त : असलहा बाबू रामसिंह और अशोक गुप्ता से पुलिस ने पूछताछ की। देर रात रामसिंह को छोड़ा गया।
- 31 अगस्त : असलहा बाबू अशोक गुप्ता से दूसरे दिन भी पूछताछ हुई। संविदाकर्मी कुलदीप को पुलिस ने पकड़ा।
- 03 सितंबर : मास्टरमाइंड बताया जा रहा संविदा कर्मचारी अजय गिरी को कैंट पुलिस ने हिरासत में लिया।
- 05 सितंबर : असलहा बाबू रामसिंह, अशोक गुप्ता और अजय गिरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया, अगले दिन जेल भेजा।
- 06 सितंबर : पूर्व असलहा बाबू विजय श्रीवास्तव की तलाश शुरू हुई।
- 08 सितंबर : भाजपा नेता समेत सात लोगों को पूछताछ के लिए कैंट थाने बुलाया गया।