यहां 104 वर्ष से अनवरत हो रही रामलीला, जानें-कैसी थी पहले की रामलीला Gorakhpur News
तब रामलीला के लिए कोई निश्चित जमीन नहीं थी कभी किसी के घर तो कभी स्कूल प्रांगण में होती थी। 1946 में रामलीला समिति ने रामलीला के लिए धर्मशाला बाजार में जमीन खरीद ली।
गोरखपुर, जेएनएन। धर्मशाला बाजार की रामलीला की शुरुआत 1915-16 के आसपास हुई। इसे शुरू करने और गति देने में स्व. सूर्यबली राम चौरसिया, पं.भगवती पांडेय, अभयचंद, रामप्रसाद पांडेय, रामअधार गुप्ता, श्यामलाल गुप्ता, अभयचंद चौरसिया, पं.सूर्यनारायण व केशरी चंद गुप्ता आदि का भरपूर सहयोग रहा।
तब रामलीला के लिए कोई स्थान नहीं था तय
तब रामलीला के लिए कोई निश्चित जमीन नहीं थी, कभी किसी के घर तो कभी स्कूल प्रांगण में होती थी। 1946 में रामलीला समिति ने रामलीला के लिए धर्मशाला बाजार में जमीन खरीद ली। तभी से यह रामलीला अपनी जमीन पर अनवरत रूप से जारी है।
इस वर्ष का आकर्षण
धर्मशाला बाजार की रामलीला नवरात्र के चौथे दिन शुरू होती है। रावण वध पूर्णिमा के दिन होता है। शहर की दो रामलीलाएं बर्डघाट व आर्यनगर तब तक समाप्त हो जाती हैं, इसलिए यह रामलीला लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। रावण वध के समय यहां मेला लगता है जो यहां का मुख्य आकर्षण है।
यादों के झरोखे से
रामलीला धर्मशाला बाजार से बचपन से ही जुड़े रहे कार्यवाहक अध्यक्ष चंद्रिका प्रसाद मिश्रा ने बताया कि धर्मशाला बाजार रामलीला की शुरुआत उसके आसपास के लगभग तीन किलोमीटर की परिधि क्षेत्र के लोगों को राम चरित्र से मनोरंजनपूर्ण ढंग से अवगत कराना था। शहर के दो छोर पर रामलीला हो रही थी लेकिन बीच का यह क्षेत्र अछूता था। इसलिए स्थानीय लोगों ने मिलकर धर्मशाला बाजार में रामलीला की शुरुआत की।
क्या कहते हैं रामलीला कमेटी के पदाधिकारी
धर्मशाला बाजार रामलीला कमेटी के अध्यक्ष एवं विधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष गणेश शंकर पांडेय का कहना है कि यह रामलीला लगभग 104 साल पुरानी है। स्थापना वर्ष से ही अनवरत रूप से प्रति वर्ष इसका आयोजन किया जाता है। लोग भगवान की लीला का आनंद लेते हैं। महामंत्री हरिवंश सिंह का कहना है कि रामलीला की तैयारियां चल रही हैं। रामलीला की शुरुआत दो अक्टूबर को गणेश पूजन, नारद मोह, रावण जन्म, पृथ्वी पुकार व राम जन्म के मंचन से होगी। उपाध्यक्ष शिवशंकर दुबे का कहना है कि रामलीला का मंच स्थायी रूप से बनाया गया है। साज-सज्जा के सामान समिति के पास हैं। समय के अनुरूप पर्दे बदल दिए गए हैं ताकि दृश्य जीवंत हो सकें। व्यवस्थापक त्रियुगी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि इस बार हमारी तैयारी नई पीढ़ी को रामलीला से जोडऩे की है। नई पीढ़ी जुड़ेगी, तभी रामलीला आगे बढ़ सकेगी। युवाओं को ही इसे आगे ले जाना है।