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छोटी फिल्मे-बड़ा संदेश : घर बैठे ही रंगकर्मियों ने बना दीं एक दर्जन से ज्यादा फिल्में Gorakhpur News

लाकडाउन के कारण गोरखपुर के रंगकर्मियों ने एक दर्जन से ज्‍यादा फिल्‍मों का निर्माण कर दिया है। फिल्‍में छोटी तो हैं पर बड़ा संदेश देने वाली हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 08:10 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 08:10 AM (IST)
छोटी फिल्मे-बड़ा संदेश : घर बैठे ही रंगकर्मियों ने बना दीं एक दर्जन से ज्यादा फिल्में Gorakhpur News
छोटी फिल्मे-बड़ा संदेश : घर बैठे ही रंगकर्मियों ने बना दीं एक दर्जन से ज्यादा फिल्में Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। अदम्य इच्छा, लगन और सकारात्मक सोच हो तो विपरीत परिस्थितियां भी अनुकूल हो जाती हैं। कोरोना संक्रमण ने रंगकर्मियों की वाह्य गतिविधियां तो बाधित कर दीं, लेकिन उनकी सृजनात्मक क्षमता को बाधित न कर सका। कलाकारों ने अपनी क्षमता के प्रदर्शन का रास्ता बंद दरवाजों के भीतर ही निकाल लिया। आधा दर्जन से अधिक कलाकारों ने घर बैठे दर्जन भर से ज्यादा शार्ट फिल्में बना डालीं। इतना ही नहीं ऑनलाइन माध्यम से उन्होंने इस सृजनात्मक कार्य से साथी कलाकारों को भी जोड़ा है। इससे वह लॉकडाउन में भी पूर्वांचल में रंगकर्म का माहौल बनाए रखने में कामयाब रहे हैं। यूं कहें कि संक्रमण काल में बनी इन शार्ट फिल्मों की साइज भले ही छोटी है, लेकिन यह संदेश बड़ा दे रही हैं।

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लॉकडाउन में मानवेंद्र ने बना दीं पांच शार्ट फिल्में

रंगकर्मी मानवेंद्र त्रिपाठी 'क्रिएशन इन लॉकडाउन थीम के साथ लॉकडाउन के दौरान चार शार्ट फिल्म बना चुके हैं, पांचवीं भी अंतिम चरण में है। पांच से सात मिनट के बीच की इन सभी फिल्मों की खास बात यह है कि इनकी शूटिंग कलाकारों ने अपने घर में ही मोबाइल फोन से की है। मानवेंद्र ने कलाकारों द्वारा भेजे वीडियो कट की एडिटिंग का कार्य मुंबई में बैठे मनीष पांडेय से कराया है। फिल्म बनाने के पीछे उनका उद्देश्य लोगों को लॉकडाउन में क्रिएटिव सक्रियता बनाए रखने का संदेश देना है।

शैवाल ने बनाई डिजिटल नाटिका

शहर की रचनात्मकता की ताकत दिखाने के लिए रंगकर्मी शैवाल शंकर श्रीवास्तव ने एक डिजिटल नाटिका का निर्माण किया है। 'किताबों से दोस्ती फिर सेÓ नामक लघु नाटिका में लॉकडाउन के दौरान किताबों की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया गया है। आठ मिनट 34 सेकेंड की यह नाटिका महज चार दिन में तैयार हुई है। इसकी शूटिंग भी कलाकारों ने अपने-अपने घर में रहकर की है।

चित्रकला का फिल्मांकन है 'रंगाकंन-2

गोरखपुर विश्वविद्यालय के ललित कला और संगीत विभाग के पुरातन व वर्तमान विद्यार्थियों ने अपने-अपने घर में लोक मंगल और विश्व कल्याण के भाव के साथ चित्र उकेर कर उसका वीडियो बनाया है। उन वीडियो से 'रंगाकंन-2  नाम की शार्ट फिल्म का निर्माण किया गया है। चित्रों के वीडियो को शार्ट फिल्म का रूप दिया है निर्देशक संदीप श्रीवास्तव ने।

 'रमजान अली ने दिया अफवाहों से दूर रहने का संदेश

लॉकडाउन में ही रंगकर्मी मलय मिश्र ने  'रमजान अली नाम की शार्ट फिल्म दी और उसका शुभारंभ भी ऑनलाइन किया। फिल्म के माध्यम से मलय ने लोगों को लॉकडाउन के दौरान फैलाए जा रहे मजहबी अफवाहों से सावधान रहने का संदेश दिया है। यह भी बताने की कोशिश की है कि भाईचारे की भावना के साथ हम कोरोना की जंग जीत सकते हैं।

13 साल के अनुभव ने बना दी 'छोटी सी गलती

अनुभव विश्वकर्मा महज 13 साल के हैं, लेकिन उन्होंने अपनी साढ़े छह मिनट की फिल्म से हर वर्ग को लॉकडाउन के दौरान घर में रहने का संदेश दिया है। फिल्म की खासियत यह है कि इसमें अभिनय करने वाले अनुभव के माता-पिता और बहन हैं।

सबको पसंद आ रही 'चले आओ सइयां

फिल्म अभिनेता हिमांशु श्रीवास्तव इन दिनों गोरखपुर में वर्क फ्रॉम होम के फार्मूले पर फिल्म निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने 'चले आओ सइयां नाम से साढ़े तीन मिनट की फिल्म बनाई है, जिसके माध्यम से लॉकडाउन में अपने स्थान पर बने रहने का संदेश दिया है। भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ के अध्‍यक्ष रवि शंकर खरे का कहना है कि सृजनात्मकता ही कलाकार की ताकत होती है। लॉकडाउन में इस ताकत का प्रदर्शन गोरखपुर के कलाकारों ने शार्ट फिल्मों का निर्माण करके किया है। इन फिल्मों से कलाकारों ने न केवल अपनी कला क्षमता का प्रदर्शन किया है, बल्कि लोगों को लॉकडाउन के पालन का संदेश भी दिया है। 


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